इतनी सुंदर सौग़ात !! #Rajnagar
एक तुम हो कि जहाँ हमारा ख़ूब धौंस चलता है। जहाँ हम बेबजह वेखौफ घूमते हैं।
ऐसे में हर मंदिर एक किरदार है ,जो राजनगर होने का गुरुर दे जाये , आपकी आँखों में सुकून छोड़ जाये ।
इतनी प्रभावशाली है जो कहीं न कहीं ज़हन में उतर भी जाती है और रह भी जाती है।
मधुबनी शहर से 15 किलोमीटर उत्तर में
यह परिसर लगभग 1,500 एकड़ में फैला है। इसमें देवी-देवताओं के 11 मंदिर ,एक तालाब और कई किले और महल शामिल हैं। खंडवाला राजवंश की आखिरी डयोढी राजनगर का निर्माण महाराजा महेश्वर सिंह के छोटे बेटे रामेश्वर सिंह के लिए कराया गया था । राजनगर को ब्रिटिश वास्तुकार डॉ एम ए कोरनी ने मन से बनाया था। कहा जाता है कि कोरनी तिरहुत के कर्जदार थे और कर्ज चुकाने के बदले उन्होंने अपने हुनर को यहां ऐसे उकेरा कि वो वास्तुविदों के आदर्श बन गये।
दरभंगा राज के कर्जदार कोरनी कर्ज चुकाने के बदले एक ऐसी चीज देने का वादा किया था, जो वो तब तक किसी भी भवन में नहीं प्रयोग किये थे। उनका दावा था कि यह दुनिया का सबसे मजबूत खंभा है और इसपर टिका महल कभी ध्वस्त नहीं होगा। लेकिन 1934 में भूकंप का केंद्र होने का प्रकोप झेला। महल तो ध्वस्त हो गया, लेकिन यह खंभा कोरनी को याद करता हुआ आज भी खडा है।
स्मारक के निर्माण में नक्काशी की 22 परतों तक का उपयोग किया गया था, जो ताजमहल से भी बड़ा है, जिसमें अधिकतम 15 परतें हैं। सचिवालय के दरबाजे पर हाथी की प्रतिमा लगी है पर इनकी कहानी भी कम रोचक नहीं है। दरअसल जब ब्रिटिश वास्तुदविद एमके कोरनी ने रामेश्वेर सिंह को सीमेंट की खूबी यह कहते हुए बतायी कि यह इतना मजबूत ढांचा देगा कि हाथी भी तोड नहीं पायेगा, तो उन्होंने कोरनी से पहले सीमेंट से एक हाथी बनाकर दिखाने को कहा। कोरनी ने वहीं एक हाथी बनाया, जो भारत में सीमेंट से बना पहला हाथी का ढांचा है। भारत में सबसे पहले सीमेंट का प्रयोग राजनगर के भवन निर्माण में यहीं हुआ । यह सीमेंट का हाथी उस सचिवालय का प्रवेश दरबाजा बन गया। आज सीमेंट खरीदते वक्त हम जरूर जर्मन और विदेशी तकनीक पर विश्वास करते हैं और महंगा नहीं सबसे बेहतर का नारा बुलंद करते हैं, लेकिन सीमेंट की तकनीक और इसका इतिहास तो में ही देखा जा सकता है।
यहां के खंडहर में भी, यह एक पुराने विश्व आकर्षण और शानदार वास्तुकला का दावा करता है।हमारी सभय्ता, हमारी संस्कृति, हमारी पहचान का प्रतीक हैं। इस महल की नक्काशी, इटालियन और पूर्तगाली शैली का मिश्रण है, ये पर्यटक के लिए किसी दस्तावेज से कम नहीं है।
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