प्लान था माता वैष्णो देवी जम्मू जाने का हम लोगो की तैयारियां पूरी हो चुकी थी क्यों कि ट्रेन 2:30 बजे की थी लेकिन हैम लोगो को 10:00 बजे पता चाला की ट्रेन लखनऊ के आगे नही जाएगी क्यों कि पंजाब में धरना चल रहा था तो हैम लोगो ने 4 पहिये से केदारनाथ और बद्रीनाथ जाने का प्लान बनाया उसी दिन का और हम लो एक बोलेरो से 7 लोग शाम को 5 बजे बद्रीनाथ के लिए निकल पड़े लखनऊ से हम लोगो को लखनऊ से सीतापुर होते हुए नैनीताल जाना था और नैनीताल में थोड़ा सा आराम कर के आगे जाने का प्लान था क्योंकि हमारे पास गाड़ी चलाने वाला सिर्फ एक ही था
अगले दिन हम लोग सुबह 4 बजे नैनीताल पहुच गए वहाँ पर हम लोग 8 बजे तक गाड़ी में सोते रहे गाड़ी को एक साइड में लगा कर सुबह बजे हम लोग नैनीताल की टेस्टी मैग्गी खाई और चाय पिये मैग्गी बहुत ही टेस्टी थी उसके बाद हम लोग 8 बजे वहां से निकल लिए आगे के लिए क्यों कि सफर बहुत लंबा था वहाँ से हम लोग थोड़ा सा आगे बढ़े ही थे कि हम लोगो को एक बहुत ही खूबसूरत सी जगह दिखी उस जगह का नाम था रानीखेत जितना प्यारा नाम उतनी ही प्यारी जगह हम लोग वह पर गाड़ी खड़ी कर के कुछ देर तक वह पर रुके प्रकृति का नजारा बहुत ही शानदार था हम लोगो ने वहाँ पर फ़ोटो भी ली और भी से हम लोग आगे बढ़ गए दोपहर हो चुकी थी हम लोग एक छोटे से होटल पर रुक कर कुछ खाना खाएं फिर वह से हैम लोग निकले गाड़ी चल रही थी हम लोग मज़े कर रहे थे शाम के 5 बजे हम लोग एक बहुत ही खिबसूरत जगह पर पहुचे उस जगह का नाम था कर्णप्रयाग बहुत ही खूबसूरत जगह थी हैम लोग काफी थक भी चुके थे वह से बद्रीनाथ 150 km के लगभग बचता है तो हम लोगो ने वही पर रुके का निर्णय लिया फिर हम लोगो ने वहीं पर एक होटल लिया और रात को वही सो गए
सुबह के 7 बज चुके थे हम लोगो को जल्दी से फ्रेश हो कर आगे के लिए निकलना था हम लोग सुबह नास्ता करके होटल से निकले थे उसके बाद हम लोग बद्रीनाथ के लिए निकले रास्ते मे जगह जगह रोड का काम चल रहा था इसी वजह से हम लोग बद्रीनाथ थोड़ा देर से बहुच पाए थे हम लोगो को बद्रीनाथ पहुचने में 1:30 हो गया था हम लोग अंदर जा कर जल्दी से दर्सन किये क्यों कि उसी दिन हम लोगो को केदारनाथ के लिए जाना था इस वजह से हम लोग माढ़ा गांव भी नही जा पाए हैम लोग दर्सन करने के बाद सीधा वापस चल दिये केदारनाथ के लिए जिनके लिए हम लोगो को कर्णप्रयाग जाना था वह से रुद्रप्रयाग होते हुए हम लोग सुबह 5 बजे सोनप्रयाग पहुच गए जहाँ से हम लोगो को अपनी गाड़ी खड़ी कर के गौरीकुंड था टैक्सी से जाना था सोनप्रयाग में हैम लोगो ने अपना राजिस्ट्रेशन करवाया और गौरी कुंड पहुच गए वह से हम लोगो को पैदल जाना था
हम लोग 8 बजे अपनी पैदल यात्रा को निकल लिए हम लोग आराम से चलते चलते रास्ते मे बहुत मस्ती करते हुए जा रहे थे रास्ते मे हम लोगो ने बहुत से प्राकर्तिक झरनों को देखा जो बहुत ही खूबसूरत थे हम लोग एक छोटे से रेस्टुरेंट पर रुके वहाँ पर हम लोगो ने मैग्गी खाई और चाय पिये फिर वह से निकले और हम लोगो की हालात बहुत ही खराब होती जा रही थी हम लोग बहुत थक चुके थे मुश्किल से 3 km बचा था सब लोग बहुत ज्यादा थक चुके थे एक दूसरे का हौसला बढ़ते हुए आगे बढ़ रहे थे शाम हो चुकी थी ठंडी भी बहुत बढ़ चुकी थी हम लोगो के पास जो भी कपड़े थे हम लोग पहन लिए सुबह जब हैम लोग निकले थे तो इतनी ठंडी नही थी तो हम लोग अपने कपड़े यो गाड़ी में ही छोड़ दिये थे किसी तरह हम लोग 7 बजे तक ऊपर पहुच गए थे ठंडी इतनी ज्यादा थी कि आवाज नही निकल रही थी मेरी तो हम लोगो ने किसी तरह एक रूम लिए उस रूम में जाने के बाद थोड़ी ठंडी काम हुई रजाई से बाहर निकले का मान नही हुआ उसके बाद हम लोग इतना थक चुके थे कि पता ही नही चला कि कब सो गए
आगले दिन सुबह उठे तो देखा कि 8 बज चुके थे हम जल्दी से नहाये पानी इतना ठंढा था की छूने का मान नही हो रहा था किसी तरह नाहा कर हम लोग दरसन के लिए गए वहाँ पर हम लोग बहुत ही अचे से darasan किये और थोड़ी देर वही पर बैठ के वहाँ के नजारे को देख जो सच मे अविश्वसनीय था नजारा मन को मोहने वाला था वहाँ से आने का तो जैसे मैन ही नही था पर क्या करे शाम तक हम लोगो को गाड़ी तक पहुचना था हम लोग वहां से वापस निकल लिए 2 बजे तक हम लोग नीचे पहुच गए थे उसके बाद हम लोग वहाँ से वापस घर जाने के लिए निकल लिए लेकिन इस बार रुट बदल दिया गया था हम लोग इस हरिद्वार होते हुए वापस जाएंगे हम लोग वह से निकले के बाद अगली सुबह हरिद्वार में रुके वहाँ घूमने के बाद वहां से हम लोग सीधा घर आ गए हम लोगो का ये सफर बहुत ही अच्छा था