पाताल भुवनेश्वर गुफा, जिसमें छुपा है दुनिया के अंत का रहस्य -

Tripoto
10th Jul 2021
Photo of पाताल भुवनेश्वर गुफा, जिसमें छुपा है दुनिया के अंत का रहस्य - by Pooja Tomar Kshatrani
Day 1

पाताल भुवनेश्वर एक जादुई जगह है जिसमें कई छिपे हुए और अनछुए पहलू हैं। समुद्र तल से 1350 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस स्थान को एक आध्यात्मिक स्थान के रूप में जाना जाता है जो शिव मंदिर गुफा के लिए प्रसिद्ध है।

जगह का नाम ही दो शब्दों से आया है जिसका अर्थ है पृथ्वी और ब्रह्मांड के देवता। ओक और देवदार के घने वातावरण के बीच स्थित इस खूबसूरत जगह से कई मिथक जुड़े हुए हैं। कहा जाता है कि यह गुफा लगभग 33 करोड़ देवी-देवताओं का घर है। कहा जाता है कि इस स्थान की खोज सूर्यवंश के शासक राजा ऋतुपर्ण ने की थी। इससे जुड़े रहस्य का पता लगाने के लिए इस जगह की यात्रा अवश्य करें।

पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर का इतिहास -

Photo of पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर by Pooja Tomar Kshatrani

पुराणों के मुताबिक पाताल भुवनेश्वर के अलावा कोई ऐसा स्थान नहीं है, जहां एकसाथ चारों धाम के दर्शन होते हों। यह पवित्र व रहस्यमयी गुफा अपने आप में सदियों का इतिहास समेटे हुए है। मान्यता है कि इस गुफा में 33 करोड़ देवी-देवताओं ने अपना निवास स्थान बना रखा है। पुराणों मे लिखा है कि त्रेता युग में सबसे पहले इस गुफा को राजा ऋतूपूर्ण ने देखा था , द्वापर युग में पांडवो ने यहां शिवजी भगवान् के साथ चौपाड़ खेला था और कलयुग में जगत गुरु शंकराचार्य का 722 ई के आसपास इस गुफा से साक्षत्कार हुआ तो उन्होंने यहां ताम्बे का एक शिवलिंग स्थापित किया | इसके बाद जाकर कही चंद राजाओ ने इस गुफा को खोजा | आज के समय में पाताल भुवनेश्वर गुफा सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र है | देश विदेश से कई सैलानी यह गुफा के दर्शन करने के लिए आते रहते है |

पाताल भुवनेश्वर गुफा के अन्दर भगवान गणेश जी का मस्तक है :-

Photo of पाताल भुवनेश्वर गुफा, जिसमें छुपा है दुनिया के अंत का रहस्य - by Pooja Tomar Kshatrani
Photo of पाताल भुवनेश्वर गुफा, जिसमें छुपा है दुनिया के अंत का रहस्य - by Pooja Tomar Kshatrani

हिन्दू धर्म की प्राचीन कथाओं अनुसार भगवान शिवजी ने क्रोध में आकर भगवान गणेश जी का सिर काट दिया था लेकिन माता पार्वती के कहने पर हाथी का सिर भगवान गणेश जी को लगा दिया। माना जाता है कि भगवान गणेश का कटा हुआ सिर आज भी इस गुफा में स्थापित है।

पाताल भुवनेश्वर की गुफा में भगवान गणेश कटे ‍‍शिलारूपी मूर्ति के ठीक ऊपर 108 पंखुड़ियों वाला शवाष्टक दल ब्रह्मकमल के रूप की एक चट्टान है। इससे ब्रह्मकमल से पानी भगवान गणेश के शिलारूपी मस्तक पर दिव्य बूंद टपकती है। मुख्य बूंद आदिगणेश के मुख में गिरती हुई दिखाई देती है। मान्यता है कि यह ब्रह्मकमल भगवान शिव ने ही यहां स्थापित किया था

पाताल भुवनेश्वर गुफा के अंदर खंभों का रहस्य -

Photo of पाताल भुवनेश्वर गुफा, जिसमें छुपा है दुनिया के अंत का रहस्य - by Pooja Tomar Kshatrani

गुफा का सबसे रोचक पहलू संसार में प्रलय की घटना से जुड़ा हुआ है। यहां पर चार खंभे लगे हुए हैं। बताया जाता है कि ये खंभे सतयुग, त्रेता, द्वापर और कलियुग के प्रतीक हैं। प्रथम तीन युगों को दर्शाने वाले खंभों का आकार समान है लेकिन कलियुग का खंभा सबसे लंबा है। इस खंभे के ऊपर एक पिंड भी नीचे लटक रहा है। बताया जाता है कि यह पिंड प्रत्येक 7 करोड़ वर्ष में एक इंच के बराबर बढ़ता है। यह सिलसिला लगातार जारी है और जिस दिन कलियुग के खंभे और पिंड का मिलन होगा, उसी क्षण दनिया में प्रलय आ जाएगी।

पाताल भुवनेश्वर गुफा में चार धाम के दर्शन -

Photo of पाताल भुवनेश्वर गुफा, जिसमें छुपा है दुनिया के अंत का रहस्य - by Pooja Tomar Kshatrani

इस गुफा के अंदर केदारनाथ, बद्रीनाथ और अमरनाथ के भी दर्शन होते हैं। बद्रीनाथ में बद्री पंचायत की शिलारूप मूर्तियां हैं | जिनमें यम-कुबेर, वरुण, लक्ष्मी, गणेश तथा गरूड़ शामिल हैं। तक्षक नाग की आकृति भी गुफा में बनी चट्टान में नजर आती है। इस पंचायत के ऊपर बाबा अमरनाथ की गुफा है तथा पत्थर की बड़ी-बड़ी जटाएं फैली हुई हैं। इसी गुफा में कालभैरव की जीभ के दर्शन होते हैं। इसके बारे में मान्यता है कि मनुष्य कालभैरव के मुंह से गर्भ में प्रवेश कर पूंछ तक पहुंच जाए तो उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।

पाताल भुवनेश्वर गुफा जाये तो यह सब देखना ना भूलें -

Photo of पाताल भुवनेश्वर गुफा, जिसमें छुपा है दुनिया के अंत का रहस्य - by Pooja Tomar Kshatrani

1. गुफा के अंदर जाने के लिए लोहे की जंजीरों का सहारा लेना पड़ता है यह गुफा पत्थरों से बनी हुई है इसकी दीवारों से पानी रिश्ता रहता है जिसके कारण यहां के जाने का रास्ता बेहद चिकना है। गुफा में शेष नाग के आकर का पत्थर है उन्हें पृथ्वी पकड़ते देखा जा सकता है।

2. रंदवार, पापद्वार, धर्मद्वार और मोक्षद्वार के नाम से जाने जाने वाले चार प्रवेश द्वारों में से किन्हीं दो से अपनी प्रविष्टि शुरू करें। रंदवार और पापद्वार वे प्रवेश द्वार थे जो राक्षस राजा रावण की मृत्यु और कुरुक्षेत्र युद्ध की समाप्ति के कारण बंद हो गए थे। महाभारत के प्रसिद्ध महाकाव्य में संदर्भ देखा जा सकता है।

3. इस तीर्थस्थल की विस्मयकारी संरचनाओं और चमत्कारों को देखने के लिए तीर्थयात्रियों की भीड़ में शामिल हों। साक्षी भंडारी या पुजारी परिवार आदि शंकराचार्य के समय से कई पीढ़ियों तक प्रचलित अनुष्ठान करते हैं। आप पृथ्वी के केंद्र में स्वर्ग को देखने से एक कदम दूर हैं।

4. मंत्रमुग्ध करने वाली विशेषताओं और आकृतियों में एक भूमिगत देवालय में शेषनाग और अन्य पौराणिक देवताओं की पत्थर की संरचनाओं का निरीक्षण करें।

5. अद्भुत अखाड़ों के अंदर, आध्यात्मिक ज्ञान के लिए ध्यान करें और दिव्य आशीर्वाद का अनुभव करें।

6. मानसखंड, स्कंदपुराण के 800 श्लोकों में से एक में प्रसिद्ध शिलालेख देखे, 'जो शाश्वत शक्ति की उपस्थिति को महसूस करना चाहता है, उसे रामगंगा, सरयू और गुप्त-गंगा के संगम के पास स्थित पवित्र भुवनेश्वर में आना चाहिए।'

7. कुछ नीचे जाते ही शेषनाग के फनों की तरह उभरी संरचना पत्थरों पर नज़र आती है |मान्यता है कि धरती इसी पर टिकी है । गुफ़ाओं के अन्दर बढ़ते हुए गुफ़ा की छत से गाय की एक थन की आकृति नजर आती है । यह आकृति कामधेनु गाय का स्तन है कहा जाता था की देवताओं के समय मे इस स्तन में से दुग्ध धारा बहती है। कलियुग में अब दूध के बदले इससे पानी टपक रहा है।

Photo of पाताल भुवनेश्वर गुफा, जिसमें छुपा है दुनिया के अंत का रहस्य - by Pooja Tomar Kshatrani

8. इस गुफा के अन्दर आपको मुड़ी गर्दन वाला गौड़(हंस) एक कुण्ड के ऊपर बैठा दिखाई देता है |यह माना जाता है कि शिवजी ने इस कुण्ड को अपने नागों के पानी पीने के लिये बनाया था। इसकी देखरेख गरुड़ के हाथ में थी। लेकिन जब गरुड़ ने ही इस कुण्ड से पानी पीने की कोशिश की तो शिवजी ने गुस्से में उसकी गरदन मोड़ दी।

पाताल भुवनेश्वर गुफा जाने का सबसे अच्छा समय -

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पाताल भुवनेश्वर में गर्मियां गर्म होती हैं और तापमान 47 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। लेकिन शामें हसीन होती हैं। इस मौसम के लिए सूती कपड़े या हल्के ऊनी कपड़े कैरी करें। यदि सर्दियों के दौरान यात्रा करते हैं, तो मौसम ठंडी और तेज हवाओं के साथ सुहावना होता है। इस मौसम के लिए भारी ऊनी कपड़ों की सिफारिश की जाती है। हालांकि, मानसून (जुलाई-मध्य सितंबर) के दौरान उस जगह पर जाने से बचें, उस समय इस क्षेत्र में भारी भूस्खलन और बारिश की संभावना हो जाती है।

पाताल भुवनेश्वर गुफा कैसे पहुंचें -

सड़क मार्ग से - सड़क मार्ग से पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर में आसानी से पहुंचा जा सकता है। आमतौर पर बसें पिथौरागढ़, लोहाघाट, चंपावत और टनकपुर तक जाती है, जहां से कोई भी टैक्सी ले सकता है या वांछित गंतव्य तक पहुंचने के लिए बस की सवारी कर सकता है।

रेल मार्ग से - निकटतम रेलवे स्टेशन टनकपुर रेलवे स्टेशन है, जो पाताल भुवनेश्वर से 154 किमी दूर है।

हवाई मार्ग से- निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर हवाई अड्डा है, जो पाताल भुवनेश्वर से 224 किमी दूर है।

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