ऋषिकेश से 5 किलोमीटर आगे एक झूला है, इस झूले को लक्ष्मण झूले के नाम से जाना जाता है।
लोहे के मज़बूत रस्सों, एंगलों, चद्दरों आदि में बंधा व कसा हुआ लक्ष्मण झूला (पुल) गंगा के प्रवाह से 70 फुट ऊँचा स्थित है।
गंगा नदी के एक किनारे को दूसरे किनारे से जोड़ता लक्ष्मण झूला ऋषिकेश की ख़ास पहचान है।
पूर्व में यह झूला लक्ष्मण जी द्वारा निर्मित था। कालान्तर में अर्थात् सन् 1939 ई. में इसे नया स्वरूप दिया गया।
450 फीट लंबे लक्ष्मण झूले के समीप ही लक्ष्मण और रघुनाथ मंदिर हैं।
लक्ष्मण झूले पर खड़े होकर आसपास के ख़ूबसूरत नजारों का आनंद लिया जा सकता है।
कहा जाता है कि गंगा नदी को पार करने के लिए लक्ष्मण ने इस स्थान पर जूट का झूला बनवाया था।
लक्ष्मण झूले (पुल) पर जब लोग चलते हैं तो यह झूलता हुआ प्रतीत होता है।
ऋषिकेश जाने का सही समय - :
इसलिए यात्रा करने के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर को मार्च और अप्रैल और सितंबर के बीच का है। मई के महीने से वहां काफी गर्मी शुरू हो जाती है।
ऋषिकेश में अगस्त जुलाई से मानसून का महीना शुरू हो जाता है। इस समय राफ्टिंग भी बंद कर दि जाती है। नवंबर से फरवरी तक काफी ठंड होती है, तो ऊनी कपड़ों का लाना बहुत आवश्यक है। मानसून के बाद का समय यात्रा करने के लिए बहुत ही आनंदमयी होता है।
ऋषिकेश जाने के लिए क्या करें, किन-किन बातों पर ध्यान दे - :
ऋषिकेश एक रमणीय स्थल है और यहां खाली पैर घूमने का मज़ा ही कुछ और है। मानसू के समय यहां का मौसम देखने लायक होता है। राम झूला के पास के नदी से नाव ले जा सकते हैं।
हर शाम परमार्थ निकेतन आश्रम में लोग इकट्ठा होते हैं और गंगा आरती(आग के साथ पूजा)का अनुभव लेते हैं। साहसिक कार्य प्रेमियों को भी इस शहर की यात्रा करने के लिए दो अच्छे कारणों की ज़रूरत है- ट्रैकिंग और राफ्टिंग।