उदयपुर मे यहाँ इतिहास के पन्नो को आधुनिक तकनीक से देखना ना भूले

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Photo of उदयपुर मे यहाँ इतिहास के पन्नो को आधुनिक तकनीक से देखना ना भूले by Rishabh Bharawa

मेवाड़ के शूरवीर महाराणा प्रताप का नाम आते ही उनसे जुड़े कई ऐतिहासिक स्थल जैसे -हल्दीघाटी ,गोगुन्दा आदि जगहों का जिक्र भी किसी न किसी तरह से हो जाता हैं। ये जगहे उदयपुर के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं। लेकिन उदयपुर रेलवे स्टेशन से करीब 10 किमी दूर स्थित 'प्रताप गौरव केंद्र' एक ऐसा नया दर्शनीय स्थल हैं जहाँ पर महाराणा प्रताप और मेवाड़ की सम्पूर्ण जानकारी रोबोटिक डॉक्यूमेंट्री से ले सकते हैं।संघ द्वारा बनवाया गया यह स्थान एक छोटी सी पहाड़ी पर स्थित हैं।लगभग 20 एकड़ में फैली इस जगह के चप्पे चप्पे मे मेवाड़ के गौरवमयी इतिहास की वीरगाथाये हैं।

ये हैं यहाँ के मुख्य आकर्षण :

यहाँ मेवाड़ के इतिहास को आधुनिक तकनीक से बताया गया हैं।इसके लिए यहाँ बहुमंजिला इमारत मे कई सारे रोबोटिक मॉडल बनाये गए हैं एवं इन्ही हिलते डुलते इलेक्ट्रॉनिक रोबोटिक मॉडल्स की मदद से मेवाड़ की कई कहानियों को एक जीवंत रूप दिया गया हैं। अलग अलग कहानियों के लिए अलग अलग चेंबर बने हुए हैं। आप इन चेम्बर्स मे जाकर मेवाड़ के इतिहास को जीवंत रूप मे देख सकते हैं।इनमे पन्नाधाय का बलिदान, हाड़ी रानी का त्याग, मीरा बाई की भक्ति, रानी पद्मिनी का जौहर आदि घटनाओं का प्रदर्शन इन रोबोटिक मॉडल्स के द्वारा की जाती हैं।

इसके अलावा यहाँ पर एक और सबसे बड़ा आकर्षण जो हैं वो हैं पहाड़ी के ऊपर शान से विराजमान महाराणा प्रताप की 57 फ़ीट ऊँची मूर्ति।यह मूर्ति काफी दूर से ही नजर आने के लिए पर्यटकों के बीच मुख्य आकर्षण बनी हुई हैं।

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महाराणा प्रताप की मूर्ति के चेहरे के सामने ही इतनी ही ऊंचाई की ईमारत के सबसे ऊपरी मंजिल पर भारत माता की करीब 12 फ़ीट ऊँची मूर्ति भी काफी दर्शनीय हैं। इसके अलावा मीराबाई और चेतक घोड़े की मुर्तिया भी यहाँ काफी लोकप्रिय हैं।

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एक म्यूजियम भी यहाँ बना हैं जिसमे इतिहास से जुड़े करीब 300 प्रकार के चित्र रखे हुए हैं।जिनपर कई महत्वपूर्ण जानकारी चित्रित की हुई हैं।

कैसे पहुंचे : एयरपोर्ट से 25 और उदयपुर रेलवे स्टेशन से इसकी दुरी 10 किमी हैं तो यहाँ तक कैब लेकर आया जा सकता हैं।

टिकट :150 rs (12 वर्ष से ऊपर ) एवं 75 rs (5 से 12 वर्ष तक के बच्चो के लिए ) , 4 वर्ष तक के बच्चो के लिए फ्री

अन्य नजदीकी पर्यटन स्थल : माउंट आबू ,रणकपुर जैन मंदिर ,कुम्भलगढ़ ,हल्दीघाटी युद्ध स्थल ,श्रीनाथ जी मंदिर ,जयसमंद झील ,सज्जनगढ़ ,सिटी पैलेस ,फतेहसागर झील।

लेकिन यहाँ जाने से पहले पढ़ ले महाराणा प्रताप के बारे मे कुछ रोचक जानकारियां :

1. महाराणा प्रताप 7 फीट 5 इंच लम्बी कद काठी वाले भारत के सबसे शूरवीर हिन्दू योद्धाओं में से एक थे।

2. महाराणा प्रताप अपने पास एक भाला ,दो तलवारें और एक कवच रखते थे जो सब मिला कर इतने भारी थे कि जिनके लेकर युद्ध करना हर किसी के बस की बात नहीं होती थी। दो तलवारे इसीलिए कि अगर कोई निहत्था दुश्मन मिले तो उस से लड़ने के लिए पहले एक तलवार उसे दे सके।

3. महाराणा प्रताप इतने स्वाभिमानी थे कि अकबर भी महाराणा प्रताप की वीरता से बहुत प्रभावित था। उसने महाराणा प्रताप को प्रस्ताव दिया था कि यदि वे उसके सामने झुक जाते हैं तो आधा भारत महाराणा प्रताप का हो जाएगा परंतु उन्होंने यह प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया। मेवाड़ के लोगो को आज भी इसीलिए स्वाभिमानी माना जाता हैं।

4. उदयपुर के पास की कुछ गुफाओं में महाराणा प्रताप ने कई दिनों तक घास की रोटियां खा कर वक्त गुजारा था।

5. महाराणा प्रताप ने अकबर के साथ हल्दीघाटी का युद्ध लड़ा इस युद्ध मे इतना खून बहा कि हल्दीघाटी की मिटटी आज भी खून के कारण लाल रंग लिए हुए हैं जिसे देखने लाखो पर्यटक हर साल हल्दीघाटी हैं।हल्दीघाटी उदयपुर जिले मे माउंट आबू के रास्ते मे पड़ता हैं। (फोटो देखे )

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6. महाराणा प्रताप की मृत्यु 29 जनवरी 1597 को हुई थी। लेकिन किसी युद्ध मे नहीं बल्कि शिकार करते समय वह दुर्घटनाग्रस्त हो गए थे।इनकी मौत पर अकबर भी खूब रोया क्योकि उसने पुरे भारत पर कब्जा कर लिया था पर महाराणा प्रताप की वजह से कभी मेवाड़ को जीत ना सका।

7. महाराणा के चेतक घोड़े की सबसे खास बात थी कि, महाराणा प्रताप ने उसके चेहरे पर हाथी का मुखौटा लगा रखा था। ताकि युद्ध मैदान में दुश्मनों के हाथियों को कंफ्यूज किया जा सके। (फोटो देखे )

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8. अकबर से लोहा लेने के लिए महाराणा प्रताप ने महलों के सुख को छोड़ दिया और गुफाओं मे जाकर दिन-रात युद्ध की तैयारी में जुट गए।लोहार और भील जाती के लोगो के साथ रहकर इन्होने युद्ध की तैयारी की।

9. हल्दीघाटी के युद्ध में ‘ चेतक ’ घोडा गंभीर रुप से घायल हो गया था; फिर भी स्वामी के प्राण बचाने हेतु उसने एक नहर के उस पार लंबी छलांग लगाई ।इस छलांग से उसने महाराणा को तो बचा लिया परन्तु खुद शहीद हो गया। आज भी हल्दीघाटी मे युद्ध स्थल पर स्वामिभक्त चेतक का स्मारक बना हुआ हैं।

ऐसे अनेक तथ्य महाराणा प्रताप के और उनकी वीरता के बारे मे हैं जिन्हे पढ़ कर आपको गर्व होगा कि आप ऐसी स्वाभिमानी धरती पर जन्मे हैं जहाँ हमारे दुश्मन भी हमारे शूरवीरों के चले जाने पर रोये थे।

जय हिन्द।

-ऋषभ भरावा (लेखक ,पुस्तक :चलो चले कैलाश)

(Photo Credit: one photo from ‘Patrika.com’ and one from ‘indiainfo.com’ )

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