गंगा आरती का नाम आते ही अनायास काशी के 84 घाटों में से दशाश्वमेध घाट और ललिता घाट की याद आ जाती है। दुनिया की सबसे प्राचीन नगरी काशी में गंगा घाट किनारे रोज शाम होने वाली गंगा आरती आपके जीवन को बदल कर रख देगी। भोलेनाथ महादेव के इस वाराणसी में दशाश्वमेध पर जब युवा पंडित गंगा आरती और गंगा मंत्र का उच्चारण करते हैं तो लगता है जैसे स्वर्ग भूमि पर उतर आया हो। गंगा आरती के दिव्य दृश्य को देखकर आपको लगेगा कि जीवन धन्य हो गया।
गंगा आरती का ही एक दिव्य स्परूप है देव दीपावली। इस दिन पूरे वाराणसी में दिवाली मनाई जाती है। घाटों को शादी या किसी भव्य समारोह की तरह सजाया जाता है। पूरा शहर जगमग करता रहता है। देव दीपावली को श्रद्धालु गंगा नदी के पावन जल में लाखों दीये विसर्जित करते हैं। आरती के वक्त पूरे माहौल में धूप की एक अलग ही सुगंध फैल जाती है। आरती के समय मंत्रों की गूंज आपके दिल-दिमाग ही नहीं बल्कि आत्मा को भी झंकृत कर देती है। आम लोगों के साथ विदेशी पर्यटक भी गंगा आरती को देखकर मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।
गंगा आरती, देव दीपावली, गंगा घाट और भोलेनाथ की नगरी काशी सभी एक दूसरे के पूरक हैं। दुनिया का सबसे प्राचीन शहर होने के बावजूद यह सबसे जीवंत शहर है। आधुनिकता के साथ कदमताल करता यह शहर जिदंगी के प्रति आपके नजरिए को बदल कर रख देगा। सुबह-सुबह गंगा घाट के किनारे घूमने से आपके मन और चित्त को गजब की शांति मिलेगी। गंगा घाट के किनारे घूमने के बाद यहां की गलियों मे सुबह का नाश्ता बनारसी स्वाद का ऐसा अनुभव देगा जिसे आप कभी भूल नहीं पाएंगे।
वाराणसी मोक्ष प्रदान करने वाला शहर है। दुनिया में हर जगह लोग जीने के लिए जाते हैं जबकि काशी मोक्ष प्राप्त करने के लिए आते हैं। यहां के मणिकर्णिका घाट पर आकर असल ज्ञान का प्राप्ति हो जाएगी और लगेगा कि जीवन में सब मिथ्या है। सब मोह-माया है। ईश्वर में मन, ध्यान लगाना ही जीवन को पाना है, समझना है।
बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी बनारस हिंदू विश्वविद्यालय यानी बीएचयू के लिए भी प्रसिद्ध है। लेकिन यह प्राचीन काल से ही शिक्षा, धर्म, दर्शन, योग, आयुर्वेद, ज्योतिष शास्त्र, गीत-संगीत, कला-साहित्य और आध्यात्मिकता का केंद्र रहा है। अब तो लोग बनारस को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र के तौर पर भी जानने लगे हैं। बनारसी सिल्क साड़ी ने भी वाराणसी को दुनिया भर में एक अलग पहचान दिलाई है। और बनारसी पान का जिक्र होते ही होंठो पर लाली छा जाती है।
काशी के प्रमुख दर्शनीय स्थल-
वाराणसी में बाबा विश्ननाथ मंदिर के साथ यहां की प्रसिद्ध गलियों की सैर कर प्रमुख मंदिरों के दर्शन कर सकते हैं। यहां के लोगों का कहना है कि अगर पांच किलो चावल लेकर कोई गलियों में निकले और एक-एक चावल भी एक मंदिर में डाले तो चावल पूरे नहीं पड़ेंगे। आप यहां बीएचयू, संकट मोचन मंदिर, काल भैरव मंदिर, छोटे गणेश और तुलसी मानस मंदिर का दर्शन कर सकते हैं। वाराणसी के प्रमुख घाटों में से आप दशाश्वमेध घाट, शीतला घाट, ललिता घाट, मणिकर्णिका घाट, हरिश्चंद्र घाट, सिंधिया घाट और अस्सी घाट तक सैर कर सकते हैं। आप घाटों के किनारे नाव से सैर कर सकते हैं।
कैसे पहुंचे-
वराणसी रेल, सड़क और हवाई मार्ग से देश-दुनिया से जुड़ा हुआ है। यहां से देश के तमाम शहरों के लिए रेल सेवा और वायु सेवा उपलब्ध है।