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भारतीय भूमि चमत्कार और आश्चर्यों से भरी है। भारत में ऐसी जगहें है कि लोग अपनी दांतों तले आंगुलियां दबाने पर मजबूर हो जाते हैं। ऐसा ही एक भारतीय अजूबा है जम्मू-कश्मीर की लेह सीमा में स्थित एक चमत्कारिक पहाड़ी का जिसे लोग मैग्नेटिक हिल कहते हैं। लेह-कारगिल राजमार्ग पर लेह शहर से 30 किमी की दूरी पर स्थित सड़क का एक छोटा सा खिंचाव है जो गुरुत्वाकर्षण की घटना को परिभाषित करता है।
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इसका कारण लदाख में स्थित चुंबकीय पहाड़ी है जिसे मैग्नेटिक हिल के नाम से जाना जाता है, ये हिल स्थिर वाहनों को ऊपर की ओर खींचती है। लद्दाख में मैग्नेटिक हिल के रूप में प्रसिद्ध, यह घाटी में एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण है और राजमार्ग पर आगे बढ़ने वाले पर्यटकों के लिए एक आकर्षक स्थान है।
मिस्ट्री हिल भी कहा जाता है-
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लेह शहर से लगभग 30 किमी दूर स्थित सड़क का यह छोटा सा खिंचाव गुरुत्वाकर्षण के अपने स्पष्ट अवतरण के कारण अद्वितीय है।इस पहाड़ को मिस्ट्री हिल इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह जो हिस्सा है, वह वाहनों को ऊपर की ओर आकर्षित करता है। कहा जाता है कि यदि किसी कार को इंजन के साथ यहां छोड़ दिया जाए तो गाड़ी 20 किमी, प्रति घंटा के हिसाब से आसानी से लुढ़क सकती है। यही वजह है कि लोग इसे मिस्ट्री हिल और ग्रेविटी हिल जैसे नामों से पुकारते हैं। कई वैज्ञानिक इस रहस्य की गुत्थी को अपने-अपने स्तर पर सुलझाने का प्रयत्न कर चुके हैं।
किस्सों कहानियों में-
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कहा जाता है कि आज जहां ये चुम्बकीय सड़क हैं, ठीक इसी स्थान पर किसी समय में यहां एक जादुई रास्ता हुआ करता था, जो सीधा स्वर्ग को जाता था। ऐसा भी माना जाता है कि जो लोग स्वर्ग जाने के योग्य नहीं होते थे, वह इस रास्ते को पार नहीं कर पाते थे।
विज्ञान की दृष्टि से-
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वैज्ञानिकों का मानना है कि इसके पीछे चुंबकीय बल सिद्धांंत काम करता है। इस सिद्धांत के अनुसार यह माना जा रहा है कि पहाड़ी से कोई मजबूत चुंबकीय शक्ति निकल रही है जो कि वाहनों को अपनी सीमा के भीतर खींच रही है। बताया जाता है कि अतीत में इस पहाड़ी क्षेत्र में भारतीय वायु सेना के विमानों को अपने मार्ग तक बदलने पड़ गए थे ताकि उन पर इस चुंबकीय शक्ति का कोई प्रभाव न पड़े।
ऑप्टिकल इल्ल्युजन थ्योरी-
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एक अन्य प्रचलित थ्योरी के अनुसार यह पहाड़ एक ख़ास तरह का दृष्टिटभ्रम पैदा करता है, जिसकी वजह से पहाड़ की ढलान ऊपर की तरफ जाती हुई प्रतीत होती है। मतलब यह कि जब इस ढलान से वाहन नीचे जा रहे होते हैं तब वह दृष्टिभ्रम की वजह से लोगों को ऊपर आते नजर आते हैं। हालांकि यह तथ्य चुम्बकीय आकर्षण वाले तथ्य से बिलकुल भिन्न है, लेकिन फिर भी काफी लोग इसे मानते हैं।
इन बातों का रखें ध्यान-
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इस चुंबकीय पहाड़ी पर जाने के लिए आप सड़क, रेल , हवाई जहाज कोई भी विकल्प अपनी दूरी और सुविधा के अनुसार तय कर सकते हैं। जब आप इस पहाड़ी को देखने के लिए जा रहे हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि यह एक बंजर क्षेत्र है, जहां आप हर वक्त आना- जाना नहीं कर सकते हैं। इस क्षेत्र में कोई व्यव्स्थित रेस्त्रां और दुकान भी नहीं है, इसलिए अपना जरूरत का सारा सामान अपने साथ लेकर ही जाएं।
कब जाएं मैग्नेटिक हिल-
इस रहस्यमय पहाड़ी पर अपनी रोमांचकारी यात्रा पर जाने के लिए सबसे अच्छा समय जुलाई से सितंबर तक का है. वर्ष के इस समय सड़कें साफ होती हैं और लद्दाख और इसकी सुंदरता का पता लगाने के लिए यहां मौसम सही होता है.
मैग्नेटिक हिल की लोकेशन-
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14,000 फीट की ऊंचाई पर सुंदर बैठे, ट्रांस-हिमालयी क्षेत्र में लेह-कारगिल-बाल्टिक राष्ट्रीय राजमार्ग पर चुंबकीय हिल स्थित है. सिंधु नदी चुंबकीय हिल के पूर्व में बहती है और आसपास के चित्र का पूर्ण फ्रेम बनाती है. अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता और रहस्यमय चुंबकीय क्षमताओं के साथ लद्दाख में चुंबकीय सड़क है, जहां यात्री अजीब, गुरुत्वाकर्षण-विचलित करने वाली घटना का अनुभव करने के लिए रुकते हैं. मैग्नेटिक हिल रोड, लद्दाख से कुछ मीटर की दूरी पर चुंबकीय सड़क पर एक पीले रंग का बॉक्स चिन्हित किया गया है जो बताता है कि वाहन को न्यूट्रल गियर में पार्क किया जाना चाहिए.
प्रमुख आकर्षण-
गुरुद्वारा पत्थर साहिब-
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लेह-निमू मार्ग पर स्थित यह गुरुद्वारा एक बहुत खूबसूरत और प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। कहा जाता है कि 1517 में गुरु नानक देव जी को यहां आने के लिए मनाने हेतु इस गुरुद्वारे का निर्माण कराया गया था। यहां एक विशाल चट्टान को पवित्र कपड़े में लपेट कर रखा गया है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इस चट्टान पर गुरु नानक देव जी के कन्धों, सिर, पीठ और पैरों के निशान मौजूद हैं। वर्तमान में भारतीय सेना इस गुरुद्वारे की देख-रेख करती है।
बस्गो मोनेस्ट्री-
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लेह के बस्गो इलाके में स्थित यह मोनेस्ट्री मुख्य रूप से नामग्याल शासकों के लिए बनवाई गयी थी और आज प्रतिवर्ष यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु और सैलानी आते हैं। मैगनेटिक हिल्स की तरफ जाते हुए बीच में यहां रुक कर थोड़ा विश्राम करके तरो ताज़ा हुआ जा सकता है।
क्या करें-
घूमें नेय घाटी-
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कुदरत को करीब से देखने के लिए यह एक बेहद दिलकश और दिलचस्प स्थान है। हरे-भरे, ऊंचे-ऊंचे पहाड़ इस प्रसिद्ध पर्यटन स्थल को हमेशा सैलानियों से गुलज़ार रखते हैं।
यांग गोम्पा-
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मूलरूप से यह एक बौद्ध मठ है जो फीआंग नामक गांव में स्थित है। 1515 में निर्मित यह बौद्ध मठ लेह के पश्चिम में करीब 15-16 किलोमीटर की दूरी पर लद्दाख में है।
आल्ची मोनेस्ट्री-
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लेह में ही स्थित यह एक अन्य प्रसिद्ध बौद्ध मठ है। यहां का आध्यात्मिक और अलौकिक माहौल इस स्थान को बेहद ख़ास बना देता है तथा यहां आने वाले सभी यात्रियों को असीम शांति का अनुभव कराता है।
कैसे पहुंचे
हवाई मार्ग. लेह इंटरनेशनल हवाई अड्डा, यहां से सबसे निकटतम हवाई पट्टी है जो देश के अन्य हवाई अड्डों से बहुत अच्छी तरह से जुड़ा है। यहां से आप टैक्सी या किसी अन्य स्थानीय परिवहन द्वारा लद्दाख पहुंच सकते हैं।
सड़क मार्ग. यहां आने के लिए अगर दिल्ली-मनाली-लेह हाईवे लेते हैं तो निश्चित रूप ये यह सबसे सुविधाजनक विकल्प माना जाएगा। हालांकि हिमाचल प्रदेश से राज्य परिवहन बस सेवा और प्राइवेट बसों द्वारा भी यहां पहुंचा जा सकता है।
रेल मार्ग. लेह से करीब 700 किमी दूर स्थित जम्मू तवी रेलवे स्टेशन, यहां से सबसे नजदीक रेलवे स्टेशन है। यह जगह दिल्ली सहित देश के कई अन्य शहरों से रेल मार्ग द्वारा बहुत अच्छी तरह से जुड़ी है।
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