गर्मियां आ चुकी हैं और बच्चों का नया सेशन भी शुरू होने वाला है। लगभग एक महीना पढ़ाई और फिर हो जाएंगी छुट्टियां। तो अगर आप सोच रही हैं कि इन छुट्टियों में कहां जाया जाए तो आपकी ये मुश्किल हम कर देते हैं आसान।
घूमने फिरने की बात हो और उत्तराखंड का ज़िक्र ना हो, ऐसा हो नहीं सकता। तो चलिए आज देवभूमि के एक ऐसे मंदिर के बारे में आपको बताते हैं जहां आपको एक बार तो ज़रूर जाना चाहिए। ये मंदिर अपने आप में अद्भुत होने के साथ साथ ऐतिहासिक भी हैं।
गोलू देवता को कुमाऊं के लोग गोलज्यू बुलाते हैं और इन्हें यहां की संस्कृति में सबसे बड़े और तुरंत न्याय करने वाले देवता के तौर पर पूजा जाता है। गोलू देवता को शिव और कृष्ण दोनों का अवतार माना जाता है। वैसे तो क्षेत्र में गोलज्यू के कई मंदिर हैं लेकिन सबसे प्रसिद्ध है चितई का मंदिर जो अल्मोड़ा से आठ किलोमीटर दूर पिथौरागढ़ हाईवे पर है।
मनोकामनाएं और मान्यताएं - :
न्याय के देवता का यह मंदिर देश विदेश में मशहूर है और जो भी कुमाऊं क्षेत्र में घूमने आता है वो एक बार तो यहां अपनी मनोकामना लेकर ज़रूर आता है। मान्यता है कि लोगों की मनोकामनाएं यहां जरूर पूरी होती हैं।
चिठ्ठी लिखिए और पूरी हो जाएगी मनोकामना-:
मंदिर परिसर में कदम रखते ही घंटियों से लटकी हुई चिट्ठियां हर तरफ आप देख पाएंगे..इन चिट्ठियों को अगर आप गौर से पढ़ेंगे तो आपको पता चलेगा इस मंदिर और गोलज्यू पर यहां आने वाले लोगों की आस्था..उनके विश्वास के बारे में। कोई मनचाही नौकरी के लिए चिट्ठी लिखता है तो कोई इम्तिहान में पास होने की लगाता है गुहार। किसी को जीतना है मुकदमा तो किसी को पारिवारिक क्लेश से चाहिए मुक्ति। यहां लिखी कई अर्जियां आपको स्टांप पेपर पर भी दिखेंगी । किसी भी मामले में न्याय पाना हो तो लोग गोलज्यू के दरबार में ये लिखित अर्जी देते हैं और अपने इष्ट को पढ़कर सुनाने के बाद मंदिर परिसर में लगी घंटियों से उसे टांग देते हैं। कुमाऊं क्षेत्र के लोग तो यहां आकर अन्याय के खिलाफ ईश्वर से गुहार भी लगाया करते हैं। पीड़ित व्यक्ति चीख-चिल्लाकर गोलू देवता के दरबार में अन्यायी को दंड देने की गुहार लगाता है। ऐसी मान्यता है कि श्रद्धालु की पुकार में अगर सच्चाई है तो अन्यायी व्यक्ति का अनिष्ट हो जाता है।
मनोकामना पूरी होने पर चढ़ाई जाती है घंटी - :
जब भी किसी की मांगी हुई मुराद पूरी होती है तो भक्त घंटी चढ़ाने यहां फिर से आते हैं। मंदिर में लगी हज़ारों-लाखों की तादाद में ये घंटियां इस बात की गवाही देती हैं कि कैसे कई वर्षों से गोलज्यू सब को न्याय देते आ रहे हैं।
कैसे पहुंचें- गोलू देवता का मंदिर दिल्ली से 400 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। आप चाहें तो आनंद विहार से सीधे अल्मोड़ा के लिए बस ले सकते हैं।
रेल से- ट्रेन सिर्फ हल्द्वानी तक ही जाती है तो उसके बाद का सफर आप टैक्सी से कर सकती हैं।
एयर से - हालांकि पंतनगर में हवाई अड्डा है और दिल्ली से आप कम वक्त में यहां पहुंच सकते हैं और आगे का सफर टैक्सी सा बस से कर सकते हैं लेकिन आवाजाही कम होने की वजह से बेहतर है कि आप हल्द्वानी का ये सफर ट्रेन से ही करें।