दुनिया के सबसे खूबसूरत मंदिरों में से एक है दिल्ली का लोटस टेंपल, यहां पूजा नहीं प्रार्थना होती है

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Photo of दुनिया के सबसे खूबसूरत मंदिरों में से एक है दिल्ली का लोटस टेंपल, यहां पूजा नहीं प्रार्थना होती है by Hitendra Gupta

दिल्ली में कालकाजी मंदिर, नेहरू प्लेस के पास है लोटस टेंपल। कमल की तरह बने होने के कारण दुनिया भर के लोग इसे लोटस टेंपल के नाम से जानते हैं।

बहाई धर्म के लोगों के इस उपासना स्थल को बहाई उपासना मंदिर भी कहते हैं। हालांकि यह बहाई धर्म के लोगों का उपासना स्थल है, लेकिन यहां सभी धर्म के लोग प्रार्थना करते हैं।

यहां सभी धर्मों के पवित्र ग्रंथों के लेख का पाठ किया जाता है। इस मंदिर में कोई मूर्ति नहीं है और यहां कोई पूजा-पाठ भी नहीं की जाती है। लोग यहां आकर शांति से ध्यान लगाकर प्रार्थना करते हैं।

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सभी फोटो लोटस टेंपल

Photo of Lotus Temple, Lotus Temple Road, Bahapur, Shambhu Dayal Bagh, Kalkaji, New Delhi, Delhi, India by Hitendra Gupta

कमल की आकृति में बना यह मंदिर दुनिया के सबसे खूबसूरत और भव्य मंदिरों में से एक है। इस मंदिर का डिजाइन वास्तुकार फरीबर्ज सहबा ने तैयार किया था।

इस मंदिर के बनाने में नौ अंक का बहुत अधिक महत्व दिया गया है।

बहाई लोगों का मानना है कि चूंकि नौ सबसे बड़ा अंक है, इसलिए यह विस्तार, एकता और अखंडता का प्रतीक है।

इसलिए इस मंदिर में नौ द्वार और नौ कोने हैं। मंदिर चारों ओर से नौ बड़े तालाबों से घिरा है। कमल के फूल की तीन क्रम में नौ-नौ कर कुल 27 पंखुड़ियां हैं।

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इस मंदिर को बनाने के लिए 1956 में जमीन खरीदी गई थी और उसी समय नींव डाली गई थी। 1980 में मंदिर का निर्माण शुरू किया गया और यह 1986 तक चला।

26 एकड़ में बने इस मंदिर का उद्घाटन 24 दिसंबर, 1986 को किया गया।

यहां प्रतिदिन हजारों लोग आते हैं। यहां आनेवाले सभी पर्यटकों को बहाई धर्म के बारे में बताया जाता है और बहाई धार्मिक सामग्री दी जाती है।

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बहाई धर्म के संस्थापक बहाउल्लाह हैं। उनका जन्म ईरान में सन 1817 में हुआ था।

बचपन से ही उन्होंने अपना जीवन अत्याचार-पीड़ितों, बीमारों और गरीबों की सेवा में लगा दिया।

उन्नीसवीं सदी के मध्य में उन्होंने एक नए बहाई धर्म की स्थापना की। उस वक्त भी उनके विचार अत्यंत आधुनिक और क्रांतिकारी थे। सन 1892 में उनका स्वर्गारोहण हो गया।

बहाउल्लाह की शिक्षा 1872 में जमाल एफेन्दी के जरिए भारत पहुंची। आज भारत में बहाईयों की संख्या बीस लाख से भी अधिक है।

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बहाई अनुयायी यह मानते हैं कि सभी धर्मों की नींव एक है। बहाई लोग प्रार्थना और भक्ति की भावना को सभी लोगों की भलाई के लिए किए जाने वाला काम समझते हैं।

बहाई उपासना मंदिर में सभी धर्मों के लोग प्रार्थना, ध्यान और जाप करने के लिए आते हैं। बहाई लेखों में कहा गया है कि दुनिया के सभी धर्म एक ही दिव्य स्रोत से निकले हैं।

उनके मूल सिद्धांत एक-दूसरे से तालमेल में होते हैं और उनकी शिक्षाएं एक ही सत्य के पहलू हैं। इस हिसाब से यह मंदिर अनेकता में एकता का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है।

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प्रार्थना समय

मंदिर में रोज सुबह 10 बजे, दोपहर 2 बजे व 3 बजे और शाम 5 बजे प्रार्थना सेवा का समय होता है। इस समय 10-15 मिनट तक विभिन्न पवित्र ग्रंथों का पाठ किया जाता है।

इस समय एकदम से पिन ड्रॉप साइसेंस का माहौल होता है। प्रार्थना कक्ष में शांति बनाए रखने के लिए प्रार्थना तक कक्ष के गेट को बंद कर दिया जाता है। प्रत्येक प्रार्थना सेवा १०-१५ मिनट की होती है।

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सूचना केंद्र-

इस उपासना मंदिर में रोज हजारों पर्यटक आते हैं। यहां आकर इसकी खूबसूरती को देखकर उनमें इसके बारे में और बहुत कुछ जानने की लालसा उठने लगती है।

वे बहाई धर्म के बारे में भी जानना चाहते हैं इसके लिए यहां एक सूचना केंद्र बनाया गया है। यहां आपको बहाई उपासना मंदिर और बहाई धर्म के बारे में सारी जानकारियां मिल जाएंगी।

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सूचना केंद्र में 400 से ज्यादा लोगों के बैठने की क्षमता वाला एक विशाल ऑडिटोरियम और दो 70 सीटर ऑडिटोरियम भी हैं। यहां बहाई उपासना मंदिर और बहाई धर्म के बारे में फिल्में दिखाई जाती हैं।

इसके साथ ही यहां कई तरह के कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाता है। यह सूचना केंद्र सोमवार से शनिवार तक सुबह 9 बजे से 12 बजे तक और शाम में 2 बजे से 5 बजे तक खुला रहता है। यहां एक पुस्तकालय भी है जिसमें 111 भाषाओं में 2000 से भी अधिक बहाई साहित्य का संग्रह है।

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ध्यान रखें-

प्रार्थना कक्ष में जूते-चप्पल पहन कर नहीं जा सकते। मंदिर में प्रवेश से पहले आप अपने जूते-चप्पल ’जूताघर’ में जमा कर सकते हैं।

मेन गेट पर ह्वीलचेयर की सुविधा भी उपलब्ध है।

मंदिर परिसर में खाने-पीने की चीज ले जाने की अनुमति नहीं है।

यहां भारी सामान या बैग लेकर जाने की अनुमति नहीं है।

प्रार्थना कक्ष और सूचना केंद्र में फोटोग्राफी की अनुमति नहीं है। इसे छोड़कर अन्य जगहों पर आप फोटोग्राफी कर सकते हैं।

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कैसे पहुंचें?

लोटस टेंपल कालकाजी- नेहरू प्लेस के पास स्थित है। देश के किसी भी हिस्से से दिल्ली पहुंच आप यहां आसानी से आ सकते हैं।

मेट्रो से-

कालकाजी मंदिर मेट्रो स्टेशन मंदिर का सबसे नजदीकी मेट्रो स्टेशन है। यहां से आप पैदल मंदिर पहुंच सकते हैं।

बस से-

नेहरू प्लेस नजदीकी बस अड्डा है। यहां से दिल्ली के किसी भी इलाके सा आ सकते हैं।

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से-

लोटस मंदिर नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से करीब 16 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां से आप बस, मेट्रो, ऑटो या टैक्सी से आ सकते हैं।

एयरपोर्ट से-

बहाई उपासना मंदिर इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा से करीब 17 किलोमीटर दूर है। यहां से भी आप बस, मेट्रो, ऑटो या टैक्सी से पहुंच सकते हैं।

सभी फोटो लोटस टेंपल

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कब पहुंचे-

लोटस टेंपल दिल्ली में है और यहां गर्मी के साथ सर्दी भी जबरदस्त पड़ती है। इसलिए यहां फरवरी से मार्च और सितंबर से नवंबर के बीच आना घूमने के लिए अच्छा रहता है। इस समय आप ज्यादा इंज्वॉय कर सकते हैं।

नजदीकी स्थल-

लोटल टेंपल के पास ही कालकाजी मंदिर है। यहां दर्शन के साथ ही आप प्राचीन भैरों मंदिर और कैलाश शिव मंदिर भी जा सकते हैं। इसके साथ ही पास में ही है इस्कॉन मंदिर। आप यहां भी दर्शन कर सकते हैं।

-हितेन्द्र गुप्ता

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