जिन लोगों को पहाड़ों से प्यार है उन्हें सिक्किम की यात्रा किसी जन्नत से कम नहीं लगेगी। खासतौर पर दिसंबर से फरवरी के महीने में यहाँ की खूबसूरती देखने योग्य होती है। जहाँ एक तरफ खूबसूरत झीलों का नीला पानी आकर्षित करता है ,वहीं पहाड़ों की खूबसूरत हरी भरी वादियां मानो हर पल अपनी गोद में समेटने को बाहें फैलाए बैठी हों। सिक्किम की खूबसूरती इतनी है कि अपनी एक झलक भर से किसी का भी दिल मोह सकती है। सिक्किम में बहुत से इलाके पहाड़ी है और इनकी ऊंचाई 280 मीटर से 8,585 मीटर तक है। इस राज्य की खूबसूरती इतनी है कि अपनी एक झलक भर दिखा कर किसी का भी दिल मोह सकती है। उत्तर पूर्व के इस राज्य की वैसे तो हर एक जगह देखने लायक है। और बात जब कुछ चुनिंदा जगहों की आती है तो चुनाव करने में मुश्किल होती है। लेकिन आपकी इस मुश्किल को आसान करने हमने चुने हैं तो आइये आपको बताते हैं सिक्किम राज्य की कौन सी वो जगहें हैं जिन्हें फरवरी के महीने में घूमना आपके लिए किसी स्वप्न से कम नहीं होगा।
युमथांग घाटी:
हिमालय के पहाड़ों से घिरी यह खूबसूरत घाटी सिक्किम जिले में स्थित है। युमथांग घाटी गंगटोक से लगभग 148 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। युमथांग घाटी शायद आपके लिए सबसे अच्छी जगह है। घाटी, जिसे "फूलों की घाटी" के रूप में भी जाना जाता है, जो 11,700 फीट की औसत ऊँचाई की है इसे फूलों की घाटी भी कहा जाता है क्योंकि यह घाटी फूलों की घाटी की तरह दिखती है। इस घाटी की सुंदरता देखेंगे तो आप भी मान जाएंगे कि इसे ये नाम देना बिल्कुल गलत नहीं है। फूल तो हर किसी को पसंद होते हैं। फूलों का गुलदस्ता देखते ही सबका दिल बाग-बाग हो जता है। ऐसे में यहाँ जब फूलों का पूरा बाग ही देखने को मिल जाए तो बात ही क्या है। वसंत ऋतु के दौरान, यहाँ खिलने वाले फूल पर्यटकों को अपनी ओर खींचते हैं। घाटी में एक गर्म पानी का झरना भी उपलब्ध है, जो आपको अत्यधिक ठंड के दौरान आपके शरीर को गरम करने का एहसास देगा। इस प्रकार यह घाटी अपनी सुंदरता के लिए बहुत प्रसिद्ध है। तो जब भी आप सिक्किम आएं तो युमथांग घाटी की सुंदरता को करीब से देखने ज़रूर देखने जाएं।
गुरूडोंगमर झील:
समुद्र तल से 17,200 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह लुभावनी सुंदर झील दिसंबर से फरवरी में सिक्किम में घूमने के लिए सबसे अच्छी जगहों में से एक है। उत्तरी सिक्किम में स्थित गुरुडोंगमार झील दुनिया की सबसे ऊँची झीलों में से एक है। बर्फ से लदे पहाड़ों से घिरे, झील का नीला पानी इसे अपने कैमरे में कैद करने और इसकी यादों को मन में संजोने के लिए एक खूबसूरत दृश्य बनाता है। झील का नाम गुरु पद्मसंभव के सम्मान में रखा गया था और अब इसे स्थानीय लोगों द्वारा पवित्र माना जाता है। साइट पर स्थित गुरु को समर्पित एक छोटा मंदिर भी है। इस झील को बौद्ध और सिख धर्म के मानने वाले पवित्र स्थल मानते हैं। माना जाता है कि जब गुरू नानकदेव जी तिब्बत जा रहे थे, तब वह यहाँ अपनी प्यास बुझाने के लिए रुके थे। अपनी छड़ी से उन्होंने यहाँ जमी बर्फ में छेद कर पानी पीने की कोशिश की थी और तभी से यहाँ लेक यानी झील बन गई। यह माना जाता है कि झील का एक हिस्सा कभी भी बेहद ठंड के दिनों में नहीं जमता है। ये झील देखने में इतनी साफ और सुंदर है कि पर्यटक अपनी ट्रैवल लिस्ट में इसे शामिल किए बिना रह नहीं पाते। भारत-तिब्बत सीमा झील से काफी करीब स्थित है।
मंगन:
सिक्किम का यह प्रमुख पर्यटन स्थल पूर्वी हिमालय की गोद में बसा है जो प्रक़ति दृश्यों के साथ एडवेंचर गतिविधियों के लिए जाना जाता है। अगर आपको अपनी यात्रा को आनंदमय बनाने के लिए कोई दिलचस्प, आकर्षक, शांत और प्राकृतिक जगह की खोज रहे हैं तो यह जगह आपके लिए जन्नत के समान है। मंगन में बहुत से पर्यटन स्थल हैं जिनमें से एक है शिंगबा रोडोडेंड्रोन सैंक्चुअरी।
शिंगबा रोडोडेंड्रोन एक पौधा होता है। इस सैंक्चुअरी में करीब 40 प्रकार के रोडोडेंड्रोन हैं। इतना ही नहीं इस सैंचुअरी में कई प्रकार के पहाड़ी जानवर भी देखने को मिल जाएंगे। इसके अलावा मंगन में सिंघिक गांव है, जो मंगन से करीब 12 किमी दूर है। 500 फीट से भी ज़्यादा ऊंचाई पर स्थित इस गांव से कंचनजंगा के नज़ारे लिए जा सकते हैं। यहाँ आकर आप लाब्रांग मोनेस्ट्री, सिरिजोंगा युमा मनहीम आदि पर्यटन स्थलों की सैर करके अपनी यात्रा का लुत्फ उठा सकते हैं।
दोज़ोंगरी ट्रेक:
दोज़ोंगरी ट्रेक की यात्रा दिसंबर के महीने में सिक्किम राज्य का दौरा करने वाले डेयरडेविल्स के बीच सबसे अधिक मांग वाली साहसिक गतिविधियों में से एक है 17,800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित युकसोम से पेडल यात्रा आपको 17,800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित दोज़ोंगरी व्यू पॉइंट तक लें जाती है आप यहाँ से कंचनजंगा, राठोंग और काबरू जैसे शक्तिशाली हिमालय पर्वत चोटियों के मनोरम दृश्यों का आनंद ले सकते हैं। इस माध्यम स्टार के ट्रेक की अवधि 7 दिन है। दोज़ोंगरी ट्रेक एक ऐसा अनुभव है जो आपको प्रकृति और रोमांच का सबसे अच्छा अनुभव देता है।
त्सोमगो झील:
12,300 फीट से अधिक की ऊंचाई पर स्थित यह झील सिक्किम की एक हिमाच्छादित झील है। चूंकि झील राज्य की राजधानी गंगटोक से 40 किमी की दूरी पर स्थित है, इसलिए आपको सिक्किम के अपने यात्रा कार्यक्रम में इस प्राकृतिक चमत्कार को शामिल जरूर करना होगा। दिसंबर में सिक्किम में घूमने के लिए सबसे अच्छी जगहों में से एक यह झील, दर्शकों के लिए एक सुखद दृश्य है। यह झील, जिसे चंगु झील के नाम से भी जाना जाता है, इस क्षेत्र में अत्यधिक ठंडी जलवायु के कारण सर्दियों के मौसम में जमी रहती है और यदि आप सर्दियों के महीनों में सिक्किम की यात्रा कर रहे हैं, तो यहाँ घूमने के लिए एक आदर्श स्थानों में एक एक है । बैकग्राउंड में बर्फ से ढके पहाड़ों के साथ महान दृश्यों के कारण, एज़ुर झील का निर्माण होता है, यह झील देश की सबसे सुंदर ऊँचाई वाली झीलों में से एक है।
फेन्सांग मॉनेस्ट्री:
शांति और सुकून किसी पसंद नहीं होता, आखिरकार वही ढूंढने तो हम छुट्टियां बिताने बाहर जाते हैं। ऐसे में सिक्किम के फेन्सांग मॉनेस्ट्री से बेहतर कुछ नहीं। फेन्सांग मठ एक धार्मिक स्थल है। पहाड़ों के ऊपर बसा ये मठ, सिक्किम के बड़े मठों में से एक है। यहाँ आने पर आपको काफी तादाद में साधु संत मिलेंगे। यहाँ का शांत वातावरण पर्यटकों को खूब लुभाता है। मार्च-मई और अक्टूबर से दिसंबर के बीच का समय फेन्सांग मॉनेस्ट्री घूमने के लिए पर्याप्त है।
फोडोंग मॉनेस्ट्री:
सिक्किम के उत्तर में स्थित फोडोंग मॉनेस्ट्री गंगटोक से 40 किमी के दूरी पर स्थित है। ये बेहद खूबसूरत पर्यटन स्थल अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सुहावने मौसम के लिए मशहूर है। ज्यादातर पर्यटक गर्मियों से राहत पाने छुट्टियों में यहां के मौसम का लुत्फ लेने आते हैं। इस सुंदर मठ तक सड़क के रास्ते आसानी से पहुंचा जा सकता है। फोडोंग मॉनेस्ट्री घूमने का सही समय मार्च से मई और अक्टूबर से दिसंबर के बीच का है।
तीस्ता नदी:
तीस्ता नदी भारत के सिक्किम की लाइफलाइन कही जाती है, यह खूबसूरत नदी इस छोटे से राज्य को एक अद्वितीय आकर्षण देती है। वह सिक्किम का पूरा सफर तय करके नीचे उतरते हुए पश्चिम बंगाल की सीमा से बाहर निकलकर बंगलादेश में ब्रह्मपुत्र में मिल जाती है। रंगित उसकी एक मुख्य उप नदी है। हिमालय में त्सोमगो झील से निकलने वाली नदी, तीस्ता नदी बांग्लादेश में प्रवेश करने से पहले सिक्किम और पश्चिम बंगाल के राज्यों में बहती है। नदी के वाष्पशील जल पर रिवर राफ्टिंग का अनुभव किसी भी रोमांच चाहने वाले के लिए ऑफबीट फन की तलाश में राज्य की यात्रा करने का अनुभव कराता है। हरे-भरे जंगल और छोटे गांव जो नदी के दोनों किनारों की सीमा बनाते हैं, जो नदी को और भी आकर्षक बनाते हैं। इसके अलावा, आप तीस्ता नदी के तट पर शिविर का मज़ा भी ले सकते हैं जो आपको इस क्षेत्र में पनपने वाली प्राचीन प्रकृति के करीब ले जाएगा।
लाचेन गांव:
लाचेन एक छोटा सा गांव है जो सिक्कम के उत्तर में स्थित है। लाचेन का अर्थ है ‘बड़ा दर्रा'। ये गंगटोक से लगभग 129 किमी दूर और 2750 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। लाचेन में आप झीलों तक और घाटियों की ट्रैकिंग कर सकते हैं। ट्रैकिंग के दौरान आपको संकरे पहाड़ों पर चलना पड़ सकता है लाचेन जैसा पर्यटन स्थल आपके लिए काफी रोमांचकारी हो सकता है।
थांगू घाटी:
थांगू घाटी सिक्किम की सबसे खूबसूरत घाटियों में से एक है। ये उत्तर लाचेन से 30 किमी दूर है। ये सुंदर घाटी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। हर रोज़ सैकड़ों सैलानी यहाँ ट्रैकिंग का आनंद लेने आते हैं। पर्यटन के हिसाब से ये जगह एक अच्छा टूरिस्ट प्लेस सिद्ध होती है। इसके अलावा थांगू के आस-पास ग्रीन लेक, चोपटा घाटी जैसी जगहों पर भी ट्रैकिंग की जा सकती है। मार्च से जून के बीच का समय सबसे अच्छा समय है थांगू घाटी घूमने का। लेकिन पर्यटक यहाँ सर्दियों में आना काफी पसंद करते हैं।
हवाई मार्ग:
पश्चिम बंगाल का बागडोगरा एयरपोर्ट गंगटोक का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट है जो यहाँ से 125 किलोमीटर दूर है। देशभर की ज्यादातर एयरलाइन्स बागडोगरा एयरपोर्ट पर अपनी सेवाएं देती हैं। दिल्ली, बंगलुरू, चेन्नई, कोलकाता और गुवाहाटी जैसे प्रमुख शहरों से बागडोगरा के लिए नियमित फ्लाइट्स मौजूद हैं। एयरपोर्ट पहुंचने के बाद आप टैक्सी या कैब लेकर सड़क मार्ग के जरिए महज 4 घंटे में बागडोगरा से गंगटोक पहुंच सकते हैं।
रेल मार्ग:
पश्चिम बंगाल का न्यू जलपाइगुड़ी सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है जो गंगटोक से 120 किलोमीटर दूर है। देशभर के प्रमुख शहरों से यह रेलवे स्टेशन भी जुड़ा हुआ है। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बंगलुरु से कई ट्रेनें जलपाइगुड़ी तक आती हैं। रेलवे स्टेशन पहुंचने के बाद टैक्सी या कैब के जरिए सड़क मार्ग से सिक्किम पहुंचा जा सकता है।
सड़क मार्ग:
पड़ोसी राज्यों से सिक्किम की रोड कनेक्टिविटी बहुत अच्छी है। दार्जिलिंग (96 किलोमीटर), सिलिगुड़ी (118 किलोमीटर) और कलिंगपोंग (75 किलोमीटर) से भी गंगटोक सड़क मार्ग के जरिए जुड़ा हुआ है। इन शहरों से गंगटोक जाने के लिए बसों की सुविधा भी मौजूद है। हालांकि बस के सफर में वक्त अधिक लगता है इसलिए अगर समय बचाना चाहते हैं तो टैक्सी या कैब हायर कर लें और 3-4 घंटे में गंगटोक पहुंच जाएं। यहाँ सड़कों की हालत अच्छी है और रोड ट्रिप के दौरान आपको जो प्राकृतिक खूबसूरती नजर आएगी उसकी यादें हमेशा के लिए आपके साथ रह जाएंगी।
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