भारत को दुनियाभर में धार्मिक आस्था का केंद्र माना जाता है।यहाँ के लोगो का धार्मिक कार्यो में खास विश्वास है जो दूसरे देशों के लोगो को भी प्रभावित करती है। यही कारण है कि दूसरे देशों से भी लाखों लोग भारत के धार्मिक कार्यो में शामिल होने यहाँ बड़ी ही ख़ुशी से आते है।आपको यहाँ के मंदिरों में ,गंगा घाट पर ,तीर्थ स्थानों पर और यहाँ पर आयोजित विभिन्न मेलो में कई विदेशी घूमते मिल जायेंगे।यह इस बात की सबूत है की यहाँ की आस्था पर केवल भारतीय ही नही अन्य देशों का भी खासा विश्वास है।इसी आस्था और विश्वास का सबसे बड़ा प्रमाण यहाँ आयोजित कुंभ मेला है जो दुनिया भर में सबसे बड़े तीर्थ यात्रा के रूप में जाना जाता है।
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आज हम आपको कुंभ मेले के विषय में कुछ दिलचस्प बातें बताएंगे जो आप सब शायद ही जानते हो।
कुंभ मेला लगभग 2000 वर्ष पुराना है
कुंभ मेले का सबसे पहला उल्लेख चीनी यात्री ह्वेन त्सांग के लेखन में 644 ईस्वी पूर्व में मिलता है ।जिसमे उन्होंने दो नदियों के संगम पर एक सभा का उल्लेख किया जहां लोग अपने पापों को धोने के लिए स्नान करते थे, जो की एक विशेष तिथि को किया जाता है।इसका अर्थ है कि कुंभ मेला लगभग 2000 वर्ष पुराना है।
समुन्द्र मंथन से जुड़ा है कुंभ का इतिहास
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, कुंभ मेले के चार पवित्र स्थल हैं। कहा जाता है समुन्द्र मंथन के दौरान जब देवताओं और राक्षसों के बीच अमृत के लिए लड़ाई हुई तो अमृत की बूंदें जिन चार स्थानों पर गिरा था उन्ही स्थाओ पर हर चार साल के अंतराल पर कुंभ का आयोजन किया जाता है।। यह माना जाता है कि चार पवित्र स्थल अमृत को शुद्ध करते है और यहाँ स्नान करने वाला भी शुद्ध हो जाता है। यही कारण है कि भक्त यहाँ स्नान करने आते है और अपने तन के साथ साथ अपनी आत्मा को शुद्ध करते है।
महाकुंभ मेला 144 वर्षों में एक बार आयोजित किया जाता है
कुंभ मेले के चार अलग-अलग प्रकार हैं- महाकुंभ मेला, पूर्ण कुंभ मेला, अध्र कुंभ मेला और कुंभ मेला। इन सभी में जो सबसे पवित्र है वो है महाकुंभ मेला जो इलाहाबाद में हर 144 साल में एक बार आयोजित किया जाता है।
सूर्य, चंद्रमा, गुरु और शनि तय करते हैं कुंभ
कुंभ के आयोजन में सूर्य, चंद्रमा, गुरु और शनि इन ग्रहों का विशेष महत्व है। इन्हीं की स्थिति के अनुसार कुंभ के आयोजन का निर्णय होता है। इसकी वजह यह है कि इन्होंने अमृत कलश की रक्षा की थी।
शाही स्नान पापों को शुद्ध करने के लिए किया जाता है
पवित्र स्नान या शाही स्नान कुंभ मेले की प्रमुख घटना है।जिसकी एक विशेष तिथि होती है।कुंभ मेले में पहले स्नान का नेतृत्व संतो द्वारा किया जाता है।इसे ही शाही स्नान के रूप में जाना जाता है।इसके पश्चात ही आम लोगो को स्नान करने की अनुमति दी जाती है।कहा जाता है इस एक डुबकी से सारे पाप धुल जाते है और मनुष्य के लिए स्वर्ग के रास्ते खुल जाते है।
कुंभ मेला हर चार साल में एक बार आयोजित किया जाता है
कुंभ मेला हर चार साल में आयोजित किया जाता है। यह कार्यक्रम 4 विभिन्न स्थानों में होता है- हरिद्वार (गंगा नदी), प्रयाग (यमुना, गंगा और सरस्वती का त्रिवेणी संगम), उज्जैन (क्षिप्रा नदी) और नासिक (गोदावरी नदी)। विभिन्न हिंदू संप्रदायों के भक्त अपने संबंधित समूहों से संबंधित पवित्र अनुष्ठान करने के लिए इस मेले में भाग लेते हैं।
तो एक बार अवश्य जाये इस पावन कुंभ मेले में और आस्था की डुबकी लगाये।
।।।हर हर गंगे।।।
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