मंडूक तंत्र पर बना भारत का इकलौता मेंढक मंदिर यहां शिव शिवलिंग दिन में बदलता है तीन बार रंग।

Tripoto
14th Jun 2021
Day 1

इस सफरनामे में, मैंने एक ऐसे मंदिर के दर्शन करने का प्रोग्राम बनाया जो अनेक गुढ -रहस्य से भरा हुआ था।
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में ओयल कस्बे में स्थित, मंडूक तंत्र पर बना मेंढक मंदिर,यह मंदिर विशाल मेंढक के आकार का बना हुआ है । मेंढक की पीठ पर ही भगवान  शिव का विशाल शिवलिंग स्थापित है। यह मंदिर 1670 ईस्वी में राजा बक्स द्वारा बनवाया गया था। शिवरात्रि व सावन के महीने में लाखों श्रद्धालु यहां पर दर्शन करने को आते हैं। तांत्रिक लोग तंत्र पूजा करते हैं।

मेंढ़क मंदिर

Photo of मंडूक तंत्र पर बना भारत का इकलौता मेंढक मंदिर यहां शिव शिवलिंग दिन में बदलता है तीन बार रंग। by Mukesh Kumar
Day 2

मैंने गूगल पर सर्च किया की मेंढक मंदिर कैसे पहुंचा जाए,
हम लोगों का मार्ग था ।कानपुर लखनऊ- सीतापुर- लखीमपुर, क्योंकि कानपुर मेरा निवास स्थान था। कानपुर से  ओयल लगभग 200 किलोमीटर के आसपास था। हम बाय बस सर्वप्रथम लखनऊ पहुंचे। लखनऊ में नाश्ता-पानी करने के उपरांत, वहां से मालूम हुआ कि कैसरबाग बस अड्डे से लखीमपुर खीरी के लिए डायरेक्ट बस मिलती है। हमने चारबाग बस स्टॉप से, केसरबाग बस स्टॉप के लिए ऑटो बुक किया। 20 मिनट यात्रा के उपरांत हम कैसरबाग बस अड्डे पर थे। बस अड्डे पर पहुंचे ही थे,कि लखीमपुर के लिए एक बस निकलने वाली थी मैं जाकर बस में बैठ गया , और अपनी सीट बुक की। थोड़ी देर में हमारी बस , स्टाप से निकली। बस पर बैठे-बैठे हमने रास्ते में लखनऊ शहर का दीदार किया। लखनऊ से निकलने के उपरांत रास्ते में सिधौली, सीतापुर आदि शहरों का भी दीदार किया। लखनऊ से बस द्वारा  सफर करते हुए हमको 3 घंटे हो चुके थे। हमारी मंजिल धीरे-धीरे करीब आ रही थी। बस कंडक्टर ने बताया कि मेंढक मंदिर जाने के लिए। हम लोग को ओयल बस स्टॉप पर उतरना पड़ेगा। यहां पर ओयल रेलवे स्टेशन भी है। थोड़ी देर के उपरांत हमारी बस ओयल बस स्टॉप पर थी। हम लोग यही उत्तर गए। यहां पर चारों ओर हरियाली और घने पेड़ पौधे हैं ।आम के बाग बगीचे है। मौसम बड़ा सुहावना था। क्योंकि लखीमपुर तराई क्षेत्र में स्थित है। शाम होते ही यहां का मौसम सुहावना हो जाता है। बस स्टॉप पर पता करने उपरांत पता चला कि, मेंढक मंदिर कुछ ही दूर पर स्थित है। मैं पैदल ही मंदिर की ओर चल पड़ा। 10 मिनट की पैदल यात्रा के उपरांत,अब हम मंदिर पहुंच चुके थे । मेंढक मंदिर को देखते ही हमारी सारी थकान  छूमंतर हो गई थी। क्योंकि मैं अपनी मंजिल पर था।

Photo of मंडूक तंत्र पर बना भारत का इकलौता मेंढक मंदिर यहां शिव शिवलिंग दिन में बदलता है तीन बार रंग। by Mukesh Kumar

मेंढक मंदिर विशाल काय मेंढक के आकार का बना हुआ है। इसकी खूबसूरती  देखते ही बन रही थी। यह मंदिर प्राचीन  शिल्प कलाओं से बना हुआ है। इस मंदिर में अनेक रहस्य छुपे हुए हैं। भगवान शिव को समर्पित इस मेंढक मंदिर में, शिव शिवलिंग स्थापित है। जिसकी लोग पूजा अर्चना करते हैं। शिवरात्रि सावन के महीने में यहां विशाल भीड़ रहती है। यहां पर देश भर से तांत्रिक लोग पूजा करने आते हैं।

Photo of मंडूक तंत्र पर बना भारत का इकलौता मेंढक मंदिर यहां शिव शिवलिंग दिन में बदलता है तीन बार रंग। by Mukesh Kumar
Photo of मंडूक तंत्र पर बना भारत का इकलौता मेंढक मंदिर यहां शिव शिवलिंग दिन में बदलता है तीन बार रंग। by Mukesh Kumar

मंदिर का शिवलिंग दिन में तीन बार रंग बदलता है। यह भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर है। यहां पर नंदी खड़े मुद्रा में विराजमान है। मेंढक मंदिर के ऊपर लगा चक्र सूर्य के दिशा के साथ साथ घूमता रहता है। यहां पर एक कुआं है। इसका पानी आज तक नहीं सुखा है। इस कुवे  में से पानी निकाल कर, भगवान शिव के शिवलिंग पर चढ़ाया जाता है। ऐसा मानना है कि, शिवलिंग का जल , मेंढक के मुख में आ जाता है। तो भगवान शंकर उनकी मनोकामना पूर्ण करते हैं। हमने भी कुवे से पानी निकालकर भगवान भोले की शिवलिंग पर चढ़ाया। व भगवान शंकर के दर्शन किए ।मेरी यात्रा पूर्ण हुई थी। मंदिर के चारों ओर हरियाली व प्राकृतिकता देखने को मिलती है।मंदिर प्रांगण के अंदर भी खूबसूरत पेड़ पौधे बाग बगीचे बनाया गया। जिसको देखकर मन आनंदित हो उठता है।              

मेंढक मंदिर कैसे पहुंचे-मेढक मंदिर, रोड मार्ग व रेलवे मार्ग से जुड़ा हुआ है। मेंढक मंदिर का पास का रेलवे स्टेशन ओयल स्टेशन है। तथा नियरेस्ट बस ,ओयल बस स्टॉप है। जो कि लखीमपुर खीरी डिस्ट्रिक्ट में आता है।
तथा करीबी हवाई अड्डा लखनऊ एयरपोर्ट है। अगर आप यहां रुकना चाहते हैं तो आपको लखीमपुर जाना होगा जो कि 15 किलोमीटर दूरी पर स्थित, यहां पर आपको धर्मशाला , होटल, खाने के लिए बेस्ट रेस्टोरेंट्स मिल जाएंगे। लखीमपुर खीरी सड़क मार्ग व रेलवे मार्ग से जुड़ा हुआ है मेंढक मंदिर किसी भी समय आया जा सकता।
यह सफरनामा आपको कैसा लगा कृपया कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें।

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