हिमाचल के कांगड़ा जिले में स्थित धर्मशाला एक बेहद ही खूबसूरत जगह है। यहां की पहाड़ियों से लेकर पहनावा और खानपान सब कुछ पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।आपको बता दें, विदेशी लोग शिमला से भी ज्यादा ‘धर्मशाला’ में आना बहुत ज्यादा पसंद करते हैं इसका मुख्य कारण यह है कि ‘शिमला’ के क्षेत्र में एक ऊपर छोटा सा कस्बा है जिसका नाम ‘अप्पर नड्डी’ है वहां पर मोसम कितना सुहाना रहता है कि लोग यहां की वादियों का भरपूर आनंद उठाने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं आपको बता दें यहां ‘धर्मशाला’ के क्षेत्र पर नदी में मौसम का मिजाज कुछ इस प्रकार होता है। अगर 5 मिनट पहले धूप निकली हो तो पता नहीं अगले 5 मिनट में आपको खुली हवा और मौसम में इतना फेरबदल देखने को जल्द ही मिल जाता है कि पर्यटक यहां की सुविधाओं का भरपूर आनंद उठाते हैं और मौसम को काफी इंजॉय भी करते हैं अगर हम ‘धर्मशाला’ के फेमस जगह की बात करें तो यहां डल झील बहुत ही सीमित है जिसे पर्यटक बहुत पसंद करते हैं। यह दिल्ली से एक परफेक्ट वीकेंड गेटवे माना गया है। लेकिन अगर आप छुट्टियों में धर्मशाला जा रहे हैं और अपने हॉलिडे को एक्सटेंड करना चाहते हैं तो ऐसे में आप धर्मशाला के निकट भी कई बेहतरीन जगहों को देख सकते हैं। दरअसल, सिर्फ धर्मशाला में ही नहीं, बल्कि उसके आसपास के एरिया में भी देखने लायक कई बेहतरीन जगहें हैं, जहां पर हर सैलानी को जरूर जाना चाहिए। बीर से लेकर कांगड़ा फोर्ट आपकी यात्रा को अविस्मरणीय बनाएंगे। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको धर्मशाला के निकट घूमने की कुछ बेहतरीन जगहों के बारे में बता रहे हैं, जो आपको एक अलग अनुभव प्रदान करेगी-
दलाई लामा टेंपल -
यह मैक्लोडगंज के एक छोर पर स्थित है। यहां दलाईलामा का आवास भी है। बौद्ध धर्म से संबंधित सैकड़ों पांडुलिपियां भी यहां देखी जा सकती हैं। इसके साथ ही तिब्बती संग्रहालय भी देखने लायक स्थान है। यहां पर तिब्बत की तस्वीर व वहां हुए चीनी दमन को देखा सकता है।
भागसूनाग-
यह मैक्लोडगंज से दो किलोमीटर आगे है। यहां एक पौराणिक मंदिर है। इस मंदिर में पहाड़ों से बहकर पानी आता है। पर्यटक मंदिर के इस शीतल पानी में स्नान करके आनंद का अनुभव करते हैं। भागसूनाग में भी एक अच्छा मार्केट भी मौजूद है।
सेंट जॉन चर्च-
इस चर्च का निर्माण वर्ष 1863 में हुआ था। यह घने पेड़ों से घिरा हुआ खूबसूरत और प्राचीन चर्च है। यहां पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहता है। चारों ओर से देवदार के वृक्षों से घिरा यह एक खूबसूरत पिकनिक स्थल भी है।
कांगड़ा किला-
धर्मशाला से महज 18 किलोमीटर दूर कांगड़ा में स्थित ऐतिहासिक कांगड़ा किला इतिहास में अमर है। यह एक ऐसा किला है, जिसको जीतने के लिए कई मुगल राजाओं ने यहां हमला किया था। इसे दुनिया के सबसे पुराने किलों में से एक माना जाता है।
मां ब्रजेश्वरी देवी मंदिर, कांगड़ा-
यह स्थान धर्मशाला से 18 किलोमीटर दूर है। यह 51 शक्तिपीठों में से एक है। मां के इस शक्तिपीठ में ही उनके परम भक्त ध्यानु ने अपना शीश अर्पित किया था। इसलिए मां के वे भक्त जो ध्यानु के अनुयायी भी हैं, वे पीले रंग के वस्त्र धारण कर मंदिर में आते हैं।
धर्मशाला अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम-
यहां देश का सबसे खूबसूरत अतिरिक्त स्टेडियम मौजूद है। यह भारत का सबसे उंचाई पर स्थित स्टेडियम है। वर्ष 2005 में बनकर तैयार हुए इस स्टेडियम में आईपीएल, टेस्ट व वनडे मैचों का आयोजन हो चुका है। यहां दर्शकों के बैठने की क्षमता 25 हजार है।
वाॅर मेमोरियल, धर्मशाला -
वॉर मेमोरियल धर्मशाला में देखने की खास जगहों में से एक है। यह स्मारक शहर के पास देवदार के जंगलों में स्थित है और यह जगह यात्रा करने के लायक है। यहां एक सुंदर जीपीजी कॉलेज है जिसका निर्माण ब्रिटिश काल के दौरान किया गया था। यह स्मारक है जो धर्मशाला के प्रवेश बिंदु पर उन लोगों की याद में बनाया गया है जिन्होंने हमारी मातृभूमि की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ी थी।
डल झील -
डल झील निचली धर्मशाला से 11 किमी दूर है और पहाड़ियों के पास देवदार के पेड़ों के बीच स्थित है। यह स्थान ट्रेकिंग और भ्रमण के लिए एक शुरूआती बिंदु है जो वाक के लिए झील के चारों ओर कवर किया गया है। इस झील के किनारे छोटा शिव मंदिर भी स्थित है जहाँ पर हर साल एक शानदार मेला लगता है।
त्रियुंड, धर्मशाला -
त्रियुंड मैकलोडगंज से 9 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह जगह बहुत ऊँचाई पर स्थित है जो मून पीक-इंदेरा पास का शानदार नजारा दिखाती है। यह जगह पिकनिक बनाने के लिए बहुत अच्छी है। यहाँ की स्वछता और प्राचीन वातावरण आपका दिल जीत लेगा। अगर आप धर्मशाला घूमने के लिए आते हैं तो यहाँ की खास जगहों में से एक त्रियुंड घूमने भी जरुर आयें।
ज्वालामुखी देवी मंदिर धर्मशाला –
बताया जाता है कि जब बहुत बुरी आत्माए यहाँ पर आती थी और देवताओं को परेशान करती थी तो भागवान शिव के कहने पर देवताओं ने उन्हें नष्ट करने का फैसला लिया और कई देवताओं ने अपनी शक्ति केद्रित की और वहां पृथ्वी से एक विशाल ज्वाला उत्पन्न हुई। इस ज्वाला से एक लड़की ने जन्म लिया, जिसे अब सीता या पार्वती के नाम से जाना जाता है। सती की जीभ समुद्र तल से लगभग 610 मीटर ऊपर ज्वालाजी में गिरी थी और देवी उस छोटी ज्वाला के रूप में प्रकट हुई थी। माना जाता है कि पांडवों भी इस पवित्र स्थान पर आये थे।
भाग्सू फॉल्स धर्मशाला –
मैक्लोडगंज से 2 किमी दूर भागसू फॉल स्थित है जो धर्मशाला में घूमने की सबसे अच्छी जगहों में से एक है। भाग्सू फॉल्स हरियाली और प्रकृति के बीच अपने सबसे प्राचीन रूप में स्थापित है जो राजसी और बेहद भव्य है। धर्मशाला की यात्रा करने वाले सभी पर्यटकों को इस जगह जरुर आना चाहिए।
नामग्याल मठ, मैकलोडगंज, धर्मशाला –
नामग्याल मठ, त्सुगलाखंग परिसर के स्थित है जो यहां धर्मशाला के पास पर्यटकों द्वारा सबसे ज्यादा देखी जाने वाली जगहों में से एक है। यह परिसर दलाई लामा के निवास स्थान होने के साथ यहाँ पर मंदिर, किताबों की दुकानों, कई दूसरी दुकानें स्थित हैं।
कांगड़ा कला संग्रहालय, धर्मशाला -
कांगड़ा संग्रहालय तिब्बती और बौद्ध कलाकृति के शानदार चमत्कार और उनके समृद्ध इतिहास को बताता है। यह धर्मशाला के बस स्टेशन के पास स्थित है। इस संग्रहालय में आप कई पुराने गहने, दुर्लभ सिक्के यादगार, पेंटिंग, मूर्तियां और मिट्टी के बर्तन जैसी चीज़ें देख सकते हैं।
मसरूर रॉक कट मंदिर, धर्मशाला-
धर्मशाला में कांगड़ा से 32 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मसरूर रॉक कट मंदिर एक पुरातात्विक स्थल है जो वर्तमान में एक खंडहर है। यहां परिसर में इंडो- आर्यन शैली की वास्तुकला में डिज़ाइन किए गए 15 रॉक कट मंदिरों का एक संयोजन है। बताया जाता है कि इन्हे कि इसे 8 वीं शताब्दी में बनाया गया था जो हिंदू देवता शिव, विष्णु, देवी और सौरा को समर्पित हैं। इतिहास प्रेमी और पर्यटकों के लिए यह जगह किस्सी जन्नत से कम नहीं है।
धर्मशाला घूमने का सबसे अच्छा समय -
वैसे तो आप पूरे साल में किसी भी समय धर्मशाला घूमने के लिए जा सकते है। धर्मशाला में बहुत तेज गर्मी नहीं पड़ती है अप्रैल से लेकर जून महीने में यहां का तापमान 22° डिग्री सेल्शियस से लेकर 35° सेल्शियस तक जाता है। जुलाई से लेकर सितंबर तक धर्मशाला में मानसून का मौसम रहता है इस वक़्त भी यहाँ की खूबसूरती देखने लायक होती है। अक्टूबर से लेकर मार्च में ठंड का मौसम रहता है और इस समय यहाँ पर आपको बर्फबारी भी देखने के लिए मिल सकती है।
धर्मशाला में रेस्टोरेंट और स्थानीय भोजन –
यहाँ आप धर्मशाला में खाने की जगह देख रहे हैं तो बता दें कि यहाँ बहुत सारे रेस्टोरेंट और कैफे मिल सकते हैं, जो एक सादा और अच्छा भोजन देते हैं। तिब्बती संस्कृति का वर्चस्व होने की वजह से यहां ज्यादातर तिब्बती व्यंजन मिलते हैं। मोमोज, थुकपा, तुड़किया भात, शप्ता, धाम, भागसू केक, आलू फिंग शा और अन्य तिब्बती व्यंजन का स्वाद आप यहां चख सकते हैं। इस जगह की एक और खास चीज है कि यहाँ पर शहद अदरक नींबू की चाय काफी प्रसिद्ध है। यहाँ बहुत सारे कैफे में पेनकेक्स, ऑमलेट्स और सैंडविच के साथ कई खास तरह का नाश्ता भी मिलता है। यहां के सबसे अच्छे प्रतिष्ठानों में से एक ग्रीन रेस्तरां और हर्बल टी शॉप हैं। यहाँ तिब्बती प्रकार का समोसा, सूप और नूडल्स जैसे फ़ूड आम है।
धर्मशाला कैसे पहुँचे -
रेल मार्ग से -
पठानकोट रेलवे स्टेशन धर्मशाला के सबसे नजदीकी रेल्वे स्टेशन है। धर्मशाला से पठानकोट रेलवे स्टेशन की दूरी मात्र 86 किलोमीटर है। पठानकोट रेलवे स्टेशन भारत के प्रमुख रेलवे स्टेशन से बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। पठानकोट से आप बस और टैक्सी के द्वारा बहुत आसानी से धर्मशाला पहुँच सकते है।
सड़क मार्ग से -
धर्मशाला के लिए दिल्ली, पंजाब और हरियाणा से सरकारी और निजी बस सेवा नियमित रूप से उपलब्ध रहती है। धर्मशाला सड़क मार्ग से दिल्ली और उत्तर भारत के कई शहरों से बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। धर्मशाला जाने वाली अधिकांश बसें लोअर धर्मशाला के मुख्य बस टर्मिनल तक ही जाती है। लेकिन हरियाणा रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (HRTC) की कुछ बसें अपर धर्मशाला (मैक्लोडगंज) के मुख्य चौक तक भी जाती है। बस के अलावा आप टैक्सी और निजी वाहन से बड़ी आसानी से धर्मशाला तक पहुँच सकते है।
फ्लाइट से -
अगर आप हवाई जहाज से यात्रा करना चाहते हैं तो बता दें निकटतम हवाई अड्डा धर्मशाला से लगभग 13 किलोमीटर दूर गग्गल में स्थित है। गग्गल हवाई अड्डा धर्मशाला को एयर इंडिया और स्पाइस जेट की उड़ानों की मदद से दिल्ली से जोड़ता है।
आप चाहे तो पठानकोट हवाईअड्डे से भी धर्मशाला बड़ी आसानी पहुँच सकते है। धर्मशाला से पठानकोट की दूरी मात्र 90 किलोमीटर है। गग्गल और पठानकोट से आपको नियमित रूप से धर्मशाला के लिए बस और टैक्सी सेवा उपलब्ध मिल जाएगी।