देहरादून का इतिहास -
वर्तमान में देहरादून उत्तराखंड की राजधानी है और पूरे वर्षभर लाखों की संख्या में पर्यटक इस शहर में घूमने के लिए आते है।
सहस्त्रधारा देहरादून*
देहरादून से मात्र 16 किलोमीटर की दूरी पर एक गांव है रामपुर। इस गांव में बहने वाला गंधक झरना अपनी औषधीय गुणों के लिए बहुत प्रसिद्ध है। ऐसा माना जाता है की त्वचा से जुड़ी हुई बीमारियों के लिये इस झरने से बहने वाला पानी बहुत उपयोगी होता है और इस झरने के पानी से नहाने पर कई तरह के त्वचा रोगों को खत्म किया जा सकता है।
इस जगह का नाम सहस्त्रधारा रखे जाने का कारण बहुत रोचक है, इस जगह के पास स्थित पहाड़ो में बहुत छोटी-छोटी गुफाएं बनी है। इन सभी छोटी-छोटी गुफाओं के अंदर से लगातार बूंदों के रूप मे लगातार पानी टपकता रहता है और यह पानी एकत्र होकर बहुत सारी छोटी-छोटी धारा के रूप में आगे बढ़ता है।
यहाँ बहने वाली पानी की छोटी-छोटी धाराएँ तलहटी में पहुंच कर एक बड़ी धारा का रूप ले लेती है इस वजह से इस जगह को सहस्त्रधारा कहा जाता है। पहाड़ो की तलहटी में बसे हुये होने की वजह से प्राकृतिक रूप से भी बहुत ज्यादा सुंदर और मनमोहने वाली जगह है। वर्तमान में सहस्त्रधारा एक पारिवारिक पिकनिक स्पॉट के रूप में बहुत ज्यादा प्रसिद्ध है।
बहते हुए पानी के दोनों तरफ दुकाने बनी है जिस वजह से इस जगह खाने पीने की कोई कमी नहीं होती है। सहस्त्रधारा पर आप किसी भी वक़्त जा सकते है यहाँ पर लोग अपने परिवार और बच्चों के साथ पानी में मौज-मस्ती करते हुए मिल जाएंगे। सहस्त्रधारा में नहाने के लिए चेंजिंग रूम बने हुए है। सहस्त्रधारा के पास में एक रोपवे बना हुआ जिसका शुल्क 150/- रुपये लिया जाता है।
सहस्त्रधारा देहरादून देखने का समय -
सुबह 08:00 बजे से लेकर शाम को 07:00 बजे तक।
सहस्त्रधारा देहरादून में प्रवेश शुल्क -
प्रवेश निःशुल्क।
घण्टाघर देहरादून -
देहरादून शहर के मध्य में स्थित घंटाघट का निर्मान ब्रिटिश शासनकाल के दौरान करवाया गया। इस घण्टाघर की इमारत षट्कोणीय आकार की बनी हुई है और इसके निर्माण में ईंट और पत्थरों का उपयोग किया गया है। घण्टाघर की इमारत के सबसे शीर्ष भाग पर सभी कोणो पर छः घड़ियां लगी हुई है। ऐसा माना जाता है की बिना घंटानाद का यह घण्टाघर एशिया का सबसे बड़ा घण्टाघर है। घण्टाघर में प्रवेश करने के लिए छः प्रवेश द्वार बनाये गए है तथा ऊपर जाने के लिए घण्टाघर के मध्य भाग में सीढ़िया बनी हुई है। देहरादून शहर में स्थित यह घण्टाघर अपनी अनूठी वास्तुकला की वजह से आज भी एक अलग पहचान रखता है। वर्तमान में यह घण्टाघर शहर के मुख्य व्यापारिक गतिविधियों का केंद्र है इस वजह से घण्टाघर के चारों तरफ पूरे दिन भीड़-भाड़ का माहौल रहता है।
पलटन बाजार देहरादून -
पलटन बाजार देहरादून में थोक और खुदरा व्यापार का मुख्य केंद्र है। देहरादून के प्रसिद्ध बासमती चावल और ऊनी कपड़ो की खरीदारी के लिए पलटन बाजार देहरादून में सबसे अच्छी और उपयुक्त जगह है। चावल और ऊनी कपड़ो के अलावा पलटन बाजार में कपड़े, इलेट्रॉनिक्स और देहरादून के स्ट्रीट फ़ूड की दुकानें भी उपलब्ध है। घण्टाघर से पलटन बाजार की दूरी मात्र कुछ मीटर की है। अगर आप को शॉपिंग पसंद है तो देहरादून का पलटन बाजार आप लिए सबसे उपयुक्त जगह है। पलटन बाजार में खरीदारी के समय आप मोलभाव अवश्य करें। पलटन बाजार में आप सुबह 10 बजे से रात को 10 बजे तक किसी भी समय जा सकते है। देहरादून में महिलाओं के कपड़ों की खरीदारी के लिए पलटन बाजार सबसे अच्छी जगह है।
तिब्बत मार्केट देहरादून -
देहरादून में परेड ग्राउंड के पास स्थित तिब्बत मार्केट, तिब्बत से आये हुए शरणार्थियों द्वारा लगाए जाने वाला बाजार है जिसमे तिब्बत से आये हुए दुकानदार मुख्य रूप से अपने हाथों से बनाये हुए गरम कपड़े बेचते है और इसके अलावा हैंडीक्राफ्ट, आर्टिफिशियल जैवेलेरी, कारपेट, बैग्स और पेंटिंग्स भी बेचते है। तिब्बत के शरणार्थी वैसे तो पूरे देश भर में सर्दियों के मौसम में तिब्बत मार्केट लगाते है। देहरादून में लगने वाला तिब्बत मार्केट वैसे तो पूरे हफ्ते खुला रहता है लेकिन शनिवार और रविवार के दिनों में लगाने वाले तिब्बत मार्केट में स्थानीय नागरिकों के अलावा पर्यटकों की भीड़ भी शामिल हो जाती है। तिब्बत मार्केट में आप तिब्बत के लोकल फ़ूड को भी एन्जॉय कर सकते है। पलटन मार्किट में जहाँ आप को बड़े ब्रांड के शो रूम देखने को मिलते है वहीं तिब्बत मार्केट देहरादून का सबसे प्रसिद्ध स्ट्रीट मार्केट है। अगर आप मोलभाव में अच्छे है तो देहरादून में तिब्बत मार्केट आप के लिए सबसे अच्छी जगह है।
इंदिरा मार्केट देहरादून -
पलटन बाजार और तिब्बत मार्केट के अलावा देहरादून में एक और प्रसिद्ध बाजार है जिसे इंदिरा बाजार के नाम से जाना जाता है। पलटन बाजार के जैसे इंदिरा बाजार भी घण्टाघर से कुछ ही दूरी पर स्थित है। इंदिरा बाजार 800 मीटर से 1 किलोमीटर लम्बा स्ट्रीट शॉपिंग मार्केट है। पलटन बाजार और तिब्बत मार्केट के जैसे ही इंदिरा मार्केट भी कपड़ों की खरीदारी के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन फिर भी इंदिरा बाजार बाकी दोनों मार्केट से खरीदारी के मामले में अलग है। और इसका मुख्य कारण है इंदिरा मार्केट में मिलने वाले लेटेस्ट डिज़ाइन के कपड़े। अगर आप एक अच्छे मोलभाव वाले व्यक्ति है तो यहाँ मिलने वाले लेटेस्ट डिज़ाइन के कपड़े आपको बहुत कम कीमत पर मिल जाते है। इन कपड़े के बारे में पूछने पर स्थानीय दुकानदार इन कपड़ो को ओरिजनल कपड़ो की डिज़ाइन की फर्स्ट कॉपी बताते है। पलटन बाजार में अगर महिलाओं के कपड़े अधिक मात्रा में मिलते है तो वहीं इंदिरा मार्केट पुरुषों के कपड़ों के लिए प्रसिद्ध है। अगर आप देहरादून घूमने का प्लान बना रहे है तो यहाँ के तीनों मार्केट के लिए समय जरूर निकाले।
रोबर्स केव (गुचुपानी) देहरादून -
रोबर्स केव देहरादून से 8 किलोमीटर दूर अनारवाला गांव में स्थित देहरादून का सबसे ज्यादा रोमांचक पर्यटक स्थल है। स्थानीय निवासी रोबर्स केव को गुचुपानी के नाम से पुकारते है। रोबर्स केव एक प्राकृतिक गुफा है जिसकी लंबाई लगभग 600 मीटर है और यह गुफा दो भागों में बंटी हुई है। इस गुफा की सबसे रोमांचक बात यह है की इस गुफा में पूरे साल घुटनों तक पानी बहता रहता है, इसलिए जब आप इस गुफा में प्रवेश करते है तो आपको एक अलग ही रोमांच महसूस होता है। आप जैसे-जैसे रोबर्स केव में अंदर जाते है तो कई जगह गुफा बहत सँकरी हो जाती है। इस गुफा में वैसे तो पानी के मुख्य स्त्रोत अभी तक पता नहीं चला है लेकिन गुफा के पास एक झरना गिरता है जिसकी ऊंचाई लगभग 10 मीटर है। स्थानीय निवासियों का ऐसा मानना है की बहुत पहले इस जगह का उपयोग चोर और डाकू छुपने के लिए किया करते थे इस वजह से इस गुफा को रोबर्स केव के नाम से जाना जाने लगा। रोबर्स केव के आसपास स्थानिय निवासियों ने खाने पीने की दुकाने लगा रखी है। गुफा में आप के जूते या सैंडल खराब ना हो इसलिए रोबर्स केव के पास आप को चप्पल भी किराए पर मिल जाएगी। अगर आप देहरादून घूमने का प्लान बना रहे है तो रोबर्स केव आपकी बकेट लिस्ट में जरूर होना चाहिए।
नोट:- रोबर्स केव में बारिश के मौसम में पानी का बहाव तेज हो जाता है इसलिए केव में जाते समय सावधानी जरूर रखें।
रॉबर्स केव देहरादून में प्रवेश का समय -
सुबह 7:00 बजे से लेकर शाम को 6:00 बजे तक ।
रॉबर्स केव देहरादून में प्रवेश शुल्क -
प्रवेश शुल्क – 25/- रुपये ।
टपकेश्वर मंदिर देहरादून -
देहरादून से 5.5 किलोमीटर दूर गढ़ी केंट में एक प्राचीन शिव मंदिर है। यह प्राचीन शिव मंदिर गढ़ी केंट में बहने वाली एक छोटी नदी के किनारे पर बना हुआ है। इस प्राचीन मंदिर को टपकेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है। टपकेश्वर मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। ऐसा माना जाता है की गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वथामा का जन्म इसी स्थान पर हुआ है। इस मंदिर और इस स्थान को लेकर गुरु द्रोण और उनके पुत्र अश्वथामा को लेकर एक रोचक कथा बहुत प्रचलित है। एक बार की बात है गुरु द्रोण के पुत्र अश्वथामा को एक बार बहुत जोर से भूख लगती है तो वह अपने माता पिता से पीने के लिए दूध मांगते है। गुरु द्रोण अपने पुत्र के दूध की मांग को पूरा करने में असमर्थता दिखाते है। गुरु द्रोण की इस बात से दुखी होकर अश्वथामा उसी समय भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिये तपस्या करने लग जाते है। कुछ समय के बाद अश्वथामा की तपस्या से प्रसन्न हो कर भगवान शिव तपस्या स्थल पर पर दूध की धारा बहा देते है और इस प्रकार अश्वथामा की भुख शान्त होती है। उस समय के बाद से ही यहाँ स्थित गुफा की चट्टान से शिवलिंग पर दूध की बूंदे टपक रही है। आज भी इस प्राचीन शिवलिंग पर चट्टान से लगातार पानी की बूंदे टपकती रहती है इसलिये इस मंदिर को टपकेश्वर महादेव के नाम से पुकारा जाता है। टपकेश्वर महादेव मंदिर के पास एक छोटी नदी भी बहती है जिसमें यहाँ आने वाले पर्यटक और श्रद्धालु नहाने का आनदं भी ले सकते है।
टपकेश्वर मंदिर देहरादून में दर्शन का समय
सुबह 04:00 बजे से रात के 10:30 बजे तक।
टपकेश्वर मंदिर देहरादून में प्रवेश शुल्क -
प्रवेश निःशुल्क।
मालसी डियर पार्क देहरादून
मालसी डियर पार्क की देहरादून से दूरी 10.2 किलोमीटर की है, और यह देहरादून से मसूरी जाते समय रास्ते में आता है। 22 एकड़ में फैला हुआ यह डियर पार्क परिवार और बच्चों के लिए सबसे शानदार जगहों में से एक है। इस पार्क के अंदर डियर के अलावा अन्य वन्यजीवों में मोर और नीलगाय, जैसे जानवर और पक्षी दिखाई देते है। बच्चों के मनोरंजन के लिए पार्क कुछ झूले भी लगाए हुए है। सप्ताहांत में स्थानीय निवासी मालसी डियर। पार्क में आना बेहद पसंद करते है। अगर आप देहरादून से मसूरी घूमने का कार्यक्रम बनाते है तो कुछ समय मालसी डियर पार्क के लिए जरूर निकाले।
मालसी डियर पार्क देहरादून में प्रवेश का समय -
मालसी डियर पार्क सुबह 10:00 बजे से लेकर शाम को 5:00 बजे तक पर्यटकों के लिए खुला रहता है। सप्ताह में सोमवार के दिन यह पार्क बंद रहता है बाकी मंगलवार से लेकर रविवार तक पर्यटकों के लिए यह पार्क खुला रहता है। मालसी डियर पार्क देहरादून में प्रवेश शुल्क -
मालसी डियर पार्क में वयस्कों के लिए प्रवेश शुल्क 20/- रुपए लिया जाता है और बच्चों के लिए प्रवेश शुल्क 10/- रुपये लिया जाता है।
देहरादून में घूमने का सबसे से अच्छा समय -
हिमालय की तलहटी में स्थित होने की वजह से देहरादून का मौसम वैसे तो पूरे साल अच्छा रहता है और गर्मियों के मौसम में भी यहाँ पर बहुत तेज गर्मी नहीं होती है इसलिए अगर आप अपने परिवार या फिर दोस्तों के साथ देहरादून घूमने का कार्यक्रम बना रहे है तो मार्च से लेकर जून के पहले सप्ताह तक आप देहरादून घूमने जा सकते है। देहरादून में साल के इन महीनों में अधिकतम तापमान 35° तक जाता है और रात को न्युनतम 18° तक चला जाता है।
देहरादून कैसे पहुंचे -
हवाईजहाज से देहरादून कैसे पहुंचे -
देहरादून के हवाई अड्डे का नाम जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है। देहरादून शहर से इस हवाई अड्डे की दूरी मात्र 31 किलोमीटर है, यह हवाई अड्डा लगभग देश के सभी प्रमुख हवाई अड्डों से जुड़ा हुआ है। अगर आप किसी दूसरे देश से देहरादून आने का कार्यक्रम बना रहे है तो आप को सबसे पहले दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर आना होगा।
रेल से देहरादून कैसे पहुंचे -
देहरादून भारत के अन्य शहरों से रेल मार्ग द्वारा भी बहुत अच्छे तरीके से जुड़ा हुआ है। देहरादून रेलवे स्टेशन मुख्य शहर से बाहर 1-2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। देहरादून रेलवे स्टेशन देश के लगभग सभी प्रमुख शहरों से आप को देहरादून के लिए ट्रैन उपलब्ध मिल जाएगी।
सड़क मार्ग से देहरादून कैसे पहुंचे -
वैसे तो भारत के किसी भी कोने से आप देहरादून सड़क मार्ग द्वारा बहुत आसानी से पहुंच सकते है। लेकिन उत्तर भारत के प्रमुख शहरों से देहरादून की कनेक्टिविटी बहुत अच्छी है दिल्ली, जयपुर और आगरा जैसे शहरों से देहरादून आने के लिए नियमित निजी बस सेवा और सरकारी बस उपलब्ध है। आप अपने निजी वाहन या फिर कैब के द्वारा भी बहुत आसानी से देहरादून पहुँच सकते है।