जगन्नाथ भगवान का भोग और उनके धाम की रसोई

Tripoto
23rd May 2021
Photo of जगन्नाथ भगवान का भोग और उनके धाम की रसोई by VIKAS BANSAL JAI SHRI SHYAM
Day 1

#जगन्नाथ धाम, #पुरी की रसोई अत्यंत #अद्भुत है!❤️
#172साल पुराने इस मंदिर के एक एकड़ में फैली #32कमरों वाली इस विशाल रसोई (150 फ़ीट लंबी, 100 फ़ीट चौड़ी और 20 फ़ीट ऊँची) में भगवान् को चढ़ाये जाने वाले #महाप्रसाद को तैयार करने के लिए #752चूल्हे इस्तेमाल में लाए जाते हैं! और लगभग #500रसोइए तथा उनके #300सहयोगी काम करते हैं....ये सारा प्रसाद मिट्टी की जिन सात सौ हंडियों में पकाया जाता है, उन्हें ‘#अटका’ कहते हैं.. लगभग दो सौ सेवक सब्जियों, फलों, नारियल इत्यादि को काटते हैं, मसालों को पीसते हैं.. मान्यता है कि इस रसोई में जो भी भोग बनाया जाता है! उसका निर्माण माता लक्ष्मी की देखरेख में ही होता है।
यह रसोई #विश्व की सबसे बड़ी रसोई के रूप में विख्यात है।
यह #मंदिर की दक्षिण-पूर्व दिशा में स्थित है। भोग पूरी तरह शाकाहारी होता है। मीठे व्यंजन तैयार करने के लिए यहाँ शक्कर के स्थान पर अच्छे किस्म का गुड़ प्रयोग में लाया जाता है!
आलू, टमाटर और फूलगोभी का उपयोग मन्दिर में नहीं होता। जो भी #व्यंजन यहाँ तैयार किये जाते हैं, उनके ‘#जगन्नाथ वल्लभ लाडू’, ‘माथपुली’ जैसे कई अन्य नाम रखे जाते हैं। भोग में प्याज व लहसुन का प्रयोग निषिद्ध है। यहाँ रसोई के पास ही #2कुएं हैं, जिन्हें ‘गंगा’ व ‘यमुना’ कहा जाता है!
केवल इनसे निकले पानी से ही भोग का निर्माण किया जाता है। इस रसोई में #56प्रकार के भोगों का निर्माण किया जाता है। दाल, चावल, सब्जी, मीठी पूरी, खाजा, लड्डू, पेड़े, बूंदी, चिवड़ा, नारियल, घी, माखन, मिसरी आदि से महाप्रसाद बनता है, #रसोई में पूरे वर्ष के लिए भोजन पकाने की सामग्री रहती है। रोज़ कम से कम 10 तरह की मिठाइयाँ बनाई जाती हैं।
आठ लाख़ लड्डू एक साथ बनाने पर इस रसोई का नाम गिनीज़ बुक में भी दर्ज हो चुका है!
रसोई में एक बार में #50हज़ार लोगों के लिए महाप्रसाद बनता है। मन्दिर की रसोई में प्रतिदिन #72क्विंटल चावल पकाने का स्थान है!
रसोई में एक के ऊपर एक #7कलशों में चावल पकाया जाता है। प्रसाद बनाने के लिए #7बर्तन एक-दूसरे के ऊपर रख दिए जाते हैं। सबसे ऊपर रखे बर्तन में रखा भोजन पहले पकता है! फिर नीचे की तरफ़ से एक के बाद एक प्रसाद पकता जाता है। #प्रतिदिन नये बर्तन ही भोग बनाने के काम आते हैं।
#सर्वप्रथम भगवान् को भोग लगाने के पश्चात् भक्तों को प्रसाद दिया जाता है!
भगवान् #जगन्नाथ को महाप्रसाद, जिसे ‘#अब्धा’ कहा जाता है, निवेदित करने के बाद माता बिमला को निवेदित किया जाता है, तब वह प्रसाद महाप्रसाद बन जाता है!
भगवान् श्री जगन्नाथ को दिन में #6बार महाप्रसाद चढ़ाया जाता है।
रथ यात्रा के दिन एक लाख़ चौदह हज़ार लोग रसोई कार्यक्रम में तथा अन्य व्यवस्था में लगे होते हैं!
जबकि #6000पुजारी पूजाविधि में कार्यरत होते हैं! ओडिशा में दस दिनों तक चलने वाले इस राष्ट्रीय उत्सव में भाग लेने के लिए दुनिया के कोने-कोने से लोग उत्साहपूर्वक उमड़ पड़ते हैं। यहाँ भिन्न-भिन्न जातियों के लोग एक साथ भोजन करते हैं, जात-पाँत का कोई भेदभाव नहीं रखा जाता! जय जगन्नाथ!
#भारत माता की जय, #वंदे मातरम, #जय श्री राम!🙏

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