हिमाचल प्रदेश
हिमाचल यानी बर्फ की चादर ओढ़े हुए वो जगह जिसमें बेहद खूबसूरत वादियाँ, पहाड़ों के बीच बनी अनेकों रहस्यमयी प्राकृतिक झीलें, झर-झर गिरते सैकड़ों झरने और कुछ घंटों के आसान ट्रेक से लेकर हफ्तों लंबे जटिल पर शानदार ट्रेक तक सब कुछ एक साथ मौजूद है। इतना तो पक्का है कि एक हफ्ता इसे देखने के लिए कभी पूरा नहीं पड़ेगा। लेकिन समय कीमती है, इसलिए आपके कीमती एक हफ्ते में हिमाचल की बेहतरीन रोडट्रिप यात्रा प्लान करने के लिए आइए मेरे साथ........ इस खूबसूरत सफ़र पर ....🚴
☆ दिल्ली से शिमला/कुफरी करीब 360 किमी (6-7 घंटे)दूर है, तो अपनी गाड़ी से सुबह और अगर आप पब्लिक ट्रांसपोर्ट का ईस्तेमाल करे तो आप एक रात पहले यानी अपने वाहन से जाने वालों से 12 घंटे पहले निकल सकते हैं।
अब आप शिमला पहुंच गए हैं, कुछ देर होटल में आराम करके फ्रेश हो लें उसके बाद आप शिमला में ये जगहें देख सकते हैं..
शिमला में एक अच्छे होटल का पर डे स्टे 2000 - 3000 रुपये और वहीं बजट स्टे 750 - 1500 रुपये लगभग में मिल जाता है।
जाखू हिल
माल रोड से करीब 2 किमी का रोड और सीढ़ीदार (दोनों) रास्ता है जिससे आप ट्रेक करके शिमला की सबसे ऊंची पहाड़ी जाखू हिल पर पहुंचेंगे। यहां से शिमला की एक अलग तस्वीर लाईव देखिए और विश्व प्रसिद्ध हनुमान मंदिर में हनुमानजी की 108 फुट ऊंची भव्य प्रतिमा के दर्शन कीजिए। इस ट्रेक पर सीढियां थोड़ी खड़ी ऊंचाई की हैं। लौटने के बाद आप लोग थक चुके होंगे तो नीचे आकर माल रोड पर निकल जाइए।
हनुमान मंदिर, जाखू हिल, शिमला के बारे में यहां पढ़ें 👇
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शाम के वक़्त आप शिमला की फेमस माल रोड पर दोस्तों, पार्टनर या परिवार के साथ घूमते हुए निकल जाइए। हल्का फुल्का स्नैक्स आदि लेकर शिमला की पहाडियों का मनमोहक नजारा देखिए और अपनी आगे के सफर के लिए रिचार्ज हो जाइए।
कुफरी
शिमला में नजदीक ही महज 15 किमी और 30 मिनट की दूरी पर ये सुंदर हिल स्टेशन है। यहां पर भी आप होटल ले सकते हैं। इसकी भीड़ से थोड़ी दूर वाली पहाड़ी खूबसूरती का आनंद लीजिए। दोपहर से शाम का वक़्त इस खूबसूरती को देखते हुए आपस में बातें करते हुए कब बीत जाएगा पता ही नहीं चलता।
जिभी गांव, बंजार
शिमला से जिभी 160 किमी दूर है और अमूमन 7 - 8 घंटे का सफ़र होता है। दूसरे दिन शिमला से पहाड़ी रास्तों का आनंद संगीत के साथ लेते हुए आप अपने गंतव्य पर पहुंचेंगे। कुल्लू घाटी में बंजार में पड़ने वाले इस छोटे से पर बेहद खूबसूरत स्थान पर एक ट्री हाउस में रुकने का मजा ही अलग है।
शाम को यहां के झरने का लुत्फ़ उठाएं और रात मे ट्री हाउस का नया और अलग अनुभव लें।
जिभी वाटरफाल
बंजार घाटी से 8 किमी दूर ये झरना, शोज़ा वाली रोड पर करीब 10 मिनट के पैदल रास्ते पर है। झरना छोटा है पर शांत और सुंदर है। चाहे तो शाम का वक़्त या सुबह यहां कुछ घंटे गुजारिये। प्रकृति का आनंद लीजिए।
जालोरी पास
शिमला से जीभी जाने के दो रास्ते हैं। पहला रास्ता मंडी से और दूसरा रास्ता नारकंडा से होते हुए जालोरी पास से जाता है। दूसरा रास्ता छोटा (5 घंटे), संकरा पर बेहद खूबसूरत है। अगर आप ये रास्ता लेते हैं तो इस बेहतरीन जगह को रास्ते में ही देख सकते हैं। यहां आप बर्फ के बीच पतले पहाड़ी रास्तों पर शानदार प्राकृतिक नजारों वाले जालोरी पास से गुजरेंगे, जिसका ज़िक्र लंबे समय तक अपनी यात्रा के बारे मे दोस्तों को बताते हुए आपकी जबान आता रहेगा। समय हो तो रुककर कुछ वक़्त यहां बिताईये, आपको मज़ा आयेगा। कॉफी, बर्फ, बलखाते पहाड़ी रास्ते, सूर्यास्त से लाल होती चोटियां, क्या इतना काफी नहीं घुमक्कड़ों को अपनी ओर खींचने के लिए 😃।
यहां आपको कुछ चाय की दुकाने, खाने के स्टॉल और रुकने के भी लिमिटेड इन्तेजाम हैं।
मनाली
तीसरे दिन आप जिभी से मनाली के ऑफबीट गाँव सेथन पहुंचिये। जिभी से मनाली करीब 115 किमी दूर है और करीबन 5 घंटे लगते हैं। यहां आप हिमालयन इग्लू में रुकने का बेहतरीन अनुभव लें। मनाली हर घूमने वाले की विशलिस्ट का हिस्सा जरूर होता है औऱ हो भी क्यों ना! आखिरकार ये लाहौल और स्पीति घाटी का गेटवे जो है। अब आप सेब के बगीचों में बैठकर लंच कीजिए या चाहे किसी और जगह मस्त वादियों के बीच अपना खाना एन्जॉय कीजिए। और आप चाहें तो फ्रेश होकर सीधे सोलांग निकल जाएं और वहीं लंच करें।
सोलांग घाटी
मनाली से महज कुछ मिनटों की दूरी पर ये स्थित है। सोलांग अपनी पैराग्लाइडिंग, हाईफ्लाइ और आल टेरेन वेहिकल (ATV) से ऊपर पहाड़ी पर राइड के बेहतरीन अनुभवों के लिए फेमस है।
यहां पर इन एडवेंचर गतिविधियों के लिए फीस प्रशासन द्वारा पहले से तय हैं। पैराग्लाइडिंग, हाई फ्लाइ की कीमत 1000-1500 के लगभग है। वहीं आल टेरेन वेहिकल से ऊपर पहाड़ी पर जाने के 1500 रुपये तथा अन्य गतिविधियों को मिलाकर 3000-3500 रुपये कीमत है।
शाम होने वाली है, सोलांग वैली से लौटते हुए कोठी वाले रोड पर रोहतांग पास देखने निकल जाइए।
रोहतांग पास
ये एक विश्व प्रसिद्ध हाई माउंटेन पास है जो, पीर पंजाल के पूर्वी छोर पर समुद्रतल से लगभग 4000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। ये दर्रा कुल्लू घाटी को लाहौल और स्पीति घाटी से जोड़ता है। अटल टनल के बनने से पहले मनाली से लेह हाईवे का रास्ता यहीं से जाता था। रोहतांग ला (पास या दर्रा) मनाली से 50 किमी दूर है। अपने शानदार और बर्फीले लैंडस्केप की वज़ह से सैलानियों के बीच काफी ज्यादा फेमस है।
गुलाबा व्यूपॉइंट, कोठी, मनाली
अगर रोहतांग पास या अटल टनल खुले न हों तो ये व्यूपॉइंट आपकी बर्फ देखने की ईच्छा पूरी कर सकता है। रोहतांग पास का ये स्टार्ट है। अटल टनल बनने से पहले लेह जाने का यही रास्ता था, जो रोहतांग दर्रे से होकर जाता है।
यहां आप को शाम हो जाएगी, अब वापस अपने होटल पहुंचिये और साथियों/साथी के साथ डिनर करके अगले दिन के सफर के ख्यालों में खो जाइए।
जोगिनि/वशिष्ट प्रपात
चौथे दिन की सुबह थोड़ा जल्दी निकल लीजिए और 3 किमी का एक अच्छा और आसान ट्रेक जो, आपको साथ बहती ब्यास नदी की आवाज का संगीत सुनाता, रोहतांग की बर्फ से लदी चोटियां के खूबसूरत दृश्य दिखाता हुआ, एक मनमोहक झरने तक ले जाता है। इसके आधार में योगिनी माता का मंदिर और एक पूल है। 15 मिनट की चढ़ाई करने के बाद आप ऊपर उस पॉइंट पर पहुंचेंगे जहां झरने का असली मजा आता है। वैसे नीचे आधार मे बने पूल में यही पानी आता है और ऊपर का झरना भी दिखाई देता है। यहां पर कोई एंट्रेस फी नहीं है। इसे ही वशिष्ट प्रपात भी कहा जाता है। आमतौर पर 2 घंटे पर्याप्त है इस जगह के लिए। अब यहां से ब्रेकफास्ट करके आप पतलीखुल से नग्गर गांव के लिए निकल जाइए।
हिमालयन इग्लू स्टे
मनाली के इस ऑफबीट स्थान सेथन गांव में आप एक बिल्कुल अलग और खास तरह का अनुभव ले सकते हैं। यहां आपको एक पूरी तरह बर्फ से बने असली इग्लू में किसी एस्किमो की तरह रहने का शानदार अनुभव मिलता है। बर्फ से बना बेड और एकदम शांत माहौल आपको रात को जलाई जाने वाली बोन फायर और संगीत के साथ खूबसूरत यादें देगा। एक आदमी का दो रात और तीन दिन का स्टे लगभग 7500 रुपये है। 4×4 गाड़ी से लंच के लिए जाना आपको वाकई मस्त ऐक्पीरिएंस देगा।
नग्गर
सुबह जोगिनि वाटरफाल, मनाली से निकलकर आप 1.5 - 2 घंटों में मनाली हाईवे पर पतलीखुल से मुड़कर नग्गर पहुंच जाएंगे। कभी प्राचीन कुल्लू राज्य की राजधानी रहे नग्गर नाम के इस पहाड़ी गांव की शांत जिंदगी और इसके सुंदरता आपको यकीनन याद रहेगी।
नग्गर में आप सुबह पहुंचकर इस शांत प्राचीन मंदिर को देखिए। आधे घंटे में इसे देखकर आप निकोलस आर्ट गैलरी देखने चल पड़िये...सिर्फ कुछ मिनट की दूरी है...🛺
60 साल पुरानी इस आर्ट गैलरी को देख सकते हैं। यहां एक रूस की फॅमिली द्वारा बनाई गई हिमालयन लैंडस्केप पेंटिंग्स उनके पुराने घर मे ही गैलरी बनाकर रखी गई हैं। यहां आपको 1 घंटा पर्याप्त होगा।
जना झरना और गांव
अब दोपहर हो चुकी होगी और आप का पेट लंच ढूंढने लगेगा, इसलिए चलिए जना झरने की ओर। यह नग्गर से करीब 12 किमी दूर है। यहां तक का रास्ता संकरा है जंगल से होते हुए जाता है। यह रास्ता सुन्दर होने के साथ-साथ सुरक्षित भी है। इस झरने तक गाड़ी जाती है, इसलिए आपको पैदल नहीं चलना पड़ेगा। सेब के बगीचों से घिरा जना गांव बड़ा ही मनमोहक है।
झरने को देखते हुए वहीं पानी में बैठकर यहां के लोकल फूड से बनी थाली आपके लिए सबसे बेहतर ऑप्शन होगा। एक थाली में दो लोग आराम से खा लेंगे। यकीन मानिये अगर आपको लोकल फ्रेश फूड का शौक है तो निराश नहीं होंगे।
नग्गर कैसल
प्राचीन कुल्लू राज्य की राजधानी नग्गर गांव में स्थित है नग्गर कैसल/महल जहां से शाही परिवार पूरे राज्य का संचालन करते थे। 500 साल पुरानी इस नायाब पहाड़ी इमारत को जरूर देखिए। पुराने हथियार, सैकड़ों साल पुराने जंगली शिकारों की ट्रॉफियां दीवारों पर सजी दिख जायेंगी। एक एंट्रेस टिकट लेकर आप अंदर जा सकते हैं। अंदर ही इमारत के अंदरूनी हिस्से में रेस्टोरेंट और स्टेयिंग की सुविधा दी गई है। पूरे नग्गर और आसपास की कुल्लू घाटी यहां से आप देख पाएंगे। एक से डेढ़ घंटा पर्याप्त है इसके लिए। इसके ठीक बगल में होटल शीतल में सिन्ड्रेला एक रूफटॉप रेस्टोरेंट है, जो अच्छे फूड के साथ रूफटॉप सीट पर बैठकर पूरी घाटी का सुंदर नज़ारा लेते हुए कुछ समय बिताए।
goStops नग्गर
नग्गर में ये हास्टल आपको रुकने के लिए 300 रुपये प्रतिदिन (शेयर) से लेकर 1500 रुपये प्रतिदिन (प्राइवेट रूम) तक के अच्छे ऑप्शन देता है। यहां रात की थाली में आपको मिलेगा घर जैसा स्वादिष्ट खाना जिसकी कीमत करीब 180 रुपये है।
अटल टनल
आज के दिन आप एक बिल्कुल अलग और नई दुनिया देखेंगे, तो तैयार हो जाओ दोस्तों! मनाली से थोड़ा आगे चलने पर सोलांग घाटी के बाद, इंसान द्वारा बनाया गया शानदार इंजीनियरिंग का एक शानदार उदाहरण यानी अटल टनल आती है। मनाली से 30 किमी/1 घंटा की दूरी पर है, जिसको पार करते ही 15 मिनट में आप टाइम ट्रैवेल🤗 करके एक बिल्कुल ही दूसरी दुनिया मे पहुंच जाते हैं, जहां सफेद रंग का वर्चस्व है।
आखिर पूरी दुनिया मे 3000 मीटर से अधिक ऊंचाई बनी पर सबसे लंबी सुरंग है।
सिस्सू गांव
अटल टनल से बाहर आकर यानी नॉर्थ पोर्टल, जैसे ही चंद्रा ब्रिज पार करेंगे आपको अपने चारों ओर एक बिल्कुल नयी दुनिया दिखाई देगी। इसी धुन में थोड़ा आगे चलने पर सिस्सू हेलीपैड दिखाई पड़ता है। यहां सिस्सू गांव में आपको बर्फ़ में खेलने के लिए कम मेहनत वाला अड्डा मिल जाएगा। तो फिर देर किस बात कूद पड़िये बर्फ में....😇 1-2 घंटे यहां एंजॉय कर सकते हैं, अब इसके बाद आपको खाने के लिए कहीं दूर जाने की जरूरत नहीं। अगले पैरा में इसका एक स्वादिष्ट हल है..😛
सिस्सू से कुछ किलोमीटर आगे राजा घेपन मंदिर पड़ता है, उसस बस जरा दूर एक होटल है रांगलो वैली मोटेल जहां आप अपनी भूख मिटा सकते है। इनकी चटनी जरूर टेस्ट कीजिए, आलू पराठे, ऑमलेट, मैगी, मोमोज़ के साथ 😋
अब जब पेट का इन्तेजाम हो गया है तो चलिए आगे दोस्तों, अब कुछ एडवेंचर हो जाए....🏂
प्यूकर गोम्पा
मनाली- लेह हाईवे पर तांडी के पास पेट्रोल पंप से एक काफी संकरा रास्ता ऊपर जाता है जो आपको प्यूकर गोम्पा ले जाएगा। गर्मियों के कुछ दिन छोड़ दें तो बाकी समय इस संकरे से रास्ते पर बर्फ का अड्डा जमा होता है। ये राइड एडवेंचर की खूबसूरती से भी रुबरु करायेगी। आप की गाड़ी करीब 3100 मीटर की हाइट पर पतली सी खूबसूरत रोड पर चल रही होगी।
केलांग, लाहौल और स्पीति
जिले का प्रशासनिक हेडक्वार्टर केलांग मनाली से 71 किमी दूर है। यहां आपको रुकने और खाने के लिए कुछ होटल और एक रेगुलर लोकल बाज़ार भी है। बर्फ से ढके ऊंचे ऊंचे पहाड़ों के बीच से लहराती सड़क आपको किसी और ही दुनिया में ले जाएगी। यहां आप चंद्रा और भागा के संगम से बनी चिनाब नदी की खूबसूरती देखते ही रह जाएंगे।
आप चाहें तो एक रात यहां भी रुक सकते है। क्यूंकि लाहौल और स्पीति की रात में बोनफायर और स्लो म्युजिक के साथ साफ़ आसमान में जोरों से टिमटिमाते करोड़ों तारे देखना, हमेशा याद आने वाले पल हैं।
यहीं केलांग में दोपहर का लंच कीजिए, पहाड़ी खाने का लुत्फ भी उठा सकते हैं।
चन्द्रभागा संगम, टांडी
केलांग से 8 किमी दूर ट्राइबल एरिया और बौद्धों/हिन्दुओं के तीर्थ तांडी में चंद्रा और भागा नदियां यहां मिल जाती हैं चिनाब नदी बनकर पाकिस्तान की ओर चली जाती है। यहां कुछ देर रुककर इस ग़ज़ब के नजारे और बहते पानी की आवाज का लुत्फ उठाएं।
अब यहां से आप वापस नीचे एक नयी मंजिल की ओर चलेंगे........🚘
करसोग घाटी
मनाली से 200 किमी दूर यानी करीब 7-8 घंटे का सुंदर पहाड़ी रास्ता आपको ले आता है करसोग घाटी में जो, बेहद शांत और सुकून भरा माहौल आपको देगा। महाभारत की वो कहानी अगर आपको याद हो जिसमें एक राक्षस गांव के लोगों को खा जाता था, भीम ने खुद को उसे खाने के लिए सामने भेजकर उस राक्षस का अंत कर गांव को उसके आतंक से आज़ाद किया था, तो ये करसोग गांव वही स्थान। 'कर' और 'शोक' से मिलकर नाम बना 'करसोग'। इस जगह पर जो सबसे अच्छा समय बिताने का तरीका है वो है कि आप पूरे दिन कुछ मत करिए। हां बिल्कुल!! बस किसी पहाड़ी चट्टान पर घंटों बैठकर कोई किताब पढ़िए, म्यूजिक सुनिए, बातें करिए या बिना कुछ करे दिन के हर पहर के बदलने के साथ आसमान और घाटी के बदलते रंगों को देखिए। आज का दिन खासकर शाम, घाटी और सूर्यास्त को देखने में ही निकल जाएगा। लौटकर होटल पहुंचिये और अगले दिन के नजारों के ख्यालों में खो जाइए।
शिकारी देवी मंदिर
अपने इस यादगार सफर के आखिरी दिन सुबह आप, शिकारी देवी मंदिर का ट्रेक कर सकते हैं। या फिर गाड़ी से भी मंदिर के गेट तक पहुंच सकते हैं। करीब 400-500 सीढियां चढ़नी होंगी। हाल ही मे एक नया रोड बनाकर गाड़ियों के पहुंचने की व्यस्था की गई है। यहां के लिए आपको झंझेली से टैक्सी भी मिल जाएगी जो 2 घंटे में आपको मंदिर पहुंचा देगी। बैठिए सुकून से कुछ देर, आखिर आप 3200 मीटर ऊंची इस क्षेत्र की सबसे ऊंची चोटी पर हिमालय के शानदार 360° को देख रहे हैं। पूरा मंडी आपको यहां से दिखाई देगा।
पांगना वैली
मंडी- सुंदर नगर - करसोग रोड पर स्थित है। ये एक खूबसूरत और शांत घाटी है। यहां आप पहाड़ी आर्किटेक्चर का एक शानदार नमूना देखेंगे- पांगना किला। सात मंजिली लकड़ी से बनी ये इमारत अपने अंदर पुराने पहाड़ी समय को संजोए हुए है। कुछ वक़्त बिताईये यहां पहाड़ों के अतीत संग।
अब आपको इन सुनहरी यादों के साथ लौटना भी है, शिमला यहां से 100 कमी दूर है। जिसमें करीब 3-4 घंटे लगेंगे।
उम्मीद करता हूं कि ये ट्रिप प्लान आपको हिमाचल का एक यादगार सफ़र कराएगी। अपने अनुभव हमें भी बताएं। मिलते हैं अगले आर्टिकल में फिर कुछ नए घुमक्कड़ प्लान के साथ✌
कैसा लगा आपको यह आर्टिकल, हमें कमेंट बॉक्स में बताएँ।
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