
विश्व धरोहर फूलों की घाटी में हिम तेंदुए के साथ ही अन्य दुर्लभ वन्य जीवों की तस्वीरें कैमरे में कैद हुई हैं। नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क की ओर से घाटी में जगह-जगह ट्रैप कैमरे लगाए गए थे। दुर्लभ प्रजाति के वन्य जीवों के कैमरे में कैद होने से पार्क प्रशासन में खुशी का माहौल है। घाटी में हिम तेंदुए के साथ ही ब्लैक वियर, रेड फॉक्स, गुलदार व अन्य जीव विचरण करते दिख रहे हैं।
फूलों की घाटी समुद्र तल से 3352 से 3658 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहां विभिन्न प्रजाति के रंग-बिरंगे फूल पाए जाते हैं। इसके साथ ही यहां विभिन्न प्रकार के वन्य जीव भी विचरण करते हैं। प्रतिवर्ष वन्य जीवों की तस्करी को रोकने और हिम तेंदुए की क्षेत्र में मौजूदगी के लिए नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क की ओर से घाटी में जगह-जगह ट्रैप कैमरे स्थापित किए जाते हैं।
तीन दिन पूर्व पांच सदस्यीय दल फूलों की घाटी के निरीक्षण के लिए गया था, इस दौरान यहां लगे छह ट्रैप कैमरों को भी गोविंदघाट रेंज कार्यालय लाया गया था। कैमरे में हिम तेंदुए के साथ ही कई दुर्लभ प्रजाति के वन्य जीव घाटी में विचरण करते दिखाई दे रहे हैं।
घाटी के वन क्षेत्राधिकारी बृजमोहन भारती ने बताया कि छह कैमरों में से दो कैमरों में वन्य जीव कैद हुए हैं। वामणधौड़ स्थान में हिम तेंदुआ, घूसाधार में गुलदार और मेरी की कब्र के आसपास ब्लैक वियर व रेड फॉक्स विचरण करते दिख रहे हैं। अन्य कैमरों में भी दुर्लभ वन्य जीवों की तस्वीरें कैद हुई हैं।
वहीं, फूलों की घाटी में विभिन्न प्रजाति के फूलों का खिलना शुरू हो गया है। घाटी के प्रवेश द्वार से ही फूल खिले हुए हैं। घाटी में अभी लगभग दो फीट तक बर्फ जमी हुई है। फूलों की घाटी प्रतिवर्ष एक जून को पर्यटकों के लिए खोल दी जाती है। पिछले दो सालों से कोरोना संक्रमण को देखते हुए घाटी में पर्यटकों की संख्या में भारी गिरावट रही है।
इस वर्ष अभी तक घाटी को खोलने या न खोलने का आदेश पार्क प्रशासन को नहीं मिला है। तीन दिनों से घाटी के निरीक्षण के लिए गई पार्क प्रशासन की टीम रेंज कार्यालय गोविंदघाट लौट आई है। वन क्षेत्राधिकारी भारती ने बताया कि घाटी में जेंटिना और पिरमूला के फूल खिल चुके हैं।
फूलों की घाटी में लगभग 500 प्रजाति के फूल खिलते हैं। सितंबर में यहां ब्रह्मकमल खिलते हैं, जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। फूलों की घाटी के भ्रमण के लिए जुलाई, अगस्त व सितंबर के महीनों को सर्वोत्तम माना जाता है। 15 जुलाई से 15 अगस्त तक घाटी चारों ओर से फूलों से भरी रहती है।



