ऐसा चमत्कारी मंदिर जो पलक झपकते हो जाता हैं सामने से गायब, जानिए इस अनोखे मंदिर का प्राचीन रहस्य?

Tripoto
28th May 2021
Photo of ऐसा चमत्कारी मंदिर जो पलक झपकते हो जाता हैं सामने से गायब, जानिए इस अनोखे मंदिर का प्राचीन रहस्य? by Smita Yadav
Day 1

भारत के मंदिर दुनियाभर में मशहूर हैं। मंदिरों की साज-सज्जा, उनसे जुड़ी पौराणिक कथाएं और मूर्तियों की बनावट भक्तों को आश्चर्यचकित करने का कोई मौका नहीं छोड़ती हैं। अभी तक आपने कई प्राचीन मंदिरों और उनसे जुड़े किस्से सुने होंगे। कुछ मंदिर प्राचीन काल के किसी रहस्य के कारण प्रसिद्ध होते हैं तो वहीं कुछ अपने चमत्कारों के लिए जाने जाते हैं। गुजरात का ऐसा ही एक खास मंदिर अपने एक अनोखे चमत्कार के लिए काफी मशहूर है। तो आइए जानते हैं एक अनोखे मंदिर के बारे में।

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भगवान शिव का चमत्कारी मंदिर

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भारत में भगवान शिव के कई मंदिर हैं। गुजरात का स्तंभेश्वर महादेव मंदिर अपने एक अनोखे चमत्कार के लिए मशहूर है। दरअसल, भगवान शिव का यह मंदिर दिन में दो बार अपने भक्तों को दर्शन देने के बाद समुद्र की गोद में समा जाता है। यह खास मंदिर गुजरात के कावी- कंबोई गांव में स्थित है। यह गांव अरब सागर के मध्य कैम्बे तट पर है। यह चमत्कारी मंदिर सुबह और शाम, दिन में सिर्फ दो बार ही नज़र आता है। शिव जी के भक्तों को उनके दर्शन करवाने के बाद यह मंदिर समुद्र में लुप्त हो जाता है। कहा जाता है कि यह मंदिर किसी के प्रायश्चित करने का नतीजा है, जिसका उल्लेख शिवपुराण में भी मिलता है और इसी वजह से यह गायब हो जाता है।

श्री महाशिवपुराण में मिलता है मंदिर का उल्लेख

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शिवपुराण में किए गए विशेष उल्लेख के मुताबिक, ताड़कासुर नामक एक शिव भक्त असुर ने भगवान शिव को अपनी तपस्या से प्रसन्न किया था। बदले में शिव जी ने उसे मनोवांछित वरदान दिया था, जिसके अनुसार उस असुर को शिव पुत्र के अलावा कोई नहीं मार सकता था। हालांकि, उस शिव पुत्र की आयु भी सिर्फ छह दिन ही होनी चाहिए। यह वरदान हासिल करने के बाद ताड़कासुर ने तीनों लोकों में हाहाकार मचा दिया था। इससे परेशान होकर सभी देवता और ऋषि- मुनि ने शिव जी से उसका वध करने की प्रार्थना की थी उनकी प्रार्थना स्वीकृत होने के बाद श्वेत पर्वत कुंड से 6 दिन के कार्तिकेय उत्पन्न हुए थे। कार्तिकेय ने उनका वध तो कर दिया था पर बाद में उस असुर के शिव भक्त होने की जानकारी मिलने पर उन्हें बेहद शर्मिंदगी का एहसास भी हुआ था।

कार्तिकेय के प्रायश्चित का नतीजा है मंदिर

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पौराणिक मान्यता के अनुसार, कार्तिकेय को जब शर्मिंदगी का एहसास हुआ तो उन्होंने भगवान विष्णु से प्रायश्चित करने का उपाय पूछा था। इस पर भगवान विष्णु ने उन्हें उस जगह पर एक शिवलिंग स्थापित करने का उपाय सुझाया था, जहाँ उन्हें रोज़ाना माफी मांगनी होगी। इस तरह से उस जगह पर शिवलिंग की स्थापना हुई थी, जिसे बाद में स्तंभेश्वर मंदिर के नाम से जाना गया। यह मंदिर रोजाना समुद्र में डूब जाता है और फिर वापिस आकर अपने किए की माफी भी मांगता है। स्तंभेश्वर महादेव में हर महाशिवरात्रि और अमावस्या पर खास मेला लगता है। इस मंदिर में दर्शन करने के लिए एक पूरे दिन का समय निश्चित करना चाहिए, जिससे कि इस चमत्कार को देखा जा सके।

मंदिर के समुद्र में डूब जाने का कारण

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हालांकि आंखों के सामने से गायब होने के कुछ समय बाद ही ये मंदिर अपने स्थान पर नजर आने लगता है। वैसे यह कोई चमत्कार नहीं, बल्कि प्रकृति की एक मनोहारी परिघटना है। ऐसा कुछ लोगों का मनना भी हैं। समुद्र किनारे मंदिर होने की वजह से जब भी ज्वार-भाटा उठता है, तब पूरा मंदिर समुद्र में समा जाता है। यही वजह है कि लोग मंदिर के दर्शन तभी तक कर सकते हैं, जब समुद्र में ज्वार कम हो। ऐसा बरसों से होता आ रहा है यह आज की बात नहीं है। ज्वार के समय समुद्र का पानी मंदिर के अंदर आता है और शिवलिंग का अभिषेक कर वापस लौट जाता है। यह घटना प्रतिदिन सुबह और शाम को घटित होती है।

कैसे पहुंचे?

यह मंदिर गुजरात के प्रमुख शहर वडोदरा से 85 किलोमीटर दूर है यहाँ से मंदिर तक पहुंचने के लिए कई बसें व अन्य साधन आसानी से उपलब्ध रहते हैं। यह एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, आप यहाँ सड़क, रेल और हवाई मार्ग से, किसी भी साधन से अपनी सुविधानुसार आसानी से पहुंच सकते हैं।

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