मुझे प्रकृति से प्यार है। प्रकृति का हरा भरा स्वरूप देखकर मन रोमांचित हो उठता है। मन में यही जिज्ञासा रही है कि कब कहां नई जगह पर जाने को मिले। जब आप यही बार-बार सोचते हैं ,तो उस दिशा की ओर अग्रसर हो जाते हैं। इस दिशा में हमारा रुख हुआ मध्यप्रदेश की ओर। मध्य प्रदेश के जिला अनूपपुर पौराणिक ,ऐतिहासिक, प्राकृतिक, धार्मिक, रोमांचकारी ,खूबसूरत ,आनंददायक, नदी पर्वत, वन जंगल, अमरकंटक एक दुल्हन की श्रृंगार की तरह परिपूर्ण है । यहां पर प्राकृतिक का स्वरूप किसी के भी मन को अपनी ओर आकर्षित करता है।
हमारे यात्रा का मार्ग:
कानपुर-कटनी-अमरकंटक
हम लोगों को ट्रेन की यात्रा प्रिय थी , जो कि इस यात्रा में चार चांद लगाने वाला था।
हमारी ट्रेन, कानपुर सेंट्रल से शाम 6:२0 पर बेतवा एक्सप्रेस ट्रेन नंबर 18204 कानपुर टू दुर्ग थी। हमारी ट्रेन अपने सही समय पर कानपुर सेंट्रल से रवाना हुई, हम लोगों ने अपने स्लीपर क्लास की सीट पर आराम करते हुए सो गये।
हम लोगों की आंख खुली तो हमारी ट्रेन कटनी स्टेशन पहुंच रही थी। रात 3:00 बजे हमारी ट्रेन मध्य प्रदेश के कटनी स्टेशन पर थी। कटनी स्टेशन मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा रेलवे जंक्शन है। समस्त भारत के लिए ट्रेने यहां से मिलती है। कानपुर व कटनी के बीच में दो बड़े ऐतिहासिक पुराणिक तीर्थ स्थान है...
१-चित्रकूट-जहां भगवान राम ने अपने अज्ञातवास के 11 वर्ष बिताए थे।
२-देवी शारदा माता का मंदिर, मैहर देवी
यह माता दुर्गा का शक्तिपीठ स्थान है।
हमारी ट्रेन तेजी अपने रास्ते की ओर बढ़ रही थी। हम लोगो का रिजर्वेशन शहडोल तक था। हमारी ट्रेन मध्य प्रदेश के जिला शहडोल के, स्टेशन पर सुबह 5:30 बजे पहुंची हम लोगों ने यही अपनी ट्रेन छोड़ दी।
क्योंकि शहडोल में हमारे एक मित्र रहते थे।उनको भी हमारे साथ जाना था , अमरकंटक यात्रा के लिए हम लोगों ने अपने मित्र को फोन लगाया और उनके आने का इंतजार करने लगे। अगर आप मध्य प्रदेश के शहडोल स्टेशन गए हैं। और वहां के मिर्ची आलू टिक्की नहीं खाया, तो समझो आपने कुछ नहीं खाया। हम लोगों ने भी चाय व मिर्ची आलू टिक्की का आनंद लिया। अपने मित्र से मिलने के उपरांत हम लोगों ने अमरकंटक यात्रा के लिए अगले दिन सुबह जल्दी निकलने का प्लान बनाया। हम लोगों ने रात्रि में ही। प्राइवेट कार बुक कर ली। तथा रात्रि शहडोल में स्थित होटल मोतीमहल में ही रुक गए। रात्रि में ही शहडोल में मार्केट में घूमने गए खरीदारी की।
अगली सुबह हम लोग कार से 5:00 बजे शहडोल से अमरकंटक के लिए निकले हम लोग सुबह प्राकृतिक व खुशनुमा मौसम का आनंद लेते हुए अपनी यात्रा की ओर चले जा रहे थे रास्ते में अनेक कस्बे गांव वाह जंगल पहाड़ आदि से हम लोग रूबरू हो रहे थे।
2 घंटे की ड्राइव के उपरांत हम लोग अमरकंटक पहुंच चुके थे चारों ओर हरे-भरे मन को खुश करने वाले प्राकृतिक दृश्य पहाड़ 1 नदियों को देखकर मन पुलकितउठा था।
अमरकंटक का पावन तीर्थ स्थल मां नर्मदा मंदिर है। यहां नर्मदा नदी का उद्गम स्थल है। यही से नर्मदा नदी निकली है। यह एकमात्र ऐसी नदी है। जो उलटी बहती है। यहां पर लाखों का देश विदेश से मां नर्मदा देवी के दर्शन करने व नर्मदा नदी में स्नान करके पुष्य प्राप्त करते हैं।
हम लोगों ने भी नर्मदा नदी में स्नान करने के उपरांत मां नर्मदा देवी मंदिर में दर्शन किए। अमरकंटक बहुत से आयुर्वेदिक पौधों के संबंध में विख्यात है।
श्री यंत्र मंदिर-यह विशालकाय मंदिर शिल्प कला उत्कृष्ट नमूना है ।जैसे लगता है ,साक्षात ब्रह्मा जी ने इस मंदिर का निर्माण किया हो। प्राकृतिक की गोद में स्थित संघन वनों के मध्य अत्यंत मनोरम दृश्य के बीच यह मंदिर स्थित है। यहां पर लाखों लोग देश विदेश से दर्शन करने आते हैं ,यह मंदिर साक्षात धन की देवी मां लक्ष्मी को समर्पित है। यह भारत का इकलौता श्री यंत्र मंदिर है।
अगले दिन सुबह हम लोगों ने अमरकंटक में स्थित अनेकों खूबसूरत मनभावन मनोरम वाटरफॉल घूमने का प्लान बनाया जल्दी निकले,,
यहां पर कपिलधारा जलप्रपात -जो काफी विशाल है। यह वाटरफॉल कपिल मुनि की तपोस्थली रही है।
दूध धारा वाटर फॉल-ऋषि दुर्वासा की तपस्वी रही है। यहां दुर्वासा गुफा में, ऋषि दुर्वासा के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं हम लोगों ने अभी ऋषि दुर्वासा दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। इसी कड़ी में हम लोगों ने अमरकंटक मैं शंभू धारा वॉटरफॉल का भी अवलोकन किया जिससे हम सभी का मन आनंदित व रोमांचित हो गया था।
अमरकंटक में स्थित जैन मंदिर यह विशाल मंदिर भी देखने मे अमेजिंग से कम नहीं है। यह मंदिर जैन धर्म का तीर्थ स्थान है। यहां भगवान महावीर स्वामी की ,विशालकाय मूर्तियां स्थापित है ।यहां पर भी लोग देश विदेश से दर्शन करने आते हैं।
कणऀ मंदिर-यह प्राचीन मंदिर हजारों साल पुराना बना हुआ है इसकी बनावट की वास्तु शिल्प को देखकर मन हैरान हो जाता है अगर यहां जाएं तो इसे देखना ना भूले।
अमरकंटक में प्राकृतिक के बीच में मंदिर व ऐतिहासिक जगह है जहां पर घूमने जाया जा सकता है।
अमरकंटक रेलवे मार्ग से जुड़ा हुआ है। अनूपपुर रेलवे स्टेशन जंक्शन है। यह रेलवे जंक्शन अमरकंटक से 80 किलोमीटर दूर है।
यहां का समीप एयरपोर्ट रायपुर है। जोकि अमरकंटक की दूरी लगभग 200 किलोमीटर है।
यहां किसी भी मौसम में जाया जा सकता है।
यहां पर खाने पीने की अनेक रेस्टोरेंट होटल है। तथा रुकने हेतु धर्मशाला की भी व्यवस्था है।
कैसा लगा आपको यह आर्टिकल, हमें कमेंट बॉक्स में बताएँ।
अपनी यात्राओं के अनुभव को Tripoto मुसाफिरों के साथ बाँटने के लिए यहाँ क्लिक करें।
बांग्ला और गुजराती के सफ़रनामे पढ़ने के लिए Tripoto বাংলা और Tripoto ગુજરાતી फॉलो करें।
रोज़ाना Telegram पर यात्रा की प्रेरणा के लिए यहाँ क्लिक करें।