आज भारत का शुमार विश्व के उन देशों में है जो अपनी सांस्कृतिक विविधता और विशेषता के चलते हर साल देश दुनिया के लाखों पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित कर रहा है। आज देश में ऐसा बहुत कुछ है जिस पर गर्व करते करते एक भारतवासी थक जाएगा लेकिन उसका अपने देश के प्रति गर्व कभी कम नहीं होगा। इसी क्रम में आज अपने इस आर्टिकल के जरिये हम आपको अवगत कराएंगे। भारत के एक और अनोखे हीरे से। जी हाँ! इस जगह के बारे में जब मैंने खुद पढ़ा तो काफी अच्छा लगा मुझे, मैं यही सोचती रही कि भारत में आज भी ऐसी कई बेहतरीन जगहें है जो सिर्फ अपने खूबसूरती नही बल्कि अपने इतिहास के कारण आज भी प्रसिद्ध है। अब ज्यादा देर न करते हुए मैं आप सभी को बता देती हूं कि मैं किस जगह की बात कर रही हूं। तो मैं बात कर रही हूं। कर्नाटक के बीदर की। आपको तो पता ही होगा कि उत्तर भारत से अलग दक्षिण भारत भी अपनी ऐतिहासिक विरासतों के लिए पूरे विश्व भर में जाना जाता है। दक्षिण हिन्दू राजाओं के अलावा यहाँ मुगलों ने भी काफी समय तक राज किया, जिनकी निशानी के तौर पर यहाँ कई प्राचीन संरचनाओं को देखा जा सकता है। कर्नाटक की बात करें तो उस दौरान यहाँ मैसूर के अलावा राज्य के कई बड़े हिस्सों में मुगल शासन क्षेत्र फैला हुआ था। जिसमें बीदर का भी नाम शामिल है।
बीदर उस समय एक महत्वपूर्ण गढ़ हुआ करता था। सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, वास्तुकला महत्व के लिए यहाँ की यात्रा कि जा सकती है। यह शहर एक पठारी क्षेत्र पर बसा है, जहाँ आज भी कई प्राचीन संरचनाएं मौजूद हैं। आज इस आर्टिकल के ज़रिए, जानिए पर्यटन के लिहाज यह ऐतिहासिक शहर आपके लिए कितना खास है, तो आइए जानें यहाँ के सबसे शानदार स्थलों के बार में।
बीदर का किला
बीदर शहर कई ऐतिहासिक विरासतों के लिए जाना जाता है, अगर आप इतिहास प्रेमी हैं, और प्राचीन वास्तुकला को देखना चाहते हैं, तो बीदर फोर्ट आपके लिए एक आदर्श विकल्प है। अगर आपको अपने इतिहास के बारे में जानने का मन करता है तो आप यहाँ आकर अपने देश के इतिहास के बारे में अच्छे से जान सकते हैं। यह किला दक्षिण के बहमनी साम्राज्य के गर्व का प्रतीक माना जाता है, जिसका निर्माण बहमनी साम्राज्य के शक्तिशाली शासक सुल्तान अलाउद्दीन बहमन के करवाया था। यह विशाल संरचना बीदर के मुख्य आकर्षणों में गिनी जाती है। इसके अलावा भी आप यहाँ और भी ऐतिहासिक संरचनाओं को देख सकते हैं।
बहमनी के मकबरे
बीदर के ऐतिहासिक आकर्षणों में आप बहमनी के 12 मकबरों के समूह को भी देख सकते हैं। कला-वास्तुकला के प्रेमियों के लिए यह स्थल काफी ज्यादा मायने रखता है। बहमनी के मकबरे बहमनी साम्राज्य के कई शासकों से संबंध रखते हैं, जो कभी यहाँ शासन किया करते थे। इन मकबरों में अहमद शाह अलवाली बहमन का मकबरा देखने लायक है। शाह अलवाली बीदर के नवे शासक थे। इस मकबरे के आंतरिक भाग को चटक रंगों और कलाकृतियों से सजाया गया है। शाह अलवाली की पत्नी और बेटों के मकबरे भी यहाँ मौजूद हैं। यहाँ आकर आप इतिहास के कई अहम पहलुओं को समझ सकते हैं, और अपने ज्ञान का विस्तार कर सकते हैं।
नरसिम्हा झीरा गुफा मंदिर
बीदर के शानदार स्थलों में आप प्रसिद्ध नरसिम्हा झीरा गुफा मंदिर के दर्शन भी कर सकते हैं। गुफा के अंदर मौजूद यह मंदिर बीदर के अलावा पूरे कर्नाटक के प्रसिद्ध दर्शनीय स्थलों में गिना जाता है। माना जाता है कि यहाँ सच्चे मन से मांगी गई मुराद जरूर पूरी होती है, इसलिए यहाँ श्रद्धालुओं का अच्छा खासा जमावड़ा लगता है। इस गुफा के अंदर भगवान विष्णु के नरसिम्हा अवतार का मंदिर है। यह भगवान आधे शेर और आधे इंसान के रूप में जाने जाते हैं। यह मंदिर भी अपनी वास्तुकला के लिए काफी विख्यात है। बीदर से इस मंदिर की दूरी महज 1 किमी की है।
महमूद ज्ञान मद्रास
बीदर स्थित अन्य आकर्षणों में प्राचीन महमूद गवन मदरसा भी शामिल हैं। यह मदरसा इस्लामी शिक्षा का एक बड़ा केंद्र माना जाता था। जिसका निर्माण 15 शताब्दी में बहमनी शासकों ने करवाया था। यह एक आवासीय शिक्षण केंद्र था जहाँ इस्लाम से जुड़ी परंपराओं और संस्कृति के बारे में पढ़ाया जाता है। लेकिन बाद में यह मदरसा मुगल शासक औरंगजेब द्वारा हमले के तहत ध्वस्त कर दिया गया था। आज यह स्थल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अंतर्गत है। यह अपनी उल्लेखनीय वास्तुकला के लिए भी जाना जाता है।
गुरुद्वारा नानक झीरा साहिब
मंदिर और यहाँ के ऐतिहासिक स्थानों के अलावा आप यहाँ के सिखों के प्रसिद्ध गुरू नानक झीरा साहिब का भी दर्शन कर सकते हैं। यह गुरुद्वारा बीदर में सबसे ज्यादा देखे जाने वाले स्थानों में गिना जाता है। यहाँ रोजाना कई श्रद्धालु और पर्यटक इस पवित्र स्थल के दर्शन के लिए आते हैं। इस गुरुद्वारे को सन 1948 में बनाया गया था। अगर आपको मानसिक तनाव को दूर करने और थोड़ा सी शांति वाला वातावरण चाहिए तो इस गुरुद्वारे में जाकर थोड़ा समय बिता सकते हैं।
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