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पंजाब के पठानकोट का गौरवशाली इतिहास है। एक बार भारत में नूरपुर के पठानी राजपूतों के राज्य की राजधानी पठानकोट से कई ऐतिहासिक कहानियां जुड़ी हुई हैं। तीन राज्यों पंजाब, जम्मू और कश्मीर एवं हिमाचल प्रदेश के संगम पर स्थित पठानकोट एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। इस शहर का अतीत राजपूतों के शासनकाल से जुड़ा हुआ है। इसकी आश्चर्यजनक पृष्ठभूमि से जुड़ी शक्तिशाली शिवालिक पर्वतमालाओं की झलक देख सकते हैं।
पठानकोट कैसे पहुंचे-
वायु मार्ग द्वारा: पठानकोट हवाई अड्डे का प्रमुख तौर पर इस्तेमाल भारतीय वायु सेना द्वारा किया जाताहै। यहां पर दिल्ली और कुल्लू से आम नागरिकों के लिए बहुत ही कम उड़ानें भरी जाती हैं। इसके अलावा, पठानकोट का निकटतम हवाई अड्डा अमृतसर हवाई अड्डा है। ये पठानकोट से लगभग 125 किमी दूर है। दोनों हवाई अड्डों से पठानकोट जाने के लिए नियमित कैब सेवाएं उपलब्ध हैं।
रेल मार्ग द्वारा: पठानकोट रेलवे जंक्शन शहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस रेलवे स्टेशन पर भारत के सभी प्रमुख शहरों से नियमित ट्रेनें आती हैं।
सड़क मार्ग द्वारा: देश के प्रमुख शहरों से पठानकोट शहर के लिए बसें उपलब्ध हैं। पठानकोट के बस जंक्शन पर देश के बाकी प्रमुख शहरों से नियमित बसें आती रहती हैं।
पठानकोट आने का सही समय-
पठानकोट की यात्रा का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के महीनों में होता है जब यहां का मौसम खुशनुमा रहता है और औसत तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से 20 डिग्री सेल्सियस तक नहीं रहता है।
पठानकोट के दर्शनीय स्थल - :
शाहपुरकंडी किला-
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शाहपुरकंडी किला 16वीं शताब्दी में बनवाया गया था। ये किला शहर के सबसे सुंदर किलों में से एक है। अब यात्रियों और पर्यटकों के लिए गेस्ट हाउस बन चुका ये किला एक समय पर रावी नदी के तट पर एक रणनीतिक सैन्य किला हुआ करता था। जम्मू और कश्मीर राज्य की सीमा पर स्थित यह किला पुराने समय की कई कहानियां बयां करता है।
काठगढ़ मंदिर-
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पवित्र काठगढ़ मंदिर का अत्यधिक धार्मिक महत्व है। हिंदू देवता भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित इस मंदिर की विशेषता एक प्राचीन लिंगम है जोकि रहस्यमयी है। किंवदंतियों के अनुसार, भगवान राम की खोज करने आए उनके भाई भरत ने इस मंदिर के दर्शन किए थे। ब्यास और कोंच नदियों के संगम पर स्थित, काठगढ़ मंदिर विरासत और असाधारण स्थापत्य शिल्प कौशल के लिए प्रसिद्ध है।
नूरपुर किला-
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पठानकोट के प्रसिद्ध वास्तुशिल्प एवं ऐतिहासिक स्थानों में सबसे उल्लेखनीय नूरपुर किला है। पूर्व में इसे धमेरी किले के रूप में जाना जाता है। इस किले की उत्पत्ति 10वीं शताब्दी में हुई थी। आज इस किले में खंडहर और झोंपड़ियां हैं एवं इस किले को अंग्रेजों ने वर्ष 1905 में भूकंप के बाद ध्वस्त कर दिया था। किले में एक भी मंदिर है, जिसे बृज राज स्वामी मंदिर के नाम से जाना जाता है। स्थानीय लोगों के बीच ये मंदिर बहुत महत्व रखता है। यह देश का एकमात्र ऐसा स्थान है जहां भगवान कृष्ण और मीराबाई की मूर्तियों की एक साथ पूजा होती है। 16वीं सदी में निर्मित इस मंदिर के दर्शन पठानकोट आने पर जरूर करें।
मुक्तेश्वर मंदिर-
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पठानकोट में हिंदू देवी-देवताओं को समर्पित कई शानदार मंदिर हैं जिनमें से एक मुक्तेश्वर मंदिर भी है। पवित्र मुक्तेश्वर मंदिर पठानकोट में सबसे अधिक लोकप्रिय आध्यात्मिक स्थलों में से एक है। रावी नदी के तट पर स्थित यह पवित्र गर्भगृह एक पहाड़ी के ऊपर बसा है और इसमें तांबे की योनि के साथ संगमरमर का शिवलिंग स्थापित है। यह मंदिर हिंदू पौराणिक देवता भगवान शिव को समर्पित है एवं इसमें पवित्र गुफा मंदिरों का एक समूह है। किवदंती है कि निर्वासन में रहने के दौरान ये गुफाएं पांडवों की शरणस्थली हुआ करती थीं। मंदिर में ब्रह्मा, विष्णु, हनुमान, पार्वती और गणेश जैसे अन्य हिंदू देवताओं की मूर्तियां भी स्थापित हैं।