उत्तराखंड का नाम जेहन में आते ही शरीर पुलकित हो उठता है ,अभूतपूर्व प्राकृतिक की छटा बादलों में समिटते पर्वत चीड़ व देवदार वृक्षों के घने जंगल ,जलकल करते झरने वा चट्टानों से टकराते हुए बहती नदियां ,कोलाहल करते पंछी.
उत्तराखंड को देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है! इसी देवभूमि में स्थित है! गुरुद्वारा नानकमत्ता साहिब जी , गुरुद्वारा नानकमत्ता सिक्खों के गुरु परम पूज्य श्री गुरु नानक देव जी तपोस्थली है. जहां पर गुरु नानक देव जी ने ज्ञान व उपदेश दिए! नानकमत्ता साहिब गुरुद्वारा की बनावट व खूबसूरती देखते ही बनती है, गुरुद्वारा की सुंदरता मन को मोह लेती है! यहां पर ध्यान व सुंदर दर्शन मात्र से ही मन को शांति प्राप्त होती है! यहां पर लाखों श्रद्धालु माथा टेकने आते रहते हैं यहां पर लंगर में खाना व प्रसाद वितरण होता रहता है! यहां समय समय पर विशाल मेले का आयोजन होता रहता है जो कि देश विदेश से लोग यहां पर माथा टेकने के लिए आते रहते हैं, नानकमत्ता गुरुद्वारा के समीप अन्य दार्शनिक स्थल पर जाकर मन की शांति का अनुभव किया जा सकता है!
यहां पर प्राकृतिक का एक दूसरा रूप भी देखने को मिलेगा जिसे नानक सागर लेक के नाम से विख्यात है, इस विशाल लेक को हम उत्तराखंड का समुद्र वह सागर कह सकते हैं, सागर की तरह विशाल चारों ओर पानी व हवाओं के झोंके से नानक सागर में उठती लहरें मन मोह लेती हैं, एक रोमांच का एहसास होता है ,नाना सागर मे समुंद्र की तरह उठती लहरों की ठंडी ठंडी हवाओं साथ ही, नौका विहार, स्ट्रीमर यात्रा, तथा प्राकृतिक आनंद दोस्तों व समस्त परिवार के साथ व्यतीत किया जा सकता है । नानक सागर के खूबसूरत नजारे देखकर मन व आंखों को सुकून मिलता है यहां किसी भी समय आया जा सकता है
नानकमत्ता गुरुद्वारा व नानक सागर लेक उत्तराखंड के उधम सिंह नगर के खटीमा रेलवे स्टेशन से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है ,तथा यह सड़क मार्ग से भी कनेक्ट है ,जोकि सितारगंज खटीमा के बीच में स्थित है