कोरोना काल में सुरक्षित, कुदरती नजारों के बीच गुजारना चाहते है वक्त तो परफेक्ट डेस्टिनेशन है कानाताल

Tripoto
3rd Jun 2021
Photo of कोरोना काल में सुरक्षित, कुदरती नजारों के बीच गुजारना चाहते है वक्त तो परफेक्ट डेस्टिनेशन है कानाताल by Pooja Tomar Kshatrani
Day 1

कानाताल एक छोटा सा गाँव है जो उत्तराखंड के टेहरी गढवाल जिले में चंबा – मसूरी हाइवे (महामार्ग) पर स्थित है। यह सुंदर गाँव समुद्र सतह से 8500 फुट की ऊँचाई पर स्थित है। आसपास रहने वाले लोगों के लिए यह एक प्रसिद्द सैरगाह है। हरा भरा वातावरण, बर्फ से ढंके पहाड़, नदियाँ और जंगल इस स्थान की सुंदरता को बढ़ाते हैं।

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उत्तराखंड को देवों की भूमि कहा जाता है। इस प्रदेश में कई धार्मिल स्थल हैं, जो अपनी विशेषताओं के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं। हर साल हजारों की संख्या में पर्यटक और श्रद्धालु उत्तराखंड आते हैं। साथ ही उत्तराखंड में कई विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हैं। इनमें एक पर्टयन स्थल कानाताल है। इस जगह के बारे में बहुत कम लोगों को पता है। फ़िलहाल कोरोना महामारी की दूसरी लहर के चलते सभी पर्यटन स्थलों को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया है। इससे पहले साल 2020 में भी कोरोना महामारी के चलते कई महीनों तक पर्यटन स्थलों को बंद कर दिया गया था। जब स्थिति सामान्य हुई, तो पर्यटन स्थलों को खोला गया। वर्तमान समय में कई राज्यों में अनलॉक प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। जानकारों की मानें तो आने वाले दिनों में (स्थिति सामान्य होने पर) पर्यटन स्थलों को खोल दिया जाएगा। अगर आपको कानाताल के बारे में नहीं पता है, तो आइए जानते हैं-

कानाताल कहां स्थित है-

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उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से 80 किलोमीटर दूर एक छोटा सा गांव है। इस गांव को दुनिया कानाताल के नाम से जानती है। यह जगह मसूरी से 12 किलोमीटर दूर है। यह पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। चंबा और मसूरी की राजमार्ग पर स्थित कानाताल दिल्ली से 300 किलोमीटर दूर है। दिल्ली के आसपास के ट्रैकिंग और नेचर लवर के शौक़ीन पर्यटकों के लिए यह परफेक्ट डेस्टिनेशन है। है। यहां ठहरने की उत्तम व्यवस्था है।

कोदिआ जगंल

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कानाताल में कोदिआ जगंल स्थिल है। इस वन में ट्रैकिंग का आनंद उठा सकते हैं। काफी संख्या में पर्यटक इस जंगल में पिकनिक सेलेब्रेट करते हैं। साथ ही सुरकंडा देवी मंदिर स्थित है। इस मंदिर मां सती को समर्पित है। यह 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ है, जो अपनी वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। धार्मिक मान्यता है कि मां सती का मस्तिष्क यहीं पर आकर गिरा था। यह मंदिर हिमलाय से घिरा है। पर्यटकों के लिए कानाताल किसी एडवेंचर स्थल से कम नहीं है।

सुरकण्डा माता मंदिर

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टेहरी बांध देश का सबसे ऊँचा बांध है जो कि भागीरथी नदी पर बना है। बांध के जलाशय में सरकार ने वॉटर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स का निर्माण करवाया है जहां विभिन्न जल क्रीडा जैसे स्पीड बोट, जेट स्की, बनाना राइड, नौकायान इतियादी का आनंद के लिए पर्यटक हर समय आते हैं। चारों तरफ से घिरे ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों के बीच नीले पानी में जलक्रीड़ा करने का आनंद अद्भुत है। टेहरी बांध आधुनिक भारत का अजूबा है। कानाताल से टेहरी बांध की दूरी 35 किमी है।

टेहरी बांध

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टेहरी बांध देश का सबसे ऊँचा बांध है जो कि भागीरथी नदी पर बना है। बांध के जलाशय में सरकार ने वॉटर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स का निर्माण करवाया है जहां विभिन्न जल क्रीडा जैसे स्पीड बोट, जेट स्की, बनाना राइड, नौकायान इतियादी का आनंद के लिए पर्यटक हर समय आते हैं। चारों तरफ से घिरे ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों के बीच नीले पानी में जलक्रीड़ा करने का आनंद अद्भुत है। टेहरी बांध आधुनिक भारत का अजूबा है। कानाताल से टेहरी बांध की दूरी 35 किमी है।

अन्य पर्यटक स्थल: कानाताल से धनोल्टी, मसूरी, चम्बा आदि जैसे प्रमुख पर्यटन स्थल आसानी से जाये जा सकता है।

कैसे पहुचें: कानाताल पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा देहरादून (90 किमी) है जो दिल्ली व मुंबई से हवाई मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है । जबकि नज़दीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश (80 किमी) और देहरादून (90 किमी) है। बस व टैक्सी द्वारा देहरादून, ऋषिकेश, हरिद्वार, दिल्ली, मसूरी आदि स्थानों से आसनी से पहुंचा जा सकता है।

कहाँ रुकें: यहाँ रुकने के लिए सभी श्रेणी के रिसोर्ट, कॉटेज, कैंप साइट व होमस्टे उपलब्ध हैं। पर ग्रामीणों के साथ उनके घरों में रुकना सबसे अच्छा साबित होगा।

कब जाएं: मार्च से जून व अक्टूबर से दिसंबर कानाताल जाने का सबसे उपयुक्त समय है।

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