मध्य प्रदेश में विंधाचल पर्वत श्रेणी में मालवा का पठार है। मालवा का ये पठार अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है। जहां से पठार शुरू होता है वहां का दृश्य बहुत ही मनोरम होता है, जहां से आप निमाड़ की गहराई का विहंगम दृश्य देख सकते हैं। मालवा का बड़ा शहर इंदौर और निमाड़ का ऐतिहासिक नगर महेश्वर दोनों में एक बात जुड़ी हुई है। वो ये कि दोनों नगर रियासत काल में होलकर स्टेट की राजधानी रहे। देवी अहिल्याबाई होलकर ने अपने शासनकाल में जनता के लिए बहुत से ऐतिहासिक, धार्मिक, राजकीय निर्माण करवाए जिसके कारण आज भी वो शासिका के तौर पर नहीं बल्कि देवी की तरह पुजी जाती है।
इंदौर से महू होते हुए मंडलेश्वर जाने वाले रोड पर मालवा और निमाड़ के बीच के चेक पॉइंट पर स्थित है एक सुरम्य और रमणीय स्थल। इस स्थान का नाम है जाम गेट। एक बहुत ही सुंदर गेट है यह जो अब भी बहुत अच्छी स्थिति में है। इतिहास में इस दरवाज़े का खास महत्व मिलता है। जाम गेट इंदौर से करीब 50 किलोमीटर और मंडलेश्वर से 28 किलोमीटर दूर घाट पर घने जंगल में बना है। यहाँ पहुँचने के लिए निजी गाड़ी से जाना ज्यादा ठीक रहता है क्योंकि इस एरिया में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की फ्रीक्वेंसी बहुत कम है।
यह जाम गेट देवी अहिल्याबाई होलकर के शासनकाल में बनाया गया था। होलकर स्टेट की दोनों राजधानियों महेश्वर और इंदौर आने जाने वाले सबसे कम दुरी के रास्ते के बीच में पहाड़ी के मुहाने पर यह गेट इस तरह बनाया गया था कि रास्ते के दोनों तरफ नजर रखी जा सके। यहीं से सेनाओं का आना-जाना होता था और इसे एक चेक पॉइंट के तौर पर बनाया गया था। साथ ही यह व्यापारियों के माल लाने ले जाते समय चुंगी इकठ्ठा करने के काम भी आता था। इस गेट खड़े होकर सैनिक निमाड़ में पहाड़ी की तराई में होने वाली हलचल पर आसानी से नजर रख सकते थे। जाम घाट स्थित जाम गेट का ऐतिहासिक महत्व है। जाम गेट व रोड का निर्माण महारानी अहिल्याबाई होलकर ने कराया था। वे इस मार्ग का उपयोग महेश्वर से इंदौर जाने के लिए करती थीं। जाम गेट को निमाड़-मालवा का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है। इस ऐतिहासिक गेट को देखने निमाड़ और मालवा से हर वर्ष हजारों पर्यटक आते हैं।
जाम गेट के ऊपर ही पहाड़ियों के बीच प्राचीन पार्वती माता का मंदिर भी भक्तों की आस्था का केंद्र है। नवरात्रि में यहां कई आयोजन होते हैं एवं दूर दूर से लोग यहाँ दर्शन करने आते है।
मंदिर और जाम गेट से विन्ध्याचल पहाड़ी और नीचे घाटी का जंगल बहुत ही सुन्दर दिखाई देता है। बारिश के मौसम में जाम गेट और घाट से नीचे तक का रोड का सफ़र शिमला कुल्लू मनाली के रास्तों की याद दिलाते है। बादल रोड और घाटी में इतने पास दिखाई देते है कि हाथ से छू लो। घाट के पुरे रास्तें में जगह जगह पहाड़ी झरने बारिश में हमारा स्वागत करते है।
इंदौर से आते समय जाम दरवाजे के लगभग 3-4 किमी पहले हमारे दाहिने और एक सुंदर तालाब दिखाई देता है जिसके पास रेस्टोरेंट आदि मध्य प्रदेश पर्यटन विकास निगम विकसित कर रहा है। तालाब के पास किलेनुमा कोठी दिखाई देती है जिसे 'बूढ़ी जाम' के नाम से जाना जाता है। संभवतः यह कोठी या गढ़ी जाम गेट पर सुरक्षा में लगे सैनिको की बैरक के तौर पर उपयोग होती थी।
जाम गेट और उसके आस पास का क्षेत्र देखकर महान गायक स्व. मुकेश जी का वो गीत याद आता है –
इसे भी अवश्य पढ़ें: खरगोन
हरी भरी वसुंधरा पर नीला नीला ये गगन
के जिसपे बादलों की पालकी उड़ा रहा पवन
दिशाएं देखो रंग भरी
दिशाएं देखो रंग भरी चमक रहीं उमंग भरी
ये किसने फूल फूल से किया श्रृंगार है
ये कौन चित्रकार है ये कौन चित्रकार...
अब इंतजार कैसा – तो आइये हिंदुस्तान का दिल देखने।
- कपिल कुमार
© Travel With Kapil Kumar
Date: - 18th Feb. 2021