दरभंगा में एयरपोर्ट शुरू होने से मिथिलि में पर्यटन को पंख लग गए हैं। दरभंगा एयरपोर्ट उड़ान योजना के तहत देश में सबसे सफल एयरपोर्ट बन गया है। 8 नवंबर, 2020 को यहां से हवाई सेवा शुरू होने के पांच महीने से भी कम समय में 1 लाख 75 हजार से ज्यादा लोगों ने यात्रा की है। उड़ान योजना के तहत यह एक रिकॉर्ड है। दरभंगा से फिलहाल प्रतिदिन 8 विमानों का परिचालन हो रहा है। दरभंगा से दिल्ली के लिए दो, मुंबई, बेंगलुरु, अहमदाबाद, पुणे, हैदराबाद और कोलकाता के लिए एक-एक विमान का परिचालन होता है। यहां से रोज करीब 1800 यात्री सफर कर रहे हैं। नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भी दरभंगा एयरपोर्ट की तारीफ की है और कहा है कि यह उम्मीद से कही ज्यादा है।
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दरभंगा में एयरपोर्ट एक बार फिर से शुरू होने से यहां पर्यटकों की संख्या भी काफी बढ़ी है। मिथिला की सांस्कृतिक राजधानी दरभंगा माछ, मखान, आम, ठेकुआ, अरिकंचन की सब्जी और तिलकौर के तरुआ के अद्भुत स्वाद के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। यहां के पोखर की मछली का स्वाद आपको दुनिया के किसी इलाके की मछली में नहीं मिल पाएगा। ध्रुपद गायन, मिथिला पेंटिंग, सिक्की और सुजनी लोककला के साथ सामा चकेवा, छठ, मधुश्रावणी, जट-जटिन और नटुआ नाच सदियों से दुनिया को आकर्षित करते रहे हैं।
दरभंगा के राज कैंपस में दर्जनों भव्य ऐतिहासिक महल और मंदिर हैं। दरभंगा महाराज के महलों के शिक्षा का कई महत्वपूर्ण केंद्र चल रहे हैं। राज परिसर में हा दो यूनिवर्सिटी- ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय और कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय भी हैं। परिसर में मौजूद भव्य महलों में नरगौना महल, आनंदबाग महल एवं बेला पैलेस प्रमुख हैं।
नरगौना पैलेस अपने-आप में एक अद्भुत भवन है।यह देश का पहला पूरी तरह से वातानुकुलित महल था। साथ ही देश-दुनिया में शायद अकेला पैलेस था, जिसके परिसर में निजी रेलवे स्टेशन बनाया गया था। इस भव्य नरगौना पैलेस में 14 महाराजा सूट सहित 89 कमरे हैं। इस पैलेस में पूर्व राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद, जाकिर हुसैन, पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी भी ठहर चुके हैं।
दरभंगा में एक प्रमुख पर्यटक स्थल है लाल किला। यह दिल्ली के लाल किला से करीब 9 फीट ऊंचा है। इस किला के भीतर कई मंदिर और महल हैं। राज कैंपस में सबसे प्रसिद्ध जगह है श्यामा माई काली मंदिर। इस मंदिर की स्थापना 1933 में महाराज कामेश्वर सिंह में अपने पिता रामेश्वर सिंह की चिता पर की थी। श्यामा माई मंदिर के पास ही है संकटमोचन मनोकामना मंदिर। हर मंगलवार और शनिवार को यहां भारी भीड़ होती है। दरभंगा में दो म्यूजियम हैं- महाराजा लक्ष्मिश्वर सिंह म्यूजियम और चंद्रधारी म्यूजियम। इस दोनों म्यूजियम में राज परिवार से संबंधित ऐसी कलात्मक और अमूल्य दुर्लभ सामग्रियां हैं जो दुनिया में आपको कहीं और देखने को नहीं मिलेंगे।
दरभंगा से करीब 70 किलोमीटर दूर कुशेश्वरस्थान में रामायण काल का एक प्रसिद्ध शिव मंदिर है। बाढ़ वाला इलाका होने के कारण यहां वेटलैंड भी है। करीब 10 हजार एकड़ में फैला यह इलाका वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत पक्षी अभयारण्य घोषित किया गया है। लोग यहां पक्षी विहार के लिए आते हैं।
दरभंगा के पास ही करीब 20 किलोमीटर दूर अहिल्या स्थान में देवी अहिल्या को समर्पित मंदिर है। रामायण में गौतम ऋषि की पत्नी देवी अहिल्या का जिक्र है। देवी अहिल्या गौतम ऋषि के श्राप से पत्थर बन गई थीं। जिनका भगवान राम ने उद्धार किया था। यह जगह अब रामायण सर्किट से भी जुड़ चुका है।
दरभंगा से करीब 50 किलोमीटर दूर राजनगर का ऐतिहासिक राज कैंपस भी अपने महलों और मंदिरों के लिए मिथिला में प्रसिद्ध है। दीवारों पर की गई नक्काशी, कलाकारी और कलाकृति अद्भुत है। राज कैंपस में बने सभी महल और मंदिर अपनी भव्यता और खूबसूरती की दृष्टि से बेजोड़ हैं।
दरभंगा देश के सभी प्रमुख शहरों से रेल, बस और वायु सेवा से जुड़ा हुआ है। दरभंगा से दिल्ली, मुंबई, बंगलुरु पुणे, हैदराबाद और अहमदाबाद के लिए नियमित उड़ान है।
यह पोस्ट मूल रूप से जिओ जिंदगी ब्लॉग पर लिखा गया है. लिंक है-
https://www.jiozindagi.com/2021/04/darbhanga-airport-mithila-tourism.html
-हितेन्द्र गुप्ता