ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों की चढ़ाई और जंगलों से गुजरना हो, तो बच्चों को लेकर लोग चलने में कतराने लगते हैं। यदि आप ट्रैकिंग के शौकीन हैं और बच्चों की वजह से नहीं जा पा रहे हैं, तो चलिए आपको कुछ ऐसे ट्रैकिंग डेस्टिनेशन के बारे में बताते हैं, जहाँ आप बेखौफ हो कर बच्चों को ले जा सकते हैं। जहाँ हम अपने बच्चों को नेचुरल एंबियंस वाली एक्साइटिंग जगहों पर घुमाकर हम उन्हें ढेर सारी मस्ती करने का मौका दे सकते हैं। ट्रैकिंग करने से बच्चों को व्यावहारिक दुनिया के बारे में बहुत सी नई चीजें पता चलती हैं और उनका आत्मविश्वास भी बढ़ता है। साथ ही बच्चे अपना काम खुद करना भी सीख जाते हैं। अगर आप अपने बच्चों को अपनी तरह ट्रैकिंग में माहिर बनाना चाहती हैं तो आप उन्हें इन जगहों पर जरूर लेकर जाएं। यहाँ परिवार के साथ ट्रैकिंग का मजा ही कुछ और होगा। इन जगहों पर बच्चे न सिर्फ एंज्वाय करेंगे, बल्कि बहुत कुछ सीखेंगे भी।
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देवरियाताल-चंद्रशिला ट्रैक
देवरियाताल-चंद्रशिला उत्तराखंड में बसा यह स्थल चारों ओर से धार्मिक स्थलों से घिरा है। इसके आसपास आपको जोशीमठ, बद्रीनाथ और केदारनाथ जैसे धार्मिक स्थल हैं। आप चाहें, तो इन जगहों पर घूमने से पहले या घूमने के बाद देवरियाताल-चंद्रशिला के ट्रैकिंग का प्लान बना सकते हैं। देवरियाताल-चंद्रशिला में आपको देखने के लिए बहुत कुछ मिलेगा, लेकिन यह ट्रैक थोड़ा आसान है और इसमें थकावट कम होती है। इस लिहाज से बच्चों के लिए काफी अच्छा कहा जाता है। ट्रैकिंग के दौरान आपको घने जंगलों से होकर गुजरना होगा और इस दौरान आपको पक्षियों की कई दुर्लभ प्रजातियां दिखाई देंगी। इतना ही नहीं अलग-अलग तरह के फूल और जीव-जंतुओं के प्रजातियां भी हैं, जो बच्चों को काफी आकर्षित करते हैं। घनें जंगलों की लंबी यात्रा करने के बाद आप लंबे-लंबे घास के मैदान से होकर आते हैं चंद्रशिला पहाड़ श्रृंखला में। यहाँ से आपको देश की सबसे ऊंची चोटियों का दीदार होगा। लंबी यात्रा के बाद जब यहाँ आते हैं, तो प्रकृति की सुंदरता को देखकर आपकी सारी थकावट दूर हो जाती है। देवरियाताल-चंद्रशिला के ट्रैक पर आप किसी भी मौसम में जा सकते हैं। लेकिन नवंबर से अप्रैल तक का समय सबसे अच्छा माना जाता है।
तडियांडमोल ट्रैक
तडियांडमोल ऊंचाई के लिहाज से कूर्ग में सबसे ऊंची चोटी है और कर्नाटक तीसरी सबसे ऊंची चोटी है। यहाँ भी ट्रैकिंग के दौरान आपको घने जंगल से गुजरना होगा। जंगल में देखने के लिए बहुत कुछ है। यहाँ हरे-भरे घास के मैदान के अलावा जलधाराओं के मध्य से गुजरना होगा। हालांकि बच्चों के लिए बिल्कुल अनुकूल है। सुंदर दृश्य के आधार पर वे अपनी कहानियां बना सकते हैं। पर्वत शिखर तक पहुंचने का सबसे अच्छा समय सूर्योदय है, ताकि बच्चे सूर्योदय के शानदार दृश्य को निहार सके। इस सुंदर घाटी में जब सूर्य कर रोशनी फैलती है तो कॉफी, इलायची और काली मिर्च के बागान चमक उठते हैं। हालांकि ऊंचाई होने के बावजूद यहाँ ट्रैकिंग काफी आसान है। यहाँ जानें का सबसे अनुकूल समय सितंबर से फरवरी का है।
केदारकांठा ट्रैक
यहाँ बच्चों को सर्दियों में ट्रैकिंग के लिए लाना बहुत अच्छा है। यहाँ बर्फ पर बहुत सारे कैंप देखने को मिलते हैं। हालांकि यहाँ के नजारे देखने में काफी एक्साइटिंग हैं, लेकिन बर्फ के बीच चढ़ाई करना सामान्य जंगल की तुलना में थोड़ा ज्यादा मुश्किल होता है। यहाँ ठंड से बचने के लिए खास ध्यान रखने की जरूरत होती है। इससे बच्चों को लाइफ स्किल्स सिखाई जा सकती हैं। ऊंचे पहाड़ और जंगल के साथ यदि आप बर्फ का मजा भी लेना चाहते हैं, तो केदारकंठ शानदार ट्रैकिंग का अनुभव कराएगा। खास बात यह है कि यहाँ परिवार के साथ जा सकते हैं और बच्चे भी काफी एंज्वॉय करेंगे। अच्छी बात यह है कि यहाँ बर्फ की चादर पर आपको कई कैंप साइट्स मिलेंगे, जो बच्चों को आकर्षित करेंगे।
भृगु झील ट्रैक
यदि आप चाहते हैं कि आपका बच्चा को एक पूर्ण हिमालय यात्रा का अनुभव करें। तो भृगु झील के ट्रैक पर ले जाना चाहिए। यहाँ घोड़ों को घास चरते हुए देखना, सेब के बागों की खूबसूरती निहारना बेहतरीन एक्सपीरियंस है। यहाँ लाहौल, पीर पंजाल और धौलाधार पर्वतों को देखना आंखों को सुकून देता है। यहाँ आने के लिए लगभग 26 किमी. की ट्रैकिंग के दौरान आपको रोहतांग पास से होते हुए पूरा करना होता है। ट्रैकिंग के दौरान रास्ते में आपको न सिर्फ हिमाचल की खूबसूरत वादियां मिलेंगी, बल्कि गौरीशंकर और त्रिपुरा सुंदरी जैसे मंदिर भी आते हैं जो पयर्टकों को आकर्षित करते हैं।
हर की दून ट्रैक
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिला में यमुना की सहायक नदियां रुपिन व सूपिन के आसपास फतेह पर्वत की गोद मे बसा यह क्षेत्र हर की दून नाम से जाना जाता है। इसके चारों ओर हिमालय पर्वत श्रृंखला होने की वजह से इसकी सुंदरता देखते बनती है। आपको बता दूं कि हर की दून ट्रैक की खोज जैक गिब्सन ने की थी, जो दून स्कूल में एक ब्रिटिश पर्वतारोही और शिक्षक थे। यह क्षेत्र उन्हें इतना सुंदर लगा कि अपने छात्रों को यहाँ लेकर आने लगे। यहीं कारण है कि आज भी बच्चों के लिए इसे बेहतर ट्रैकिंग की जगह कहा जाता है। यहाँ जाने के लिए आपको गांवों और नदियों से गुजरना होता है। इसे आप अपने बच्चे का पहला ट्रैक भी बना सकते हैं। यहाँ देखने और सीखने के लिए बहुत कुछ है।
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