आज हम आप आपको एक ऐसे देवी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो 1965 में भारत-पाक युद्ध का गवाह है। यह मंदिर राजस्थान के जैसलमेर में स्थित है। इस मंदिर को तनोट राय माता मंदिर के नाम से जाना जाता है। बताया जाता है कि यहां से पाकिस्तान बॉर्डर मात्र 20 किलोमीटर है।
बीएसएफ की आराध्य हैं
देवी मां बताया जाता है कि तनोट माता बीएसएफ की आराध्य हैं। बीएसएफ के जवान ही मंदिर की देखरेख करते हैं। बताया जाता है कि 1965 के युद्ध में पाकिस्तानी सेना की ओर से माता मंदिर के इलाके में करीब 3000 बम गिराए थे, लेकिन मंदिर को कोई नुकसान नहीं हुआ और सभी बम बेअसर हो गए थे।
चमत्कार देख झुक गया था पाकिस्तानी ब्रिगेडियर मंदिर परिसर में आज भी करीब 450 पाकिस्तानी बम आम लोगों के देखने के लिए रखे गए हैं। बताया जाता है कि ये सभी बम उस समय फटे ही नहीं थे। 1965 के युद्ध के दौरान माता के चमत्कारों को देखकर पाकिस्तानी ब्रिगेडियर शाहनवाज खान नतमस्तक हो गया। दर्शन की मांगी अनुमति
इसके बाद पाकिस्तानी ब्रिगेडियर शाहनवाज खान तनोट राय माता मंदिर के दर्शन के लिए भारत सरकार से अनुमति मांगी। बताया जाता है कि करीब ढाई साल बाद उसे दर्शन को अनुमति मिली। इसके बाद शाहनवाज खान ने माता की प्रतिमा के दर्शन किए और मंदिर चांदी का छत्र भी चढ़ाया, जो आज भी मंदिर में है।
विजय स्तंभ भी है यहां
इतिहास...
मंदिर के एक पुजारी ने मंदिर के इतिहास के बारे में उल्लेख किया कि बहुत समय पहले एक मामड़िया चारण नाम का एक चारण था, जिनके कोई 'बेटा-बेटी' अर्थात कोई संतान नहीं थी, वह संतान प्राप्ति के लिए लगभग सात बार हिंगलाज माता की पूरी तरह से पैदल यात्रा की। एक रात को जब उस चारण (गढवी ) को स्वप्न में आकर माता ने पूछा कि तुम्हें बेटा चाहिए या बेटी , तो चारण ने कहा कि आप ही मेरे घर पर जन्म ले लो। हिंगलाज माता की कृपा से उस चारण के घर पर सात पुत्रियों और एक पुत्र ने जन्म लिया। इनमें से एक आवड मा थी जिनको तनोट माता के नाम से जाना जाता है।
इस मां के इस मंदिर का रख-रखाव सीमा सुरक्षा बल ( BSF ) ही करता है। 1965 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध की याद में एक विजय स्तंभ का भी निर्माण किया गया है। ये स्तंभ भारतीय सेनिकों की वीरता की याद दिलाता है।
कैसे पहुंचे यहां?
अगर आप तनोट माता के दर्शन करना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले राजस्थान के जैसलमेर पहुंचना होगा। यहां पहुंचने के लिए देशभर से आवागमन के लिए कई साधन आसानी से मिल जाते हैं। जैसलमेर से करीब 130 किमी दूर तनोट माता मंदिर है। मंदिर पहुंचने के लिए आप जैसलमेर से प्राइवेट कार से जा सकते हैं। इसके अलावा राजस्थान रोडवेज की बस भी तनोट जाती है।
परिचय पत्र जरूर साथ लेकर जाएं
ये इलाका बहुत ही संवेदनशील है। यहां सीमा सुरक्षा बल आने-जाने वाले श्रद्धालुओं पर कड़ी नजर रखता है। ऐसे में आपके पास परिचय पत्र होना बहुत जरूरी है। इसकी मदद से आप यहां होने वाली जांच में परेशानियों से बच सकते हैं।
मंदिर में श्रद्धालुओं के ठहरने की व्यवस्था भी
अगर कोई श्रद्धालु यहां रुकना चाहता है तो उसके लिए यहां रुकने की पर्याप्त व्यवस्था भी है। यहां विश्राम गृह बना हुआ है, जिसमें आप ठहर सकते हैं।
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