'जैसलमेर' शब्द सुनते ही आपके मन मे अनेक चीजे आ जायेगी जैसे कि ऊंट ,रेगिस्तान , कम पानी ,बॉर्डर और पी. के. फिल्म ,रंगीली पगड़ी बांधे यहाँ के लोग और 'खम्मा घणी'।अगर आप कभी जैसलमेर घूम चुके हैं तो आपको पता लग जायेगा कि बॉलीवुड मे दिखाए गए 'जैसलमेर' से असल 'जैसलमेर' कई गुना खूबसूरत हैं और यहाँ ऐसी जगहे भी हैं जिन्हे इन बॉलीवुड फिल्मों मे दिखाया नहीं गया हैं।इसीलिए कई लोग यहाँ की एडवेंचर गतिविधियों से अनजान हैं।
सबसे पहले तो आपको ये बता दूँ कि जैसलमेर शहर मे 'मरुस्थल' का आनंद लेने के लिए कोई जगह नहीं हैं। अगर आपको वो फिल्मों मे दिखाए जाने वाले 'रेत के समंदर से टीले' का आनंद लेना हैं तो आपको जैसलमेर शहर से बाहर जाना होगा। रेत के टीलों का आनंद लेने के लिए मुख्य रूप से यहाँ दो जगहे हैं - खुड़ी गाँव और सम गाँव। वैसे तो ये दोनों जैसलमेर जिले मे ही आते हैं पर इन दोनों मे से सबसे ज्यादा प्रसिद्द जो है वो जगह हैं -सम गांव के टीले। (sam sand dunes)
Sam village area :
यह जगह उन पर्यटकों के लिए सबसे अच्छी हैं जिन्हे शहर से दूर कुछ एकांत पसंद हैं क्योकि यह जगह जैसलमेर शहर से करीब 40 किमी दूर हैं। यहाँ जाने के लिए आपको कोई कैब या मोटरसाइकिल किराए लेनी होगी। आप खुद की गाड़ी मे भी यहाँ जा सकते हैं। यह 40 किमी का रास्ता किसी ड्रीम रोड ट्रिप से कम नहीं लगता हैं। क्योकि पूरा रास्ता दोनों तरफ से केवल रेत और छोटी छोटी झाड़ियों से भरा मिलता हैं। दूर दूर तक कोई गाँव ,दूकान या ग्रामीण लोग नहीं दिखते हैं।सड़के रोलर कोस्टर की तरह कभी ऊपर तो कभी नीचे एवं कई किलोमीटर दूर की सड़क भी आपकी आँखों के सामने एक सीधी लाइन की तरह दिखती हैं।किस्मत अच्छी हुई तो आपको ब्लैक बक (black buck) भी दिखाई दे सकता हैं।
सड़क के दोनों तरफ के रेतीलें मैदानों मे लगी सैकड़ों पवन चक्कियां रास्ते की खूबसूरती पर चार चाँद लगा देती हैं।आप सोच रहे होंगे कि ये सड़क के दोनों तरफ रेतीले मैदान पुरे रास्ते दिखते हैं तो हम वहा क्यों नहीं रुक कर आनंद ले सकते हैं ? तो इसका जवाब ये हैं कि ये रेतीले मैदान ज्यादा ऊँचे नहीं होते हैं और दूसरा इनमे कई सारी छोटी छोटी झाड़ियां लगी होती हैं तो आप उस रेत मे कोई खेलकूद नहीं कर सकते।
जैसलमेर से सम तक के रास्ते मे से ही बीच मे एक रास्ता 'कुलधरा -शापित गांव ' की और जाता हैं एवं सम से आगे का रास्ता ही पाकिस्तान बॉर्डर पर स्थित चमत्कारी 'तनोट माता मंदिर ' की ओर जाता हैं। जैसे ही आप सम गाँव के नजदीक पहुंचने लगते हैं रास्ते के दोनों ओर कई सारे छोटे छोटे बोर्ड्स पर आपको वहां के कैम्प्स और एडवेंचर गतिविधियों के विज्ञापन नजर आने लग जायेंगे।
'सम' कोई सामान्य गावों जैसा क्षेत्र नहीं हैं जहाँ छोटी छोटी झोपड़ियां ,दुकाने या खेत हो। यह इलाका केवल और केवल पर्यटकों के लिए बसाया गया हैं। यहाँ प्रवेश होने के आधा किमी दूर से ही पठानी सूट पहने कई लोग अपनी बाइक से आपके आगे पीछे पड़ जायेंगे। दरअसल ,ये वहां उपस्थित कैम्प्स के एजेंट होते हैं जो आपको उनके कैंप मे आने पर कई प्रकार सुविधाएं देने के बारे मे बताते हैं। पर्यटन इलाके मे प्रवेश करते ही आप अपने बायीं तरफ तो विशाल रूप मे फैला हुआ रेगिस्तान देख पाएंगे और दायी तरफ सफ़ेद रंग के अलग अलग कई सैकड़ों कैंप और टेंट्स पाएंगे।मतलब इन कैम्प्स के एकदम सामने की ओर रेतीले मैदान हैं जो आप अपने कैंप के क्षेत्र से ही आसानी से देख सकते हैं।सड़को के किनारो पर कई खुली जीप मे पर्यटक सफारी के लिए जाते हुए दिखेंगे तो कई पर्यटक ऊंट की सवारी करते हुए नजर आएंगे।यह कैंप का इलाका इसी मुख्य रोड पर करीब दो किमी तक फैला हैं। जिसमे अलग अलग एजेंसी के अपने अपने निर्धारित क्षेत्र मे अपने अपने कैंप के समूह हैं।
Camping in desert:
आपको सम मे अगर रात गुजारनी हैं तो आपको एक एजेंसी चुन कर उन्ही के कैम्प्स मे रहना होता हैं।हर एक एजेंसी के कैम्प्स अपनी अपनी बॉउंड्री मे ही बने होते हैं जो कि काफी फैली होती हैं। आपको यहाँ से पैकेज लेना होता हैं जिसमे आपको - कैंप मे रहना ,डिनर एवं ब्रेकफास्ट ,जीप सफारी ,कैमल सफारी एवं रात्रि मे राजस्थानी नृत्य एवं लोकगीत कार्यक्रम देखने की सुविधा मिलती हैं। यह पैकेज प्रति व्यक्ति प्रति रात 1000 रूपये से 2000 रूपये तक का होता हैं।रकम का यह अंतर् केवल इस बात पर निर्भर करता हैं कि आपको कैसे कैंप चाहिए। मतलब आपको कपड़े से बने कैंप से लेकर ईंटों के बने पक्के कमरे की तरह के कैंप भी मिल जायेंगे। बाकी सब सुविधाएं लगभग एक जैसी होती हैं।
हर एक कैंप मे आपको पलंग ,कुर्सियां ,टेबल्स ,चार्जिंग पॉइंट ,अटैच लेट-बाथ की सुविधाएं मिलती हैं।सारे कैंप एक दूसरे के एकदम पास पास ही बने हुए मिलते हैं।आपके चुने हुए समय पर आपको जीप सफारी ,कैमल सफारी के लिए बुलवा लिया जाता हैं।इन कैंप साइट्स मे रुकने के दौरान दो सबसे यादगार समय जो आप बिताओगे उनमे से एक तो होगा रात्रि के समय के सांस्कृतिक प्रोग्राम और दूसरा देर रात को कैम्प्स के सामने के टीलों की ठंडी ठंडी रेत पर बैठ कर आसमान के तारों को निहारना।
सारे कैम्प्स के समूह के पास ही एक छोटे से स्टेडियम मे रात्रि को यहाँ कालबेलिया नृत्य ,ऊंटों का नृत्य ,कैम्पफ़ायर ,घोड़ो का नृत्य , लाइव म्यूजिक और कई रोमांचक कलाकारियों का आयोजन किया जाता हैं।इस दौरान अपने अपने टेंट से निकलकर सभी पर्यटक यहाँ चारो ओर बने स्थानों पर बैठ कर कोल्ड ड्रिंक ,डिनर ,बीयर आदि के साथ इस आयोजन का आनंद लेते दिख जाते हैं। डिनर मे आपको राजस्थान की प्रसिद्द कई सारी डिश परोसी जायेगी। आपको यहाँ जैन खाना भी मिल जाएगा।यह कार्यक्रम करीब 2 से 3 घंटे तक का होता हैं। जिसके बाद आप अपनी कैंपसाइट से बाहर निकलकर सामने स्थित विशाल रेगिस्तान के टीलों पर बैठ कर शान्ति और सुकून महसूस कर सकते हैं।
Adventure Activities :
जीप सफारी सम का सबसे बड़ा आकर्षण हैं। जीप सफारी मे आपको एक खुली जीप मे कुछ किलोमीटर दूर स्थित रेत के टीलों के बीचोबीच ले जाय जाता हैं। जीप सफारी का सबसे अच्छा समय सूर्यास्त से पहले का होता हैं। जीप सफारी का समय 45 मिनट का दिया जाता हैं ,पर इसमें आप पहले यह तय करले कि इस 45 मिनट मे आने जाने का समय नहीं गिना जाएगा। क्योंकि करीब 25 मिनट तो जीप सफारी के लिए आने जाने मे खर्च हो जाते हैं और फिर आपको वहां रेगिस्तान के बीच ज्यादा वक्त नहीं मिल पाता। आपको यह जीप आपकी कैम्पसाइट से लेकर जाती हैं। एक गाडी मे ज्यादा से ज्यादा 6 लोग बैठते हैं। असल मे आपको बैठना नहीं होता हैं बल्कि गाडी मे पीछे खड़े रहकर रेगिस्तान के बीच बहुत ही तेज गति से भागती इस गाडी की सवारी होने का आनंद लेना होता हैं।
टीलों मे प्रवेश करते ही ये गाड़ियां तेज स्पीड से भगायी जाती है। कभी टीलों के ऊपर ,कभी अचानक तेजी से निचे गाडी को ऊपर से निचे उतरना ,कभी अचानक तेज चलती हुई गाडी को पूरा मोड़ देना , इन सब चीजों का मजा भारत मे केवल यही मिलता हैं। कई लोग अपनी बड़ी बड़ी गाड़ियां भी यहाँ लाकर खुद उन्हें चला कर यहाँ ये सब एडवेंचर वो खुद करते हैं। बीच मे एक जगह गाडी रोकी जाएगी ,जहाँ एक छोटी सी झोपडी की तरह बनी एक चाय की थड़ी पर चाय ,कोल्ड ड्रिंक ले सकते हैं। चारो तरफ रेगिस्तान से गिरे आप और उसपर यहाँ चाय ,ये चीज एक लाइफटाइम मेमोरी बन जाती हैं। यही से आप सूर्यास्त का खूबसूरत नज़ारे का भी लुत्फ़ उठा सकते हैं। यह जीप सफारी करीब एक घंटे चलती हैं पर आप कुछ एक्स्ट्रा पेमेंट देकर वहा रेगिस्तान मे ज्यादा टाइम भी गुजार सकते हैं।
जीप सफारी के अलावा कैमल सफारी यहाँ का सबसे प्रसिद्द एडवेंचर हैं। इसमें आपको ऊंट पर बिठाकर रेगिस्तान के अंदर काफी दूर दूर तक ले जाय जाता हैं। आपके बोलने पर ऊंट के चालक ऊंट को रेगिस्तान मे दौड़ाते भी हैं।ये लोग आपको ये भी बताते हैं कि ये लोग ऊंट को अपनी बात समझाने के लिए क्या क्या शब्द बोलते है।
जीप सफारी और कैमल सफारी के अलावा आप यहाँ पेरासेलिंग और हॉट एयर बेलून राइड का भी मजा काफी कम पैसों मे ले सकते हैं।
इस यात्रा के दौरान ये सावधानियां रखे-
1.यहाँ दूर दूर तक कई किलोमीटर तक कोई आबादी ना होने के कारण आपके पास पीने के पानी की बोतले हमेशा साथ रखे।
2.कैमल सफारी के समय कई बार आपको चालक आपको ऊंट पर फिल्म साइट पर ले जाने के लिए एक्स्ट्रा पैसों की डिमांड करते हैं। लेकिन वहां ऐसी कोई जगह नहीं हैं वो केवल आपको एक दो टीलें और मैदान के पास ले जाकर बोलेगा कि यहाँ 'बजरंगी भाईजान ' या 'बॉर्डर' की शूटिंग हुई हैं।ध्यान रखे ,यह केवल पैसों की बर्बादी साबित होगी।
3.अपनी गाडी को पार्क करते समय ध्यान रखे कि ज्यादा रेत मे पार्क ना करदे। अगर वहां गाडी पार्क हो गयी तो फिर वो रेत मे फंस जायेगी और कई लोगो की मदद और मशक्क्त के बाद वो बाहर निकलेगी।
4.कई किलोमीटर की खाली और बढ़िया सड़क देखकर आप गाडी ज्यादा तेज चलाने की कोशिश न करे। क्योकि वहा कई जगह बीच रास्तों मे ट्रैफिक पुलिस अपने स्पीड सेंसर के साथ मिल जायेंगे और इन्ही रेगिस्तान के खूबसूरत धोरों के बीच आप पर बहुत बड़ा जुर्माना लगाया जायेगा।
5.अपनी कैंप साइट वही जाकर ही बुक करे। क्योकि कुछ कैंप साइट ही ऐसी हैं जिसके आसपास रेतीले धोरे हैं। आप वो कैंप साइट ले जहाँ सामने ही रेतीले धोरे मिले ताकि रात को देर तक आप पैदल ही वहा जाकर घूम सके।
कैसे पहुंचे : जैसलमेर से कैब या बाइक रेंट पर लेकर।
उचित समय : सितम्बर से मार्च मिड तक।
अन्य नजदीकी प्रसिद्ध पर्यटक स्थान : सोनार किला , तनोट माता मंदिर ,खाबा फोर्ट ,कुलधरा -शापित गांव ,भारत पाकिस्तान बॉर्डर ,लोंगेवाला युद्ध स्थल।
-ऋषभ भरावा (लेखक,पुस्तक -'चलो चले कैलाश')