शिलाँग से मेरा परिचय स्कॉटलैंड के पूरक के रूप में नही हुआ था । मेरे लिए तो शिलाँग की पहचान मेघालय की राजधानी, एक हिल स्टेशन और एक फ़ैशनेबल शहर के रूप में ही थी । सुन रखा था कि शिलाँग बहुत ही सुंदर हिल स्टेशन है, इसलिए पूर्वोत्तर भारत के बारे में सोचने से शिलाँग घूमने का बड़ा मन करता था। लेकिन पूर्वोत्तर भारत में पहली बार क़दम रखने पर कुछ ऐसी व्यस्तता आई कि गुवाहाटी आकर भी शिलाँग ना घूम पाया और माता कामख्या देवी के दर्शन करके वापस लौटना पड़ा । गुवाहाटी पहुँचकर भी शिलाँग ना घूम पाने का मलाल तीन साल तक रहा और फिर समय आया शिलाँग से रूबरू होने का ।
शिलाँग की पहली यात्रा के दौरान लगा कि इसकी ख़ूबसूरती का जो भ्रमजाल बना रखा था, वो सब एक झटके में टूट गया और मैं योजना के अनुसार चार दिन तक रुकने के बजाय दो दिन में ही वापस भाग आया । कुछ भी विशेष तो नही लगा था शिलाँग में । लेकिन फिर इस शहर को पूरब का सबसे ज्यादा आकर्षित करने वाला शहर क्यों माना जाता है ? इस सवाल का जवाब जानने के लिए मुझे शिलाँग की एक-दो नही बल्कि आठ-दस यात्राएँ करनी पड़ी ।
गुवाहाटी में रहने का एक फ़ायदा तो मिलना ही था । जब मन करे तब शिलाँग निकल लो । कई बार शिलाँग में भटकने के बाद समझ आया कि इस शहर की ख़ूबसूरती इसकी भीड़ में है, इसकी सड़कों पर तरीक़े से लगी वाहनों की कतार में है, इसके चारों तरफ़ फैली धुँध में है, कभी भी हो जाने वाली बारिश में है, लेडी ह्याड्री (या लेडी हैदरी) पार्क में कूदते-फांदते बच्चों की खिलखिलाहट में है, वार्ड्स लेक में हाथों में हाथ डाले नौकायन करते युवक-युवतियों के उत्साह में है, बाज़ार में बैठकर मिठाइयाँ खाने या सड़क किनारे से ख़रीददारी करते चेहरों की मुस्कराहट में है, उमियम झील में है, बाकी फ़ैशन, संगीत, इतिहास वो सब तो हैं ही । शिलाँग, पूरब का स्कॉटलैंड, एक शानदार और ज़िंदादिल शहर ।
शिलाँग की पहली यात्रा और निराशा
गुवाहाटी में आए मुझे एक महीने हो चुके थे और बार-बार दिल शिलाँग घूमने के लिए कुलबुलाता रहता था । लेकिन दिक़्क़त यह थी कि परिवार वालों को जुलाई में आना था और दिमाग़ में था कि शिलाँग की पहली यात्रा उनके साथ ही की जाए । जून के आख़िरी हफ़्ते में निकलने का मौक़ा भी मिला तो मैं शिलाँग की जगह जोवई घूम आया । यह भी एक विडम्बना ही थी कि शिलाँग ना घूम पाने की कसक तीन साल तक साथ रही और जब पहली बार मेघालय घूमने का मौक़ा मिला, तो मैंने शुरुआत की पश्चिमी जयन्तिया हिल्स ज़िले के मुख्यालय जोवई से । ख़ैर, जुलाई में मेरी धर्मपत्नी और बिटिया भी गुवाहाटी आ गई, तो शिलाँग घूमने की योजना बनने लगी ।
अगस्त के महीने में एक दिन हम गुवाहाटी से शिलाँग के लिए निकल पड़े । क़ायदे से तो हमें शिलाँग वाली बस पकड़नी थी, लेकिन आई एस बी टी गुवाहाटी पर एक घंटे तक इंतज़ार करने के बाद भी शिलाँग की सीधी बस नही मिली तो हमने अगरतला जाने वाली एक बस पकड़ ली, जो शिलाँग शहर से होकर गुज़रने वाली थी । तब समझ में आया कि शिलाँग जाने के लिए गुवाहाटी से कोई गाड़ी पकड़नी हो तो आई एस बी टी से अच्छा विकल्प पलटन बाज़ार और खानापाड़ा ही है।
गुवाहाटी से बाहर निकलते ही लगा कि प्रकृति की ख़ूबसूरती हर क़दम पर बिखरी पड़ी है । बारिश के मौसम में शिलाँग जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे की पहाड़ियों पर उठती धुँध, बारिश से भीगी चमचमाती सड़क और हर तरफ़ फैली हरियाली देखकर मन प्रसन्न हो गया था । लग रहा था कि हर कोण से, हर क़दम पर तस्वीरें उतारता चलूँ । इतना मज़ा तो दो महीने पहले ही उसी राजमार्ग से होकर जोवई की यात्रा में भी नही आया था ।
चार घंटे तक राजमार्ग पर दौड़ने के बाद हमारी बस उमियम झील (Umiam Lake) के सामने से गुज़री । इतनी बड़ी और इतनी शानदार झील कहाँ किसी शहर के नसीब में होती है? मुश्किल से 8-10 शहर होंगे जहाँ कोई झील पूरी भव्यता के साथ आँखों के सामने होती होगी। अभी तक तो मुझे ऐसी झील बस श्रीनगर, उदयपुर , हैदराबाद और भोपाल में दिखी है । झील से आगे बढ़ते हुए हमारी बस शिलाँग शहर में घुसने के लिए पहाड़ी रास्ते पर चढ़ने लगी । बादलों के कारण सड़क पर थोड़ी धुँध थी, हल्की-हल्की बारिश भी हो रही थी और गीली सड़क के दोनों तरफ़ खड़े चीड़ के पेड़ों की सुंदरता द्देखने लायक थी।
शहर में घुसते ही बस का रेंगना शुरू हो गया । चूँकि बस आगे अगरतला तक जा रही थी, इसलिये हमें शिलाँग शहर के अंदर धनखेती नामक जगह में उतरना पड़ा । हालाँकि गुवाहाटी से शिलाँग तक चलने वाली ज़्यादातर कारें, जीपें और बसें सवारियों को पुलिस बाज़ार में ही उतारती हैं । लेकिन लम्बी दूरी तक जाने वाली बसें सवारियां धनखेती में उतारती हैं । सौभाग्य से हमारा गेस्ट हाउस भी धनखेती में ही था, तो हमें वहाँ उतरने में कोई दिक़्क़त नही महसूस हुई ।
अगले दो दिन तक हम शिलाँग के विभिन्न पर्यटन स्थलों पर घूमते रहे । लेडी हैदरी पार्क में टहलना, वार्ड्स लेक में बोटिंग और पुलिस बाज़ार में ख़रीददारी जैसे कार्यकलापों में व्यस्त रहे । बस शिलाँग पीक से शहर की सुंदरता नही निहार पाए क्योंकि बादलों ने पूरे शहर को अपने आग़ोश में ले रखा था । लेकिन दो दिन घूम के ऐसा लगा कि शिलाँग वैसा नही था, जैसा हमने सोचा था । शहर फ़ैशनेबल ज़रूर है, लेकिन ऐसा भी नही कि यहाँ पहुँचने के लिए बेसब्र हुआ जाए । हालत ऐसी थी कि हमने अगले दो दिन की गेस्ट हाउस बुकिंग को रद्द कराया और वापस गुवाहाटी आ गए । बड़े दिनों तक शिलाँग से मिलने का इंतज़ार किया और जब मिला तो यह शहर पहली नज़र में बिल्कुल भी पसंद नही आया ।
शिलाँग से प्यार
शिलाँग की पहली यात्रा की निराशा और होटलों के महँगे किरायों ने अगले कुछ महीनों तक मुझे शिलाँग से दूर रखा । फिर गुवाहाटी में थोड़ा ज़िंदगी स्थिर होने के बाद मैंने शिलाँग की तरफ़ रूख करना शुरू किया । फिर वो दिन भी आया जब उमियम झील के सुबह, दोपहर और शाम बदलते नज़ारों का जादू चलने लगा; शिलाँग पीक से आँखों के सामने दूर तक फैले शहर का विस्तार सम्मोहित करने लगा; बारापानी एयरपोर्ट से शिलाँग शहर के अनदेखे रास्तों पर ऐसे दृश्य मिलने लगे जो आम पर्यटकों की नज़रों से दूर ही रहते हैं; गोल्फ़ लिंक की ख़ूबसूरती हर बार खींचने लगी और पुलिस बाज़ार की भीड़ में एक सुकून मिलने लगा ।
कई सारी यात्राओं के बाद मुझे समझ आया कि भारी ट्रैफ़िक में भी सड़क के किनारे सलीकें से पंक्तिबद्ध गाड़ियाँ कैसे अन्य शहरों (पूर्वोत्तर भारत को छोड़कर) के लिए एक सबक़ हैं, दोनों तरफ़ लगी गाड़ियों की क़तारों के बीच से अपनी बाइक निकाल कर ले जाने में कितना आनंद है, वार्ड्स लेक के किनारे टहलने और बाद में बोटिंग करने का कैसा मज़ा है, भारी किराए वाले होटलों के बीच सस्ते में रहने का सुकून कैसा है ? पुलिस बाज़ार में लोगों की भारी भीड़ के बीच जलेबी और आइसक्रीम खाने में एक अलग ही आनंद है ।
शिलाँग में घूमने योग्य जगहें
एलीफैंट फ़ॉल्स (Elephant Falls)
यह झरना शिलाँग का सबसे प्रसिद्ध आकर्षण है । यह चेरापूँजी के रास्ते में शहर से क़रीब 12 किमी दूर स्थित है, लेकिन शहर के पास होने के कारण भीड़ बहुत ज़्यादा हो जाती है और आसपास की भीड़ से झरने का वास्तविक आकर्षण खो सा जाता है।
एलीफैंट फ़ॉल्स तीन स्तरों पर गिरते पानी का झरना है । पहला स्तर तो पार्किंग क्षेत्र से कुछ सीढ़ियाँ उतरने के बाद ही दिख जाता है । यह मुझे बाक़ी दोनो स्तरों की तुलना में ज़्यादा भव्य लगता है ।
थोड़ी सी सीढ़ियाँ उतरने के बाद झरने का दूसरा स्तर दिखता है, जो कुछ ख़ास नहीं लगता । सीढ़ियों वाले रास्ते से थोड़ा और नीचे जाने पर हम झरने के सबसे निचले स्तर पर पहुँच जाते हैं, जहाँ झरने के सामने बने पानी के पूल में जा सकते हैं । हालाँकि यहाँ कहीं भी नहाने की अनुमति है । कहा जाता है कि निचले हिस्से में ही एक एलीफैंट जैसी दिखने वाली बड़ी सी चट्टान के नाम पर अंग्रेज़ों ने इस झरने का नाम एलीफैंट फाल्स रखा था । लेकिन वर्ष 1897 में आए भूकम्प से यह चट्टान बिखरकर बह गई।
खुलने का समय : सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक प्रतिदिन (सर्दियों में शाम 5 बजे के बाद जाने का कोई फ़ायदा नही है)
प्रवेश शुल्क: 20 रुपए प्रति व्यक्ति, मोबाइल या डिजिटल कैमरा 20 रुपए
पब्लिक ट्रांसपोर्ट: शिलाँग से मिलियम की तरफ़ चलने वाली टैक्सियाँ एलीफैंट फ़ॉल्स से 300-400 मीटर दूर मुख्य सड़क पर छोड़ देती हैं । वहाँ से एलीफैंट फ़ॉल्स घूमने के बाद शहर में वापसी के लिए फिर से टैक्सी मिल सकती है ।
उमियम झील (Umiam Lake)
शिलाँग से गुवाहाटी के मुख्य रास्ते पर शहर से क़रीब 12-13 किमी दूर स्थित उमियम लेक यहाँ का एक मुख्य आकर्षण है। कई लोग इसको बारापानी लेक भी बोलते हैं । क़रीब 5 किमी के क्षेत्र में सड़क के किनारे-किनारे उमियम लेक को देखने के लिए 4-5 व्यू-पॉइंट्स बने हुए हैं । इनमें ऊँचाई से देखने के लिए टोयोटा और महिंद्रा के शोरूम के पास का उमियम लेक व्यू-पॉइंट और ऑर्किड लेक रिसॉर्ट का व्यू-पॉइंट सबसे ज़्यादा अच्छा है । ऑर्किड लेक रिसॉर्ट के पास से उतरकर झील में नौका-विहार भी कर सकते हैं ।
खुलने का समय : सूर्योदय से सूर्यास्त
प्रवेश शुल्क: कोई शुल्क नही है ।
पब्लिक ट्रांसपोर्ट: शहर से उमियम लेक के निचले हिस्से तक बहुत सारी टैक्सियाँ चलती हैं । वैसे भी शिलाँग- गुवाहाटी के मुख्य मार्ग पर स्थित होने के कारण पब्लिक ट्रांसपोर्ट आराम से मिल जाता है ।
वार्ड्स लेक (Ward’s Lake)
पुलिस बाज़ार से मात्र एक किमी दूर स्थित यह ख़ूबसूरत झील नौकायन का लुत्फ़ उठने के लिए एक बहुत ही अच्छी जगह है । झील पर बने लकड़ी के पुल से आसपास का नज़ारा बड़ा शानदार दिखता है । झील के किनारे-किनारे चहलक़दमी करने में भी बड़ा मज़ा आता है ।
खुलने का समय : गर्मियों (मार्च से अक्टूबर) में सुबह 8.30 बजे से शाम 6.30 बजे तक । सर्दियों (नवम्बर से फ़रवरी) में सुबह 8.30 बजे से शाम 4.30 बजे तक । शनिवार और रविवार को झील का प्रवेश द्वार शाम को आधा घंटा देरी से बंद होता है । मंगलवार को प्रवेश बंद रहता है ।
प्रवेश शुल्क: वयस्क 10 रुपए प्रति व्यक्ति और बच्चे 5 रुपए । दिव्यांग 5 रुपए और वरिष्ठ नागरिक 5 रुपए प्रति व्यक्ति । डिजिटल कैमरे का 20 रुपए । हैंडीकैम 100 रुपए और प्रोफ़ेशनल वीडियो कैमरा 200 रुपए। नौकायन 25 मिनट ( 2 सीट वाली नाव 50 रुपए और 4 सीट वाली नाव 100 रुपए) । नौकायन 45 मिनट ( 2 सीट वाली नाव 80 रुपए और 4 सीट वाली नाव 160 रुपए) ।
लेडी ह्याड्री पार्क (Lady Hyadri Park)
अविभाजित असम के पहले ब्रिटिश गवर्नर की पत्नी के नाम पर बना यह पार्क शिलाँग के सिविल अस्पताल के पीछे एक बड़े हिस्से में फैला हुआ है । इस पार्क में फूलों की कई प्रजातियाँ हैं, एक हिस्से में बच्चों के झूले और चकरियाँ हैं, एक अन्य क्षेत्र में जल क्रीड़ा करते पक्षियों का झुंड भी मौजूद रहता है । शहर की भीड़भाड़ से दूर परिवार और बच्चों के साथ शांतिपूर्ण ढंग से कुछ समय बिताने के लिए यह एक अच्छी जगह है ।
खुलने का समय : सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक । पार्क सोमवार को बंद रहता है ।
प्रवेश शुल्क: वयस्क 10 रुपए प्रति व्यक्ति और बच्चे 5 रुपए । दिव्यांग 5 रुपए और वरिष्ठ नागरिक 5 रुपए प्रति व्यक्ति । डिजिटल कैमरे का 10 रुपए । हैंडीकैम 50 रुपए और प्रोफ़ेशनल वीडियो कैमरा 100 रुपए।
गोल्फ़ लिंक (Golf Link)
गोल्फ़ लिंक के इलाक़े में घुसते ही एक ख़ास इलाक़े का एहसास आने लगता है । चमचमाती सड़कों के बीच के ख़ाली मैदानों में बिछी मख़मली घास और आस-पास के क्षेत्र की हरियाली बरबस ही आकर्षित करने लगती है ।
पुलिस बाज़ार (Police Bazar)
हमेशा भीड़भाड़ से भरा रहने वाला पुलिस बाज़ार के क्षेत्र को ही शिलाँग का केंद्र बिंदु समझा जाता है । यहाँ होटलों की लम्बी क़तारें है, वाहनो के झुंड हैं और इंसानों का एक रेला सा लगा रहता है । यह कपड़ों और इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तुओं की ख़रीददारी के लिए शिलाँग की सबसे अच्छी मार्केट हैं । यहाँ पेटपूजा के लिए एक से बढ़कर एक रेस्टोरेंट भी मौजूद हैं ।
राजकीय संग्रहालय (State Museum)
मेघालय के राजकीय संग्रहालय को अब कैप्टन विलियमसन संगमा राजकीय संग्रहालय के नाम से जाना जाता है । वर्ष 1975 में बने इस संग्रहालय में स्थानीय जनजातियों में लोकप्रिय हैंडीक्राफ़्ट, कला, रीति-रिवाज, रोज़मर्रा की चीज़ें, साज-श्रिंगार के गहने, पारम्परिक बर्तनों, कपड़ों और हथियारों का उत्कृष्ट संग्रह है । राजकीय संग्रहालय की एक शाखा तुरा में भी है ।
खुलने का समय : सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक । शनिवार और रविवार को संग्रहालय बंद रहता है ।
प्रवेश शुल्क: वयस्क 5 रुपए प्रति व्यक्ति और बच्चे 2 रुपए । विद्यार्थी 3 रुपए । मोबाइल कैमरा 10 रुपए । वीडियो कैमरा 100 रुपए।
शिलाँग कैसे पहुँचे?
शिलाँग पहुँचने के लिए असम की राजधानी गुवाहाटी से होकर सड़क मार्ग की यात्रा करनी पड़ती है । वैसे तो शिलाँग में एक हवाई अड्डा भी है, लेकिन वहाँ के लिए दिन भर में कोलकाता से सिर्फ़ दो ही जहाज़ चलते हैं । इन विमानों का आवागमन भी काफ़ी हद तक मौसम पर निर्भर करता है ।U
किसी भी पर्यटक के लिए मेघालय पहुँचने के दो मुख्य प्रवेश द्वार हैं, पहला मेघालय की राजधानी शिलाँग और दूसरा असम की राजधानी गुवाहाटी (दिसपुर) । शिलाँग और गुवाहाटी के बीच की दूरी लगभग 100 किमी है । लेकिन दोनो शहरों की बाक़ी दुनिया से जुड़ाव के साधनों में बड़ा अंतर है । यहाँ मैं दोनों जगहों तक सीधे पहुँचने के विकल्प बताऊँगा :
शिलाँग : मेघालय में कही भी घूमने जाना हो, तो आपको सामान्यतः राजधानी शिलाँग तक पहुँचना पड़ता है । शिलाँग मेघालय के हर हिस्से तक पहुँचने का सबसे बड़ा गेटवे है । शिलाँग तक पहुँचने के निम्नलिखित विकल्प हैं:
हवाई मार्ग: शिलाँग शहर के केंद्र पुलिस बाज़ार से क़रीब 30 किमी दूर बारापानी में स्थित हवाई अड्डे के लिए प्रतिदिन कोलकाता से दो उड़ानें उपलब्ध हैं । क़रीब 75 सीटों वाले ये जहाज़ बहुत कम पर्यटकों के लिए ही मुफ़ीद होते हैं । इनके आने-जाने में शिलाँग के मौसम की बहुत बड़ी भूमिका रहती है और कई बार मौसम ख़राब होने पर इन जहाज़ों का आवागमन नही होता है । सिर्फ़ दो उड़ाने होने के कारण ज़्यादातर समय इनका किराया भी महँगा ही होता है । एयरपोर्ट से शहर तक पहुँचने के लिए रिज़र्व गाड़ियों के अलावा और कोई विकल्प नही है। मेघालय पर्यटन विभाग द्वारा फ़्लाइट के समय पर एक सवारी गाड़ी चलाई जाती है, जिसमें 28 सीटें होती हैं । इस गाड़ी में प्रति व्यक्ति किराया 100 रुपए है ।
रेल मार्ग: शिलाँग शहर तक कोई भी रेलवे लाइन नही है । यहाँ का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन गुवाहाटी ही है ।
सड़क मार्ग: सड़क मार्ग से शिलाँग जाने का विकल्प भी गुवाहाटी से ही होकर उपलब्ध है । लेकिन अगर आप मिज़ोरम या त्रिपुरा की यात्रा के बाद गुवाहाटी ना आकर सीधे शिलाँग पहुँचना चाहते हैं तो आइज़ाल या सिलचर से शिलाँग के लिए सीधी सूमो गाड़ियाँ मिल जाती हैं (प्रति व्यक्ति किराया क़रीब 900 रुपए आइज़ाल से और 400 रुपए सिलचर से) ।
गुवाहाटी : देखा जाए तो शिलाँग पहुँचने के लिए भी ज़्यादातर अच्छे और किफ़ायती विकल्प गुवाहाटी से ही उपलब्ध है । सिर्फ़ 100 किमी की दूरी होने के कारण गुवाहाटी से शिलाँग पहुँचना बहुत ही आसान है । गुवाहाटी रेल, सड़क और हवाई मार्ग द्वारा पूरे देश से जुड़ा हुआ है। चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद, मुंबई, कोलकाता, जयपुर, अहमदाबाद, नई दिल्ली जैसे शहरों से गुवाहाटी के लिए सीधी उड़ाने उपलब्ध है। इसी तरह गुवाहाटी के लिए देश के हर कोने ने कई सारी रेलगाड़ियाँ भी चलती हैं । इसलिए बेहतर है कि मेघालय घूमने के लिए सबसे पहले गुवाहाटी ही पहुँचा जाए ।
गुवाहाटी से शिलाँग कैसे पहुँचे?
सड़क मार्ग द्वारा : सामान्य तौर पर किसी भी दिन, किसी भी समय शिलाँग पहुँचने का सबसे अच्छा विकल्प गुवाहाटी से सड़क मार्ग द्वारा जाना है । गुवाहाटी से शिलाँग की सड़क यात्रा के लिए कई तरह के साधन उपलब्ध हैं :
1. रिज़र्व गाड़ियाँ: गुवाहाटी एयरपोर्ट या गुवाहाटी रेलवे स्टेशन से बाहर निकलते ही कई सारी गाड़ियाँ जैसे मारुति 800, आल्टो, स्विफ्ट डिज़ायर जैसी गाड़ियाँ किराए पर ली जा सकती हैं । थोड़ा बड़ी और आरामदायक गाड़ियाँ जैसे इन्नोवा, सियाज़, ब्रीज़ा , ज़ाइलो इत्यादि के लिए पहले से ही किसी टूर एजेंट के ज़रिए बुकिंग करनी पड़ती है । गुवाहाटी से शिलाँग का रिज़र्व गाड़ी का किराया 1600 रुपए ( मारुति 800, 3 सीट) से लेकर 6000 रुपए (इन्नोवा, 6 सीट) तक हो सकता है । शिलाँग के अलावा आस-पास घूमने के लिए इन्नोवा 4500-5500 रुपए प्रतिदिन के किराए पर भी मिल सकती है । प्रतिदिन के हिसाब से स्विफ्ट डिज़ायर को रिज़र्व करने पर 3000-3500 रुपए तक का किराया लग सकता है ।
2. शेयर्ड गाड़ियाँ: शिलाँग जाने वाली शेयर्ड गाड़ियाँ पकड़ने के लिए गुवाहाटी में तीन प्रमुख स्थान हैं:
गुवाहाटी एयरपोर्ट का पार्किंग क्षेत्र: एयरपोर्ट की टर्मिनल बिल्डिंग से बाहर निकलकर पार्किंग क्षेत्र की तरफ़ पहुँचते ही शिलाँग -शिलाँग चिल्लाते टैक्सी ड्राइवर मिल जाते हैं । इनमें से कई सारे ऐसे टैक्सी चालक भी होते हैं, जो कि शिलाँग से किसी यात्री को गुवाहाटी एयरपोर्ट छोड़ने आए होते हैं और वापसी में कोई सवारी ना होने पर एयरपोर्ट से औरों को बैठा लेते हैं । ड्राइवरों से सुरक्षा को लेकर इधर कोई ख़तरा नही है, इसलिए आप आराम से इन टैक्सियों में बैठ सकते हैं । गुवाहाटी से शिलाँग इस प्रकार की सवारी टैक्सी का प्रति व्यक्ति किराया 500 रुपए है । सुबह 10 बजे से शाम 8 बजे तक ऐसी टैक्सियाँ आराम से मिल जाती हैं ।
एयरपोर्ट से शिलाँग के लिए मेघालय पर्यटन विभाग द्वारा दोपहर में दो बार टाटा विंगर गाड़ियाँ चलाई जाती हैं, पहली गाड़ी गुवाहाटी एयरपोर्ट से दोपहर 2 बजे और दूसरी चार बजे प्रस्थान करती है । इनका किराया प्रति व्यक्ति 450 रुपए है ।
खानापाड़ा का बस/जीप स्टैंड : गुवाहाटी की बाहरी सीमा में राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित खानापाड़ा से शिलाँग (तेज़पुर, जोरहाट, दीमापुर इत्यादि भी) के लिए सूमो या टेम्पो ट्रैवेलेर गाड़ियाँ मिलती हैं । खानापाड़ा पहुँचने के लिए गुवाहाटी में जालुक़बारी स्टैंड से शेयर्ड ऑटो मिलते हैं । जालुक़बारी से खानापाड़ा के लिए सवारी बसें भी चलती है, लेकिन यह बसें शहर में कामाख्या, पलटन बाज़ार, जी एस रोड, सिक्स माईल इत्यादि घूमते-घामते खानापाड़ा पहुँचने में बहुत समय लेती हैं। खानापाड़ा से शिलाँग तक सूमो का प्रति व्यक्ति किराया 170 रुपए है ।
पलटन बाज़ार का क्षेत्र: गुवाहाटी स्टेशन से बाहर निकलकर पलटन बाज़ार में स्थित गोल्ड डिजीटल सिनेमा की ओर बढ़ने पर स्टेशन के बाहरी हिस्से से लेकर गोल्ड सिनेमा तक सड़क किनारे स्थित स्टैंड से शिलाँग के लिए टैक्सी या सूमो गाड़ियाँ मिलती हैं । सूमो का प्रति व्यक्ति किराया 170 रुपए से 200 रुपए तक होता है ।
3. पब्लिक बसें : गुवाहाटी से शिलाँग के लिए असम परिवहन विभाग की दिन भर में कई बसें चलती हैं, जिन्हें गारचुक के पास स्थित आइ एस बी टी (तिरुपति श्री बालाजी मंदिर के बग़ल में ) से पकड़ा जा सकता है । आइ एस बी टी जालुक़बारी से खानापाड़ा वाले मुख्य मार्ग पर ही स्थित है । यहाँ से शिलाँग के लिए दिन भर में 3-4 प्राइवेट बसें भी मिलती हैं ।इन बसों का किराया प्रति व्यक्ति 120 रुपए होता है, लेकिन इनकी संख्या इतनी कम होती है कि गुवाहाटी से शिलाँग के लिए लोग इन पर निर्भर रहने के बजाय सूमो या टैक्सी से ही जाना पसंद करते हैं ।
4. ओला/ ऊबर की सेवायें : गुवाहाटी से शिलाँग के बीच ओला आउटस्टेशन का दोनों तरफ़ का किराया प्रति कार 3200 रुपए (हैचबैक, जैसे मारुति आल्टो) से 3700 रुपए (सिडान, जैसे स्विफ्ट डिज़ायर) रुपए है । यह सुविधा सिर्फ़ एक तरफ़ के लिए उपलब्ध नही है ।
ऊबर में सिर्फ़ एक तरफ़ आने या जाने की सुविधा उपलब्ध है, लेकिन इसका प्रति कार किराया 2200 रुपए से 2500 रुपए तक पड़ता है ।
5. ज़ूम कार (Zoom Car) : अगर आपको गाड़ी चलाने का शौक़ है तो गुवाहाटी एयरपोर्ट पर ज़ूम कार की सुविधा उपलब्ध है । यहाँ से सेल्फ़-ड्राइव कार लेकर आप कहीं भी आ जा सकते हैं । ज़ूम कार का ऑफ़िस एयरपोर्ट से लगभग आधा किमी दूर है । सेल्फ़-ड्राइव कार का चुनाव करने के लिए क्रेटा, बलेनो, आई 20, ईकोस्पोर्ट, ब्रीज़ा जैसी गाड़ियाँ उपलब्ध हैं ।
नोट : 1. गुवाहाटी से शिलाँग जाते समय रास्ते में नोंगपोह के पहले सड़क के किनारे लगी हुई झोपड़ीनुमा दुकानों में अनानास (Pineapple) का बेहतरीन स्वाद मिलता है ।
2. कोई भी सवारी गाड़ी आप गुवाहाटी में किसी भी स्थान से पकड़ें, शिलाँग पहुँचकर ज्यादातर गाड़ियाँ मुख्यतः पुलिस बाज़ार के पास ही छोड़ती हैं। सवारी बसों का बस स्टैंड भी वही हैं ।
3. शिलाँग से गुवाहाटी आते समय शेयर्ड सूमो शिलाँग में अंजली पॉइंट से मिलती हैं ।
मेघालय में बाइक रेंटल
शिलाँग में मेघालय के अन्य हिस्सों में घूमने के लिए बाइक और स्कूटी किराये पर देने वाली कई एजेंसियां मौजूद हैं । आमतौर पर यहाँ बाइक किराये पर लेने का एक दिन का किराया करीब 800 रूपये और स्कूटी का एक दिन का किराया करीब 400 रूपये है । चूँकि मेघालय के मुख्य हिस्सों में सड़कों की स्थिति बहुत ही उम्दा है, इसलिए किराये के दुपहिया वाहन से घूमने में बड़ा मजा आता है ।
शिलाँग में होटल और गेस्ट हाउस
शिलाँग में रात्रि विश्राम के लिए होटल, गेस्ट हाउस और होमस्टे पर्याप्त संख्या में मौजूद हैं । हालाँकि इनके किराए की दरें थोड़ी ज़्यादा लगती हैं । ज़्यादातर होटल पुलिस बाज़ार और बड़ा बाज़ार के आसपास स्थित हैं, लेकिन यह शहर के सबसे व्यस्त रहने वाले क्षेत्र हैं तो रात-दिन चिल्ल्पों मची रहती है । पुलिस बाज़ार के आसपास होटल रहने से कहीं भी आने-जाने के लिए यातायात के साधन बड़ी सुगमता से मिल जाते हैं ।
चेरापूँजी जाने वाले रास्ते पर शहर की बाहरी सीमा में स्थित मिलियम (Mylliem) में कई सारे होटल और होमस्टे हैं । इसी तरह लाइलुम कैनयान के रास्ते में स्थित लैतकोर में भी होटल और होमस्टे स्थित हैं । लेकिन मिलियम या लैतकोर में रुकना तभी अच्छा रहेगा जब आपके पास ख़ुद का वाहन हो नहीं तो आपको और कहीं की गाड़ी पकड़ने के लिए शहर में आना पड़ेगा । अगर आपको उमियम लेक की प्राकृतिक ख़ूबसूरती का आनंद लेना हो तो ऑर्किड लेक रिसॉर्ट रुकने का एक बेहतरीन विकल्प है । शिलाँग पीक चूँकि संवेदनशील क्षेत्र है तो उधर रुकने का कोई विकल्प नही है। एलीफैंट फ़ॉल्स के पास तो रुकने का विकल्प नही है लेकिन मिलियम वहाँ से बस दो किमी की दूरी पर है, जहाँ होटल और होमेस्टे के कई सारे विकल्प हैं। इन सबके अलावा शिलाँग में कई सारे हॉस्टल (यूथ हॉस्टल, इसाबेला हॉस्टल, अरबिन्दो हॉस्टल इत्यादि ) भी है, जिनमें से ज्यादातर पुलिस बाज़ार के आसपास ही स्थित हैं । ऐसे हॉस्टलों में 250 -500 रुपए प्रति रात्रि की दर से डॉर्मिटरी की सुविधा उपलब्ध है। अकेले यात्रियों के लिए यह एक अच्छा विकल्प हो सकता है।
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