बरसात के सुहाने मौसम में मानसून पैलेस घूमने का है एक अलग ही मज़ा

Tripoto
27th May 2021
Photo of बरसात के सुहाने मौसम में मानसून पैलेस घूमने का है एक अलग ही मज़ा by Pooja Tomar Kshatrani
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प्राचीन काल से लेकर मध्य काल तक भारत में कुछ ऐसे महल, फोर्ट और पैलेस का निर्माण हुआ, जो आज भी विश्व प्रसिद्ध है। जब भी मध्य काल में निर्मित महल या पैलेस के बारे में जिक्र होता है, तो सबसे पहले राजस्थान का नाम ज़रूर लिया जाता है। इस राज्य में एक से एक बेहतरीन और विश्व प्रसिद्ध महल और पैलेस आज भी लाखों सैलानियों की स्वागत के इंतजार में रहते हैं। यहां ऐसे कई पैलेस ही मौजूद है जो यूनेस्को हेरिटेज में भी शामिल है।

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राजस्थान के उदापुर में एक ऐसा ही पैलेस है, जो आज भी सैलानियों के लिए प्रमुख पर्यटक केंद्र है। जी हां, हम बात कर रहे हैं 'मानसून पैलेस' के बारे में। इन पैलेस के बारे में जितना भी उल्लेख किया जाए उतना ही कम है। इस लेख में हम आपको इस पैलेस के बारे और भी करीब से बताने जा रहे हैं, ताकि जब आप अगली बार उदयपुर घूमने पहुंचें तो यहां ज़रूर पहुंचें। तो आइये जानते हैं।

पैलेस का इतिहास-

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शायद आपको मालूम हो! अगर नहीं, तो आपको बता दें कि मानसून पैलेस को सज्जनगढ़ पैलेस के नाम से भी जाना जाता है। मुख्य शहर से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद मानसून पैलेस का निर्माण सज्जन सिंह ने शुरू करवाया था। लेकिन, कुछ समय बाद सज्जन सिंह का आकस्मिक निधन हो गया है और पैलेस का कार्य रुक गया। फिर इसे 1884 के आसपास महाराणा फ़तेह सिंह ने शुरू किया। लगभग दस साल बाद ये पैलेस बनकर तैयार हुआ।

पैलेस बनवाने के पीछे की कहानी -

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पैलेस बनवाने के पीछे की कहानी को जानने के बाद आप बरसात के मौसम में यहां ज़रूर घूमना पसंद करेंगे। खैर, आपको बता दें कि इसके बनाने के पीछे कई कहानी है। कहा जाता है कि पैलेस का निर्माण ऐसी जगह किया गया जहां से महाराणा फ़तेह सिंह का पैत्रक घर यानी चित्तौड़ का किला दिखाई दें। दूसरा कारण- पैलेस को ऐसी जगह और उंची जगह मिर्माण किया जाए जहां से बादल दिखे और उदयपुर के मौसम का भरपूर आनंद उठाया जा सके हैं। तीसरा कारण- उदयपुर में सूर्योदय और सूर्यास्त देखने के लिए इस पैलेस का भी निर्माण किया गया। (मैसूर पैलेस) चौथा- गरीब लोगों का काम मिल सके हैं, इसे भी ध्यान से रखकर इसका निर्माण किया गया।

पैलेस की वास्तुकला-

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अद्भुत पैलेस का निर्माण भी सैलानियों के प्रमुख केंद्र हो सकता है। इस पैलेस का निर्माण संगमरमर के पत्थरों से किया गया है। इस पैलेस में मुग़ल वास्तुकला से लेकर मेवाड़ी चित्र शैली को आसानी से देखा जा सकता है। इस महल के अंदर कई पार्क भी मौजूद है, जो इसे और भी खास बनाते हैं। इस महल के छत पर आप भी तोप मौजूद है, जिसे आसानी से देखा जा सकता हैं।

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अन्य जानकारी और टिकट के बारे में-

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कहा जाता है कि बरसात के मौसम में अरावली की हरी-भरी और उंचे-उंचे पहाड़ियों के बिच और बादलों से घिरे हुए इस पैलेस को देखने के लिए हजारों सैलानी सपने लिए यहां पहुंचते हैं। इस पैलेस के बगल में मौजूद झील भी इसे और खूबसूरत बनाती है। अगर टिकट के बारे में बात करें तो भारतीय सैलानियों के लिए टिकट की कीमत लगभग 10 रुपये और विदेशी सैलानियों के लिए 150 रुपये हैं। (कूचबिहार पैलेस) सबसे अच्छा टाइम मानसून का समय ही माना जाता है यहां घूमने के लिए।

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