कभी आप राजस्थान मे 'एजुकेशन सिटी -कोटा ' मे घूमने आये और सिर्फ सेवन वंडर पार्क ,चम्बल गार्डन या जगमंदिर भवन देख कर निकल लिए,तो ये आपके घुम्मकड़ी के साथ अन्याय होगा।
यहा शहर के प्रदुषण भरे,भीड़ भाड़ वाले इलाको से केवल कुछ ही किलोमीटर दूर जाकर आप प्रकृत्ति की एक अद्भुद कलाकारी देख सकते है ,अपने आप को शांत ,सुदूर इलाके मे पाकर कुछ देर मैडिटेशन कर सकते है।जहा ना तो ढंग से कोई मोबाइल नेटवर्क मिलेगा ,ना हॉर्न की आवाज़। केवल मिलेगी तो पक्षियों की चहचहाट ,बहती हवा का अहसास और बारिश के मौसम मे बहते पानी की कर्णप्रिय ध्वनि।
यह जगह है -कोटा से करीब 15 किमी दूर NH 76 पर स्थित गरडिया महादेव नामक स्थान। हाईवे से केवल दो किमी अंदर की तरफ टूटी फूटी सड़को से होकर आपको यहा पहुंचना होता है। जहा वन विभाग की'गरडीया चेकपोस्ट' पर से टिकट लेकर आप इस 'मुकंदरा हिल टाइगर रिज़र्व ' मे प्रवेश पाकर गरडिया महादेव तक जा सकते हैं। यहा टिकट के लिए ID प्रूफ होना जरुरी होता है,अंदर प्रवेश के लिए वाहन का टिकट अलग से लगता हैं। अगर आप वाहन अंदर नहीं ले जाना चाहते तो वाहन' बाहर खड़ा कर 1.5 किमी का छोटा सा पेदल ट्रेक कर मंदिर तक पहुच सकते हैं।
सूखे पेड़ो के बीच मे से होते हुए जैसे ही आपका रास्ता रुकेगा सीधी एक खाई के पास , वहा का मनमोहक दृश्य देख कर आप खुद को फोटोग्राफी करते रोक नहीं पाएंगे और खाई से करीब 500 फ़ीट निचे बहती हुई चम्बल नदी के विकराल रूप को तो शब्दों मे बयां ही नहीं किया जा सकता हैं।इस स्थान की प्रसिद्धि यहां इस चम्बल नदी के u-टर्न लेते हुए दिखाई देने के कारण हैं।यह दृश्य इतना विहंगम है कि साधारण कैमरे से इस पुरे नजारे को कैद नहीं किया जा सकता हैं। आपको यहां लगेगा कि आपके सामने उस पार की पहाड़ी कोई टापू पर स्थित हैं। एक फोटोग्राफर के लिए यहां अपना हुनर दिखाने के कई अवसर मिल सकते हैं।
यहां पास मे ही एक छोटी सी पहाड़ी है,जिसपर से भी आप यहां के दृश्य को और अच्छे से देख सकते हैं। निचे खाई के आस पास आप कई तरह के पक्षी उड़ते हुए देखेंगे। किस्मत अच्छी हुई तो कुछ विलुप्त प्रजाति के गिद्ध भी दिख सकते हैं। गिद्ध से याद आया इस जगह कई पेंथर ,भालू और अन्य जंगली जानवर भी मौजूद हैं। वन विभाग वाले कर्मचारी तो कई बार इन्हे यहां घूमते हुए पाते हैं।
अब इसी खाई से निचे की और जाता है एक रास्ता जो कि पहुँचता है-इस पहाड़ी के निचे ,किनारे की ओर बने गुफानुमा शिव मंदिर के प्रांगण मे।ऊपर से कुछ सकरी सी सीढिया उतर कर आप इस छोटे से मंदिर मे भगवान शंकर के दर्शन प्राप्त कर यही निचे से चम्बल नदी को कुछ और करीब से निहार सकते हैं। यह गुफानुमा मंदिर पेड़ो से ढका हुआ है ,जिसपर कई सारे तोते ही आपको मिलेंगे। जिनकी मीठी चहचहाट सुन कर आप उन पेड़ के हरे पत्तो मे उनको ढूंढेंगे। एक बार तो आपको ये पक्षी दिखेंगे भी नहीं ,पर ध्यान से देखने पर हरे पत्तो मे इन हरे तोतो को केवल उनकी लाल चोंच से आप ढूंढ पाएंगे। जब आप एक पक्षी ढूंढ लेंगे,तो पाएंगे की यहां तो एक ही पेड़ पर पूरा झुण्ड का झुण्ड ही बैठा हैं और वो अब आपको धीरे धीरे दिखने लगा हैं।
यात्रा से पहले क्या ध्यान रखे -यहां आने पर आपको ध्यान यह रखना है कि यहां आपको कम से कम डेढ़ से दो घंटे लगेंगे। खाने पीने की कोई शॉप यहां नहीं है ,क्योकि यह टाइगर रिज़र्व एरिया हैं। तो खाने पीने के लिए सामान आपको ले कर जाना हैं। यह ध्यान मे रखना है कि इनसे कोई कचरा वहा ना फेके। प्रवेश के लिए किसी एक की id जरुरी हैं।हां ,टिकट्स काफी महंगे हैं यह बात ध्यान रहे।अंत मे , एक और बात यहां घूमने के लिए बारिश का मौसम सबसे अच्छा रहेगा क्योकि हर तरफ हरियाली और कुछ झरने आप देख पाएंगे।
नजदीकी पर्यटक स्थान : बूंदी किला ,सेवन वंडर्स पार्क ,चम्बल गार्डन।
कैसे पहुंचे : कोटा शहर से कैब रेंट पर लेकर।
धन्यवाद्
-ऋषभ भरावा (लेखक ,पुस्तक -चलो चले कैलाश )