आज हम आपको भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगो में से एक व उत्तराखण्ड के रुपद्रप्रयाग जिले में स्थित बाबा केदारनाथ की यात्रा के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देने वाले हैं । यहां आप कैसे आये, कहां रुके, यात्रा में कितना खर्च आयेगा, साथ ही हैलीकॉप्टर से यात्रा पर कितना खर्च आयेगा, इसके बारे में देगें पूरी जानकारी ।
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सबसे पहले बात करते हैं ट्रेन की- तो यहां आने के लिये आप उत्तराखण्ड में स्थित हरिद्वार, ऋषिकेश, या देहरादून रेलवे स्टेशन में से किसी भी रेलवे स्टेशन पहुंच सकते हैं । लेकिन भारत के सभी प्रदेशों से ज्यातर ट्रेनें देहरादून या हरिद्वार ही आती हैं । आपको बता दें कि केदारनाथ पहुंचने के लिये इन तीनों ही स्टेशन से आपको वाया रोड टैक्सी या बस से उत्तराखण्ड के सोनप्रयाग पहुंचना होगा । देहरादून रेलवे स्टेशन से सोनप्रयाग की दूरी 250 कि0मी0 है, हरिद्वार रेलवे स्टेशन से सोनप्रयाग की दूरी 235 कि0मी0 है, जबकि ऋषिकेश से सोनप्रयाग की दूरी सबसे कम 210 कि0मी0 है ।
केदारनाथ पहुंचने के लिये जो नजदीकी हवाई अड्डा ज़ॉली ग्राण्ट एयर पोर्ट देहरादून में स्थित है । यहां पहुंचकर भी आपको वाया रोड टैक्सी या बस से ही उत्तराखण्ड के सोनप्रयाग पहुंचना होगा ।
और आगर आप अपने निजी वाहन से आ रहे हैं तो भी आपको सोनप्रयाग ही पहुंचना होगा । इसके आगे का सफर आप निजी वाहन से नहीं कर सकते ।
अब बात करते हैं हरिद्वार, ऋषिकेश, देहरादून रेलवे स्टेशन या एयरपोर्ट पहुंच आप आगे का सफर कैसे करेंगे ।
रेलवे स्टेशन व एयरपोर्ट से निकल आप बस या टैक्सी करके सीधे सोनप्रयाग पहु्ंच सकते हैं ।
बसें आपको सुबह 05 बजे से देर शाम तक मिलती हैं । लेकिन मेरी राय में आप सुबह जल्दी ही 05 से 07 के बीच निकल लें क्योंकि यह सफर करीब 9 से 10 घण्टे का होता है । जल्दी सोनप्रयाग पहुंचकर आप आसानी से रुम वगैरह, लेकर आराम कर सकते हैं, क्योंकि अगले दिन भी आपको सुबह जल्दी ही सोनप्रयाग से निकलना होता है । बस टिकट आप बस स्टैण्ट बने काउण्टर से या किसी ट्रैवेल एजेन्सी या खुद भी ऑनलाइन बुक कर सकते हैं । जिसका किराया 350 से 500 रुपये के आसपास होता है, बस के मुताबिक । आनलाइन टिकट बुक करने पर आपको कुछ महंगा पड़ सकता है । लेकिन आप मनचाही सीट बुक कर सकते हैं व पीक सीजन की भीड़भाड़ में जा रहे हैं तो मेरी राय में आप ऑनलाइन ही टिकट करा लें ।
लेकिन आपको बता दूं कोरोना समय में पिछले साल बसों व टैक्सी में बैठने वाली सवारी की संख्या को आधा कर दिया गया था । इसलिये बस का हरिद्वार से सोनप्रयाग का किराया 930 रुपये हो गया था ।
इसी तरह शेयरिंग टैक्सी का हरिद्वार से सोनप्रयाग तक का किराया जोकि कोरोना महामारी से पहले 750 रुपये था, बढ़कर 1500 रुपये प्रति व्यक्ति हो गया था । यहां ज्यातर आपको शेयरिंग टैक्सी में टाटा सूमो मिलेगी ।
अगर आप अपने प्राइवेट वाहन से आरहे हैं तो आपको भी हरिद्वार या ऋषिकेश से सीधे सोनप्रयाग आना होगा । यहां से आगे आप अपने वाहन से नहीं जा सकते ।
इसके आगे आपको यूनियन की टैक्सी द्वारा गौरीकुण्ड तक जाना होगा, जिसका किराया 40 रुपये प्रतिव्यक्ति पड़ता है ।
सोनप्रयाग में आपको होटल 800 से 1000 रुपये में मिल जायेगा लेकिन अगर आप पीक सीजन मई-जून में आते हैं तो यह किराया 1500 से 2000 तक भी हो जाता है । यहां सोनप्रयाग में डॉरमेट्री की सुविधा भी है, जिसका किराया 100 से 300 रुपये प्रतिव्यक्ति भी है । यहां पर लॉकर की सुविधा भी उपलब्ध है । हम आपको बता दे जब हम 2020 में यहां आये थे कोरोना की वजह लोग बिल्कुल भी नहीं आ रहे थे जिस कारण हम 05 लोगों को रुम 500 रुपये में मिल गया था, मतलब 100रुपये प्रति व्यक्ति । यहां खाना आप होटल में भी खा सकते हैं लेकिन बाहर निकलकर ढ़ाबे या रेस्टोरेण्ट में खाते हैं तो थोड़ा किफायती पड़ेगा ।
अगले दिन आपको यहां से सुबह जल्दी ही निकलना होगा । एक और बहुत जरुरी बात बता दूं कि आपको यहां सोनप्रयाग में बने रजिस्ट्रेशन काउन्टर पर आधार कार्ड से रजिस्ट्रेशन भी कराना पड़ता है । अगर आपने पहले से ही ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करा लिया है तो इसकी जरुरत नहीं पड़ेगी । मेरी राय में आप जब भी यहां का प्लान बनाये तो आनलाइन रजिस्ट्रेशन कराकर ही आये। क्योंकि पीक सीजन में आपको यहां लाइन में कुछ घण्टे खड़े रहना पड़ सकता है ।
दोस्तों अब बात करते हैं घोड़ा/खच्चर और हैलीकॉप्टर के किराये की
अगर आप सोनप्रयाग या गौरीकुण्ड से आगे पैदल यात्रा नहीं करना चाहते हैं
तो आपको घोड़ा सोनप्रयाग या गौरीकुण्ड दोनों ही जगह से मिल जायेगा । सोनप्रयाग से मन्दिर तक का घोड़े का किराया 3000 रुपये जबकि गौरीकुण्ड से घोड़े का किराया 2500 रुपये है । और दोस्तों पीट्टू का किराया 5000 से 6000 रुपये पड़ता है ।
दोस्तों इसके अलावा आपके लिये यहां पर हैलीकाप्टर सुविधा भी उपलब्ध है । इसके लिये आपको सोनप्रयाग से 15 कि0मी0 पहले स्थित फाटा पहुंचना होता है । दोस्तों हैलीकाप्टर से आने-जाने का किराया 6000 रुपये प्रति व्यक्ति लगता है ।
चलिये दोस्तों अब बात करते हैं अपनी पैदल यात्रा की -
दोस्तों आपको अगले दिन सुबह जल्दी ही उठकर हर हालत में 05 बजे तक टैक्सी की लाइन में लग जाना है । दोस्तों आपको बता दें सोनप्रयाग से गौरीकुण्ड तक आपको शेयरिंग टैक्सी से जाना होगा, जिसका किराया 40 रुपये प्रतिव्यक्ति लगता है । दोस्तों गौरीकुण्ड से शुरु होती है आपकी पैदल यात्रा, जो कि 21 कि0मी0 लम्बी है ।
दोस्तों अगर आप अपनी गाड़ी से आयें हैं तो भी आपको अपनी गाड़ी यहीं सोनप्रयाग में पार्क कर गौरीकुण्ड तक का सफर टैक्सी से ही करना होगा ।
दोस्तों अब बात करते हैं सामान या गियर की जो यात्रा दौरान आपके पास होने चाहिये -
दोस्तों हो सके तो इस यात्रा पर आपके बैग व जूते वाटरप्रूफ होने चाहिए, अगर नहीं है तो भी कोई बहुत बड़ी समस्या नहीं है । बस आप रेनकोट या पॉन्चो या बरसाती जरुर लेले, जिससे आप बरसात से बच सकें । क्योंकि यात्रा करते वक्त बरसात का कोई भरोसा नहीं । इसके साथ ही यात्रा के लिये सोनप्रयाग या गौरीकुण्ड से एक डण्डा जरुर खरीद लें जोकि 20 से 30 रुपये में मिल जायेगा और ट्रेकिंग दौरान आपका बहुत साथ देगा । गर्म कपड़े, ग्लब्स और कैप जरुर रख लें ।
अब शुरु करते हैं अपनी पैदल यात्रा – दोस्तों आप गौरीकुण्ड में स्नान कर जोकि गर्म जल का कुण्ड है, व यहीं पर बने गौरी माता के मन्दिर में पूजा अर्चना कर अपनी यात्रा शुरु कर सकते हैं ।
यह पूरा पैदल यात्रा मार्ग करीब 21 कि0मी0 का है, जोकि प्राकृतिक रुप से बहुत ही सुन्दर है ।
आपको बता दें कि केदारनाथ मन्दिर के कपाट अप्रैल-मई में अक्षय तृतीया के दिन खुलकर अक्टूबर नवम्बर में कार्तिक पूर्णिमा के दिन बन्द होते हैं । यह यात्रा लगभग 06 माह के तक चलती है । मैं आपको कहूंगा कि इस यात्रा पर आने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर व नवम्बर होता है । क्योंकि मन्दिर खुलने के 02 माह तक शुरु में काफी भीड़-भाड़ रहती है जिस कारण सभी होटल, व आना-जाना सभी कुछ महंगा रहता है । और इसके बाद जुलाई और अगस्त में बरसात की संभावना बनी रहती है ।
इस पूरे यात्रा मार्ग पर आपको चाय व मैग्गी की दुकाने मिल जायेगी । जब आप 05 से 06 किमी0 की यात्रा कर रामबाणा पहुंचेगे तो वहां आपको 2013 त्रासदी के निशान भी नजर आ जायेंगे । रामबाणा एक बाजार हुआ करता था जो त्रासदी में पुरी तरह से बह गया व इसके आगे का पूरा मार्ग भी । इसके आगे से पूरा नया मार्ग बना हुआ है । यात्रा दौरान ही आपको एक टूटा हुआ पुल भी मिलगा जो उसी त्रासदी में बह गया था । यह पूरी यात्रा बहुत ही सुन्दर है । इस यात्रा मार्ग के साथ बहती मंदाकिनी नदी के पानी के शोर में आप खो भी सकते हैं । इस यात्रा को पूरा करने में आपको 07 से 08 घण्टे का समय लग सकता है ।
अब बात करते हैं कि आप मन्दिर पहुंच कहां पर रुकेगे-
दोस्तों केदारनाथ बेसकैम्प जोकि मन्दिर से 01 किमी0 पहले ही है । यहां पहुंच आप GMVN के बने टेण्ट , हट या हट हाउस में रुक सकते हैं । टेण्ट का किराया 300 रुपये प्रति व्यक्ति जिसमें 10 व्यक्ति रुकते हैं । हट का किराया 750 रुपये प्रतिव्यक्ति जबकि हट हाउस का किराया 1000 रुपये प्रतिव्यक्ति होता है । दोस्तों हटहाउस में आप फैमिली के साथ भी रुक सकते हैं । हट हाउस में 06 बेड ही होते हैं ।
लेकिन मेरी माने तो आप थोड़ा जल्दी पहुंचकर मन्दिर के बिल्कुल अगल बगल 100 मीटर की दूरी पर बने होमस्टे या धर्मशाला में ही रुके । जल्दी पहुंचने की बात इसलिये कर रहा हूं क्योंकि इनकी संख्या काफी कम है । इनके रुम का किराया कोरोना टाइम में 500 से 600 प्रति रुम था । जिसमें 02 डबल बेड पड़े हुये थे । यहां रुकने की बात ही कुछ अलग है व यहां से मन्दिर का व्यू भी । यहां कि खिड़की से ही आपको मन्दिर के दर्शन होते हैं । और आप जल्दी से उठकर सुबह की आरती में शामिल हो सकते हैं । दोस्तों केदारनाथ में आपको स्वर्ग का अहसास होगा । मन्दिर प्रागंण को अच्छे से घूमे व मन्दिर के पीछे रखी भीमशीला के भी दर्शन करें जिसको देखकर आपको 2013 त्रासदी याद आ जायेगी ।
बाबा केदारनाथ की आरती सुबह 06 बजे व शाम 06 बजे होती है । आप इसमें जरुर शामिल हों मन को बहुत शुकुन मिलेगा । अगले दिन सुबह की आरती के बाद आप बाबा के दर्शन करें व इसके बाद यहां से 500 से 800 मीटर की चढ़ाई कर बाबा भैरव के दर्शन जरुर करें । बाबा भैरव के मन्दिर से केदारघाटी का नजारा बहुत ही आकर्षक लगता है । यह नजारा लेना बिल्कुल भी न भुलें ।
इसके साथ ही आप यहां से 08 से 09 कि0मी0 की चढ़ाई चढ़ वासुकी ताल भी जा सकते हैं । जहां पर बाबा केदारनाथ की पूजा में इस्तेमाल होने वाला ब्रह्मकमल मिलता है । लेकिन यहां जाने के लिये आपको एक दिन और यहां स्टे करना होगा ।
दोस्तों आप यह यात्रा हरिद्वार से शुरु कर वापस हरिद्वार 04 दिवस में पूरी कर लौट सकते हैं । लेकिन अगर वासुकीताल जायेगें तो एक दिन बढ़ जायेगा मतलब 05 दिन लगेगें ।
जय बाबा केदारनाथ ।
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