ताजमहल का नाम आते ही जेहन में वह अनुपम तस्वीर उभरती है जो सात आश्चर्यों में से एक है। उत्तर प्रदेश के आगरा में यमुना नदी के किनारे स्थित ताज महल अपने में एक अलग ही भव्यता को समाए हुए है। दुनिया में अप्रतिम वास्तुकला का उदाहरण यह ताज महल प्रेम और सौंदर्य का एक चमकता सितारा है। दुनिया को कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं है जो यहां आकर इसके आकर्षण में खो नहीं गया हो।
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इसे धरती पर किसी मनुष्य द्वारा बनाया गया सबसे खूबसूरत महल माना जाता है। सफेद संगमरमर से तराश कर बनाए गए इस स्मारक को देखने दुनिया भर से हर साल हजारों लोग आते हैं। अगर संख्या की दृष्टि से देखा जाए तो करीब 70 से 80 लाख लोग हर साल यहां आते हैं। इसे देखकर लगता है कि जैसे स्वर्ग से किसी अद्भुत रचना को पृथ्वी पर लाकर रख दिया गया हो।
बताया जाता है कि यमुना किनारे बने इस ताजमहल को करीब 20 हजार कारीगरों ने 17 साल में बनाया था। इसे मुगल सम्राट शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में बनवाया था। इसका निर्माण कार्य 1631 में शुरू होकर 1648 तक चला था। यूनेस्को ने 1983 में इसे विश्व विरासत धरोहरों की सूची में शामिल कर लिया।
इसकी खूबसूरती यह भी है कि यह चारों ओर से देखने पर एक जैसा ही दिखाई देता है। इसकी दीवारों पर संगमरमर की महीन नक्काशी और आकर्षक पच्चीकारी की गई है। संगमरमर के साथ इसे बनाने में नीले रंग के पत्थर, स्फटिक, मुक्ता, गोमेद, पन्ना जैसे बहुमूल्य रत्नों का भी इस्तेमाल किया गया है।
इसका मुख्य प्रवेश द्वार 151 फीट लंबा, 117 फीट चौड़ा और 100 फीट ऊंचा है। मुख्य द्वार से ताजमहल के सामने तक चार बाग की तरह एक उद्यान हैं। यह ताज तक पैदल रास्ते के दोनों ओर फैले हुए हैं। इसके बीच एक बैठने के लिए एक टेबल की तरह बना हुआ है, जहां बैठकर पर्यटक ताज की तस्वीरें लेते हैं। यहां से ताजमहल के बैकग्राउंड के साथ बेहद खूबसूरत तस्वीरें आती हैं।
आगे बढ़ने पर एक ऊंचे मंच पर ताजमहल बनाया गया है। यहां जाने के लिए जूते निकालने या कवर करने होते हैं। इसके चारों कोनों पर चार मीनारे बनाई गई है। बताया जाता है कि 41.6 मीटर ऊंची ये मीनारे हल्का सा बार की ओर झुकी हुई है जिससे कि भूकंप जैसी दुर्घटना की स्थिति में यह ताज पर ना गिर कर बाहर गिरे। ताजमहल के मुख्य गुंबद की कुल ऊंचाई 44.41 मीटर है।
ताजमहल के इस हिस्से की नक्काशी-अलंकरण इतनी सुंदर, खूबसूरत और आकर्षक है कि मन करता है देखता ही रहूं। यहां भीतर में जालीदार पच्चीकारी का काम भी किया गया है। ताजमहल के मुख्य गुंबद के नीचे एक तहखाना है। इसके नीचे ही शाहजहां और मुमताज महल की कब्रें हैं। ताजमहल जिस मंच या नींव पर बना हुआ है उसके लेफ्ट और राइट दोनों ओर एक-एक मस्जिद बनी हुई है।
ताजमहल की एक खूबी यह भी है कि हर पहर इसकी तस्वीरें बदलती रहती है। आप सुबह से शाम तक यहां रहकर इसकी अलग-अलग तरह की खूबसूरती को कैमरे में कैद कर सकते हैं। ताजमहल का सबसे मनमोहक और सुंदर दृश्य पूर्णिमा की रात को दिखाई देता है। इसके लिए आपको एक दिन पहले टिकट लेने होंगे। टिकट के दाम भारतीय के लिए 510 और विदेशियों के लिए 750 रुपये है।
आगरा में हर साल फरवरी के महीने में ताज महोत्सव का आयोजन किया जाता है। इस समय ताज के साथ यहां के अन्य कार्यक्रमों को भी देख सकते हैं। वैसे आगरा में ताजमहल के साथ ही आप आगरा का किला,, स्वामी जी महाराज की समाधि, राम बाग, महताब बाग, इत्माद-उद-दौला का मकबरा, जामा मस्जिद, श्री वेदमाता गायत्री ट्रस्ट को भी देख सकते हैं।
ताजमहल देखने के बाद यहां से घर लौटते वक्त आप अपने साथ आगरा से संगमरमर और पच्चीकारी के काम वाले शिल्प के सामान, चमड़े और पीतल के उत्पाद, कालीन, ज्वेलरी के साथ खाने-पीने के लिए पेठा और नमकीन ले जा सकते हैं।
कैसे पहुंचे-
आगरा देश के सभी प्रमुख शहरों से रेल, सड़क और वायुमार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
कब पहुंचे-
गर्मी बहुत ज्यादा पड़ने के कारण यहां फरवरी-मार्च और सितंबर से नवंबर तक आना सही रहता है।
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