दतिया महल: अतीत की स्वर्णिम परछाई।

Tripoto
15th Mar 2021
Photo of दतिया महल: अतीत की स्वर्णिम परछाई। by Prince Verma

अतीत की स्वर्णिम परछाई लिए, जैसे कोई बादशाह अपने बुढ़ापे में अपनी खुशनुमा जवानी को याद करता है। कांपते हाथों से अपनी ढाल और तलवार उठा कर नेपथ्य में अपने पराक्रम का कोलाहल सुनकर कुछ पुराने पल जी लेता है। वैसा ही कुछ इस महल को देखकर महसूस होता है।
लगता है बादशाह और उसके महल की जिंदगी एक सी होती है। बस महल की जिंदगी थोड़ी ज्यादा लंबी होती है। आज दतिया साम्राज्य का ये महल भी अपने महान इतिहास को अंदर समेटे, कांपती दीवारों से नेपथ्य में गूंजता कोलाहल सुन रहा है। और एक विशाल वट वृक्ष की भांति सूखी शाखाओं को समेटे झरझरा कर गिरने का इंतजार कर रहा है।

महल के तल

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मुख्य महल का दृश्य

Photo of दतिया महल: अतीत की स्वर्णिम परछाई। by Prince Verma

दतिया महल का निर्माण 1614 ईस्वीं में महाराजा वीर सिंह देव ने करवाया था। इसलिए इसे वीरसिंह महल भी कहा जाता है। सात मंजिला इमारत का बनाया जाना उन दिनों में किसी चमत्कार से कम नहीं था। उस जमाने पूरे देश सतखंडा महल के नाम से भी जाना जाता था।

महल के भागों को जोड़ती गैलरी

Photo of दतिया महल: अतीत की स्वर्णिम परछाई। by Prince Verma
Photo of दतिया महल: अतीत की स्वर्णिम परछाई। by Prince Verma

कैसे पहुंचें: दतिया ,मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर से लगभग 75 किमी दूर है। रेलमार्ग और सड़क मार्ग दोनों से आराम से पहुँचा जा सकता है। 

बाहरी दृश्य

Photo of दतिया महल: अतीत की स्वर्णिम परछाई। by Prince Verma

खंभों की शानदार ज्यामितीय

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