भारत विविधताओं का देश है।यहाँ अनेक जाति,धर्म,रीति रिवाजों, तीज और त्यौहार है।यही भारत को दूसरो देशो से अलग बनाती है।पर अगर आप किसी भी देश का असली रूप देखना चाहते है तो आपको वहाँ के मेले और उत्सवों में शामिल होना चाहिए ।
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जहाँ आप वहाँ की सभ्यता और संस्कृति को अच्छे से जान पाएंगे।आज हम आपको उत्तर प्रदेश के कुछ ऐसे ही मेलो के बारे में बताएंगे जहाँ आप जान पाएंगे कि यहाँ कितनी भी विविधता हो फिर भी एकता है।
कुंभ मेला
सबसे बड़े मेले के रूप में जाना जाने वाला कुंभ मेले का आयोजन प्रत्येक 12 वर्ष में प्रयागराज के संगम तट पर किया जाता है।माना जाता है कि इसकी शुरुआत आदि शंकराचार्य ने की थी। लेकिन कुछ कथाओं के अनुसार इसका सम्बन्ध समुन्द्र मंथन से माना जाता है।यह मेला विश्व विख्यात है और देश-विदेश से लाखों की सख्या में श्रद्धालु इस मेले में सम्मिलित होते है।मेले के दौरान ही यहाँ पर शाही स्नान का आयोजन होता है जिसमे लोग पवित्र संगम में स्नान कर पापो से मुक्ति पाते है।
नौचंदी मेला
मेरठ में आयोजित होने वाला नौचंदी मेला उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध मेलो में से एक है।हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतीक यह मेला मेरठ की शान माना जाता है।इस मेले में एक तरफ नवचंडी देवी का मंदिर है, तो दूसरी तरफ विश्व प्रसिद्ध संत सैयद सालार की दरगाह है।यही इस मेले की सबसे बड़ी खाशियत है कि जहाँ एक तरफ मंदिर की घंटो की आवाज आती है वही दूसरी तरफ दरगाह की अजान की आवाज।
नौचन्दी मेला प्रत्येक वर्ष नौचन्दी मैदान में लगता है। इसकी खासियत यह है कि यह मेला केवल रात में लगता है। दिन में यह मैदान बिलकुल खाली होता है। यह मेला चैत्र मास के नवरात्रि त्यौहार से एक सप्ताह पहले से लग जाता है और लगभग होली के एक सप्ताह बाद तक चलता है।
खिचड़ी मेला
गोरखपुर में लगने वाला खिचड़ी मेला नाथ संप्रदाय से जुड़े गुरु गोरखनाथ मंदिर परिसर में लगता है।इस मेले की शुरुआत मकर संक्रांति के दिन होती है और लगभग एक महीने तक चलता है।यहाँ आने वाले लोग बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाते है।इसी कारण इस मेले का नाम खिचड़ी है।इस मेले को देखने और यहाँ खिचड़ी चढ़ाने लोग दूर दूर से आते है।
श्रावणी मेला
जन्माष्टमी के अवसर पर मथुरा में आयोजित इस मेले में भगवान कृष्ण के बाल स्वरुप को देखने देश -विदेश से लोग आते है। उस अवसर पर लोग व्रत रख कर और सुंदर-सुन्दर झांकिया सजाते है।रात्रि 12 बजे बाल कृष्ण का जन्म होता है उन्हें लोग झूलते है और रासलीला का आयोजन किया जाता है। इस पुरे भव्य समारोह को देखने के लिए लोग लाखो की संख्या में एकत्र होते है।पुरे मंदिर परिसर को भाव्य रूप से सजाया जाता है पूरा माहौल कृष्णमय हो जाता है।
रामायण मेला
यह मेला श्री राम के तपोभूमि उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में लगता है।इसकी परिकल्पना समाजवादी चिंतक डॉ राम मनोहर लोहिया ने की थी।रामायण मेले में भाग लेने के लिए देश-विदेश के अनेक धर्माचार्य और संत महात्मा आते है।इस अवसर पर रामायण कथा का आयोजन किया जाता है साथ ही रामलीला ,प्रवचन और सांस्कृतिक कार्यक्रमो का भी आयोजन किया जाता है।
कजली मेला
कजली मेला उत्तर भारत के मशहूर ग्रामीण मेले के रूप में विख्यात है।कीरत सागर के तटपर लगने वाले ऐतिहासिक मेले की धमक दूर-दूर तक है।आल्हा व उनके छोटे भाई ऊदल की वीरगाथा के प्रतीक स्वरूप हर साल कीरत सागर मैदान में सरकारी खर्च पर ऐतिहासिक कजली मेला 'विजय उत्सव' के रूप मनाया जाता है।यहाँ पर इसके दूसरे दिन रक्षाबन्धन का त्यौहार मनाने की परंपरा है।इस मेले की शोभा बढ़ाने दूर -दूर से दुकानदार आते है और इस मेले में अपनी दुकानें सजाते है।
गोविन्द साहब
अंबेडकर नगर और आजमगढ़ की सीमा पर स्थित गोविंद साहब धाम आस्था का केंद्र है। हर साल गोविन्द दशमी के दिन यहाँ खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा है।ऐसी मान्यता है कि उसदिन खिचड़ी चढ़ाने से हर मुराद पूरी होती है।यह मेला पुरे एक माह तक चलता है।यही वजह है कि यह देश-विदेश से भारी संख्या में श्रद्धालु आते है और इस मेले में शामिल होते है।
बटेश्वर मेला
बटेश्वर मेले का आयोजन आगरा जनपद के बटेश्वर नामक स्थान पर यमुना नदी के तट पर किया जाता है।नदी के किनारे बाबा भोले नाथ का प्रसिद्ध धाम है जहाँ भगवान शिव का एक सौ एक मंदिर है जिसे राजा भदावर ने बनवाया था। यहां पर हर साल कार्तिक शुक्ल पक्ष दूज से बहुत बड़ा मेला लगता है।ऐसी मान्यता है कि यहाँ मन्नत माँगने पर पुत्र की प्राप्ति होती है।जिसमे शामिल होने लोग दूर-दूर से आते है।
देवा शरीफ मेला
यह मेला हिन्दू-मुश्लिम एकता का प्रतिक है।देवा शरीफ मेले का आयोजन बाराबंकी जिले के देवा नामक कस्बे में किया जाता है।एक प्रसिद्ध एतिहासिक हिन्दू / मुस्लिम धार्मिक स्थल है। यहाँ पर कौमी एकता के प्रतीक हाजी वारिस अली शाह की दरगाह है।हर वर्ष सरकार की देख रेख में यहाँ मेले का आयोजन किया जाता है जिसमे अनेक धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमो का आयोजन होता गया ।लाखो श्रद्धालु इस मेले में भाग लेने दूर दूर से आते है।
राम बारात
आगरा शहर में इसे बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है।इस ऐतिहासिक बारात को श्री राम के विवाह के पश्चात प्रति वर्ष बड़े ही उल्लास के साथ मनाया जाता है।प्रभु श्री राम और उनके तीनो भाइयो का श्रृंगार किया जाता है और गाजे बाजे और नगाड़े के साथ बारात निकाली जाती है।इस अवसर पर लोग भरी संख्या में इसमें शामिल होने आगरा शहर पहुचते है।
आप भी इन मेलो में एक बार जरूर शामिल हो और यहाँ की विविधता में एकता देखे। फिर आप भी भारत का असली रूप जान पाएंगे यहाँ की संस्कृति जान पाएंगे।
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