सारनाथ: काशी में मोक्ष प्राप्ति से पहले एक बार जरूर जाना चाहिए भगवान बुद्ध की तपस्थली

Tripoto

विश्व की सबसे प्राचीन नगरी काशी से 10 किलोमीटर पर है सारनाथ। यह हिंदू, बौद्ध और जैन धर्म का एक प्रमुख तीर्थस्थल तो है ही, बौद्ध धर्म के अनुनायियों के लिए यह सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है। माना जाता है कि भगवान बुद्ध ने बोधगया में ज्ञान प्राप्त करने के बाद अपना पहला उपदेश इसी जगह दिया था। तभी से इसे महाधर्म चक्र प्रवर्तन के नाम से जाना जाता है

अब बौद्ध धर्मावलंबियों के इस प्रमुख तीर्थ स्थल सारनाथ में हर साल लाखों लोग आते हैं। बौद्ध धर्म में आस्था रखने वाले लोग अपने जीवन में एक बार यहां जरूर आना चाहते हैं। सारनाथ बौद्ध स्तूपों, खूबसूरत मंदिरों, संग्रहालयों और प्राचीन स्थलों के लिए विश्व विख्यात है। अब यह उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख पर्यटक केंद्र बन गया है। काशी-वाराणसी आने वाले तकरीबन सभी पर्यटक यहां जरूर आते हैं।

Photo of Sarnath, Varanasi, Uttar Pradesh, India by Hitendra Gupta

चौखंडी स्तूप

सारनाथ में चौखंडी स्तूप और धमेख स्तूप जैसे कई ऐतिहासिक और प्राचीन भवन बने हुए हैं। बताया जाता है कि भगवान बुद्ध पहली बार जब सारनाथ आए थे तो चौखंडी स्तूप के पास ही उनकी अपने शुरुआती पांच शिष्यों महानमा, कौड्डन, भदिया, वप्पा और अस्वाजिता से मुलाकात हुई थी। भगवान बुद्ध ने अपने इन शिष्यों को अपना ज्ञान और उपदेश दिया था। बाद में इन्हीं शिष्यों ने उनकी शिक्षा का प्रचार-प्रसार किया। इसी याद में इस स्तूप का निर्माण किया गया। चौखंडी स्तूप का निर्माण ईंटों के अष्टकोणीय मीनार के रूप में किया गया था।

Photo of Chaukhandi Stupa, Rishpattan Road, Near, Sarnath, Varanasi, Uttar Pradesh, India by Hitendra Gupta

धमेख स्तूप

सारनाथ में एक प्रमुख स्तूप है धमेख स्तूप। इसके बारे में कहा जाता है कि सम्राट अशोक ने भगवान बुद्ध के अस्थि अवशेष को संरक्षित करने के लिए इस स्तूप का निर्माण करवाया था। ईंटों से बने इस गोलाकार स्तूप की ऊंचाई करीब 40 मीटर और व्यास 28 मीटर है। इसे धर्मचक्र स्तूप भी कहा जाता है।

अशोक स्तंभ

सारनाथ में एक चीज जो सभी पर्यटक जरूर देखना चाहते हैं वह है अशोक स्तंभ। इस स्तंभ को सम्राट अशोक ने बनवाया था। इसके शिखर पर चार शेर की मूर्तियां हैं। इन चारों शेर के नीचे बैल, सिंह, हाथी और अश्व बने हुए हैं। इस स्तंभ के सिंह निशान को देश के राष्ट्रीय चिन्ह के रूप में अपनाया गया है। इसके साथ ही अशोक स्तंभ के निचले भाग में स्थित चक्र को तिरंगे के बीच में स्थान दिया गया है। अशोक स्तंभ पहले 55 फुट की थी, अब इसकी ऊंचाई सिर्फ 7 फुट 9 इंच है। इसका ऊपरी हिस्सा सारनाथ म्यूजियम में रखा गया है।

मूलगंध कुटी विहार

सारनाथ में एक और प्रमुख जगह है मूलगंधकुटी विहार। बताया जाता है कि इसी स्थान पर भगवान बुद्ध ठहरे थे और ज्ञान प्राप्ति के बाद अपनी पहली वर्षा ऋतु देखी थी।

Photo of Mulagandha Kuti Vihara, Sarnath, Varanasi, Uttar Pradesh, India by Hitendra Gupta

सारनाथ म्यूजियम

सारनाथ में एक छोटा सा म्यूजियम भी है। भले ही यह छोटा है लेकिन यहां कुछ प्रमुख चीजें रखी गई हैं। इसमें अशोक स्तंभ का शीर्ष भी शामिल है।

सारनाथ जैन धर्म को श्रद्धालुओं के लिए भी एक पवित्र स्थल है। यह जैन धर्म के 11वें तीर्थंकर की जन्मस्थली है। यहां एक प्राचीन शिव मंदिर भी है। सारनाथ में कई दूसरे देशों ने भी अपनी विशिष्ट स्थापत्य शैली में सारनाथ में मंदिर और मठों का निर्माण किया है। जापानी, थाई, श्रीलंकाई, चीनी, इंडोनेशियाई और तिब्बती मंदिर काफी लोकप्रिय है।

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Photo of Sarnath Museum, Dharmapala Road, Sarnath, Varanasi, Uttar Pradesh, India by Hitendra Gupta

कैसे पहुंचें-

वाराणसी के करीब होने के कारण सारनाथ देश के सभी इलाकों से रेल, सड़क और वायुमार्ग से जुड़ा हुआ है। आप देश के किसी भी हिस्से से वाराणसी पहुंच कर यहां आ सकते हैं। वाराणसी पहुंचकर आप सस्ते में ऑटो-बस से भी पहुंच सकते हैं।

कब पहुंचे-

गर्मी और सर्दी ज्यादा पड़ने के कारण यहां सितंबर से नवंबर और फरवरी से मार्च तक का समय अच्छा रहता है।

-हितेन्द्र गुप्ता

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