चमोली जिले में स्थित एक हिम झील है जो अपने किनारे पर पाए गये पांच सौ से अधिक कंकालों के कारण प्रसिद्ध है। यह स्थान निर्जन है और हिमालय पर लगभग 5029 मीटर (16499 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है। इन कंकालों को 1942 में रेंजर एच. के. माधवल, ने पुनः खोज निकाला, यद्यपि इन हड्डियों के बारे में आख्या के अनुसार वे 19वीं सदी के उतरार्ध के हैंविशेषज्ञों द्वारा यह माना जाता था कि उन लोगों की मौत महामारी भूस्खलन या बर्फानी तूफान से हुई थी। 1960 के दशक में एकत्र नमूनों से लिए गये कार्बन डेटिंग ने अस्पष्ट रूप से यह संकेत दिया कि वे लोग 12वीं सदी से 15वीं सदी तक के बीच के थे।
कैसे जाए:-
यात्री के लिए रूपकुंड जाने के कई रास्ते हैं। आम तौर पर, ट्रेकर और रोमांच प्रेमी सड़क मार्ग से लोहाजंग या वाँण से रूपकुंड की यात्रा करते हैं। वहां से, वे [वांण] में एक पहाड़ी पर चढ़ते है और रणका धार पहुंचते हैं। वहां कुछ समतल क्षेत्र है जहां ट्रेकर रात को शिविर लगा सकते हैं। अगर आसमान साफ हो, तो व्यक्ति बेदनी बग्याल और त्रिशूल देख सकता हैं। अगला शिविर स्थान है बेदनी बुग्याल, जो वांण से 12-13 कि॰मी॰ दूर है पर है। वहां खच्चरों, घोड़ो और भेड़ो के लिए एक विशाल चरागाह है। वहां दो मंदिर और एक छोटी झील है जो उस जगह की खूबसूरती को बढ़ाता है। व्यक्ति बेदनी बुग्याल पुल से हिमालय की कई चोटियों को देख सकता हैं। इसके बाद ट्रेकर भखुवाबासा तक पहुंचता है, जो बेदनी बुग्याल से 10-11 कि॰मी॰ दूर है। भखुवाबासा का जलवायु वर्ष के अधिकांश समय प्रतिकूल रहता है। व्यक्ति को त्रिशूल और 5000 मीटर से अधिक ऊंची अन्य चोटियों को करीब से देखने का अवसर मिलता है। आसपास के पहाड़ों की गहरी ढलानों पर कई झरने और भूस्खलन देखने को मिलते हैं। भखुवाबासा से, ट्रेकर या तो रूपकुंड जाकर वापस आते हैं या वे जुनारगली कर्नल पास, जो झील के थोड़ी ही ऊपर है, से होते हुए शिला समुद्र (पत्थरों का महासागर) जाते हैं और फिर वे [होमकुंड] तक ट्रेक के द्वारा आगे बढ़ते हैं।
मार्ग१. काठगोदाम - अलमोड़ा - गरूड़ - ग्वालदम - देवाल (1220 मी) - बगरीगाड़ (1890 मी) - मुन्दोली गांव- लोहाजंग पास (2590 मीटर) - बेदनी बुग्याल (3660 मी) - बगुवाबासा - केलू विनायक -रूपकुंड- जुनारगली - शिला-समुद्र - होमकुण्ड
मार्ग२.हरिद्वार-ऋषिकेश -देवप्रयाग- श्रीनगर गढ़वाल -कर्णप्रयाग- थराली - देवाल -वंड[[बेदिनी बुग्याल (3660 मी) - बगुवाबासा - केलू विनायक -रूपकुंड- जुनारगली - शिला-समुद्र -होमकुण्ड
आपको बेदिनी बुग्याल से पैदल यात्रा आरम्भ करनी होगी पहले दिन बगुवाबसा तक ट्रेक करना होगा उसके बाद वहाँ पर नाईट रेस्ट करे सुबह उठकर फिर से बगुवाबसा से केलू विनायक तक ट्रेक करे वहां पर नाईट रेस्ट करे उसके बाद आप अगले दिन सुबह जल्दी उठकर रूपकुंड तक ट्रक करे रूपकुंड से वापस आप दोपहर तक निकल ले वापस के लिए
अब बात करते है कि क्या क्या ले जाये इस टूर पर तो आपको बता दे कि इस पूरे टूर में आपको कोई भी रेस्टुरेंट नही मिलेगा नही कोई ठहरने के लिए होटल है तो इस लिए एक टेंट सलीपिंग बैग पानी की बोटल और खाने के लिए कुछ ड्राई फ्रूट और हो सके तो कुछ मैग्गी की पैकेट और एक छोटा सा कटोरा जिनमे मैग्गी बनाई जा सके गर्म कपड़े की तीनों लेयर
कितना खर्च आएगा :-
इसके लिए बता दे आपको की यह टूर में ज्यादा पैसे की जरूरत नही है इस टूर को आप 4 से 5 हजार में कर सकते है लेकिन अगर आप कोई गाईड करते है तो थोड़ा ज्यादा खर्च आ सकता है जो कि आपको वही पर मिल जाएंगे वह के लोकल गाईड को ले कर जाएंगे तो आपको थोड़ी सुबिधा जरूर मिल जाएगी
जाने के लिए उचित समय मई जून और सिंतबर से अक्टूबर सही समय है