स्वागत है दोस्तों,
पंचघाघ जलप्रपात खूंटी से 5 किलोमीटर और रांची से लगभग 55 किलोमीटर दूर है। यह बनई नदी के टूटने के कारण एक पंक्ति में बने पांच झरनों के समूह का सामूहिक नाम है। रांची आने वाले कई पर्यटक यहां की शाश्वत सुंदरता, प्राचीन परिवेश और शांत वातावरण से आकर्षित होते हैं।
जोन्हा और हुंडरू जलप्रपात के विपरीत, पंचघाघ का पानी बड़ी ऊंचाई से नहीं गिरता है। फिर भी, जब कोई उसके पास आता है तो पानी की गर्जना लगभग सुन सकता है क्योंकि सभी पांच शाखाओं वाली और घूमती हुई धाराएं बहुत ही अशांत तरीके से चट्टानों से टकराती हैं।
''It’s a treat to watch and hear.''
क्षेत्र में बड़ी संख्या में ऊंचे झरनों की उपस्थिति के बावजूद, पंचघाघ जलप्रपात सबसे सुरक्षित के रूप में देखे जाने के लिए एक पर्यटक प्राथमिकता है। कम ऊंचाई से झरने, पर्यटकों के लिए पानी के तेज प्रवाह का आनंद लेना सुरक्षित बनाते हैं। ज्यादातर लोग यहां परिवार और दोस्तों के साथ पिकनिक मनाने पहुंचते हैं।
इस बार हम कम जानकारी देगे बाकी आप लोग कों जाना हो तो गूगल या हमसे संपर्क कर लीजिएगा।
हॉस्टल में रहते हुए हम लोगो ने बहुत सारी घूमने वाली जगहों पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुके थे।
गर्मी का वक़्त भी था।
तो ऐसे वक़्त में सब वाटरपार्क जाते थे।
जबकि पंचघाघ रांची का प्राकृतिक वाटरपार्क है जैसा कि आपको फोटो देखने में मालूम चल गया होगा।
हां तो इस बार हमे एक ही दिन में 2 जगह घूमना था।
सर्वसम्मति से ये निर्णय हुआ कि हम लोग पहले पंचघाग जायेगे उसके बाद हिरनी फाल्स जायेगे ( पहले पंचघाग और परवाघाघ जाना तय हुआ था। जो की अभी तक बाकी है)
तो हम लोग मंजिल के लिए निकल चुके थे।
हम लोगो ने शॉर्टकट लिया क्यूकी रास्ता छोटू भैया को पता था इसलिए हम लोगो ने मैप का सहारा नहीं लिया
और रास्ते की हरी भरी प्राकृतिक दृश्यों के साथ हम लोग
पंचघाग पहुंचे
पार्किंग में बाइक खड़ी की और फाल्स की तरफ बढ़ने लगे
हमेशा की तरह हम नहाने के कपड़े साथ में लिए थे।
जब हम लोग वहां पहुंचे तो वहां का दृश्य मन को लुभाने वाला था।
यूं कह लीजिए ये रांची का वाटरपार्क है वो भी नेचुरल वाटरपार्क
जिसमे बस आपको 10 रुपए लगेंगे वो भी बाइक पार्किंग के।
काफी बड़ा है
जिसमे आराम से 30 से 40 लोग एन्जॉय कर सकते है।
उस समय लड़कियों की संख्या ज्यादा थी
इसलिए हम लोगो ने वहां न जाने का निर्णय लिया
बाकी छोटू भैया हमारे
वो पहाड़ों के बीच में एक गुप्त स्विमिंग पूल जैसे छुपा हुआ था।
जी हां बस हम लोग ही वहां थे।
और कोई नहीं
और भी टाइम हम लोग को पानी में रहना था परन्तु हिरनी फाल्स जाने के लिए समय कम था इसलिए हम लोग वहां से हिरनी फाल्स की और प्रस्थान किए
वहां से 60 किलोमीटर अभी और जाना था।
जब हम लोग पंचघाघ से नहा कर निकले थे। तो दोपहर हो चूका था । हम लोग अपनी यात्रा आरंभ कर चुके थे। हिरणी फाल्स एक नक्सली इलाका है जहा रस्ते में सिर्फ जंगल ही मिला ।
हम लोग मैप्स की सहायता से जा रहे थे बीच रस्ते में जाते वक़्त हम लोग गलत रस्ते पे पहुंच चुके थे वह न कोई मोबाइल नेटवर्क न कोई अपनी भाषा समझने वाला कोई दिख रहा था ।
जी हां सबकी लग चुकी थी मैं सबसे पीछे था मुझे कुछ मालूम बी नहीं था की हम लोग रास्ता भटक चुके थे बाद में सबने बताया की रास्ता खो गए थे।
खैर हम लोग शाम करीब ४ बजे हिरणी फाल्स पहुंच चुके थे ।
रस्ते से ही फाल्स अद्भुत दिख रहा था ।
वो शाम की शांति और खली पड़ा हिरणी फाल्स बहुत ही अद्भुत नजारा था जल्दी से सब कोई फाल्स क करीब पहुंचे और फोटो खींचने लगे ।
नज़ारा काफी अद्भुत था समय की कमी के कारण हम लोग हिरणी फाल्स का लुत्फ़ नहीं उठा पाए वहा आपको आधा दिन देना पड़ेगा अच्छे से घूमने के लिए
बाकि आप स्वयं इसकी खूबसूरती देख लीजिये ।
वो कहते है न आप बस देखिये और मज़े लीजिये ।
निकलते समय हम लोगो को शाम का अँधेरा मिला उसका भी अलग ही मज़ा या डर कह लीजिये क्योकि नक्सली इलाका था ।
See You in next BLOG...........