मेनाल महादेव मंदिर और झरना
राजस्थान : ये मंदिर #चित्तौड़गढ़ जिले की बेगूं तहसील और मेनाल गांव में मेनाल नदी के किनारे बना है और इस नदी पर एक एक अप्रतिम झरना भी है जिसे यहां का सबसे खूबसूरत प्राकृतिक नज़ारा मिलता है, जाएं तो इसे एक बार जरूर देखें ज़रूर देखें।
चित्तौड़ - बूंदी रोड पर स्थित ये जगह यकीन मानिए, यहां बिताए गए कुछ घंटे भी आपको एक नया और शिवमय एहसास कराएगी।
11वीं शताब्दी CE का भूमिजा प्रकार का ये शिव मंदिर शाकुंभरी वंश के चहामाना शासकों के काल में #महानाल_महादेव के नाम से प्रसिद्ध था और बाद में यही महानाल अपभ्रंश होकर मेनाल बना.
मेनाल झरने के दोनों ओर बने कुछ शिव मंदिरों का समूह है, सभामंडप में दो प्रवेशद्वार एक उत्तर और एक पश्चिम दिशा की ओर है। इस मंदिर कॉम्प्लेक्स में नदी के बाएं और का हिस्सा चहामना राजा सोमेश्वर चमन द्वारा बनवाया गया जबकि नदी के पार एक मंदिर और इससे लगा हुए एक मठ उनकी रानी सुहावदेवी द्वारा बनवाया गया।
वैसे मेनाल एक और भी प्राचीन स्थल है जिसका प्रमाण इस मंदिर के पास ही उत्तरपश्चिम में मौजूद दो शैव तीर्थों से मिलता है, जिसमें एक गणेश वा दूसरा गौरी को समर्पित है और ये लगभग 8 शताब्दी CE के हैं। हालांकि अब केवल इन दोनों का एक शिखर ही अस्तित्व में बचा है।
इस जगह की ख्याति मुख्य रूप से शूरवीर राजा पृथ्वीराज चौहान की वह से बढ़ी जब इस झरने और इसके आस पास के क्षेत्र का प्रयोग पृथ्वीराज चौहान द्वारा राजस्थान की झुलसा देनी वाली गर्मियों में प्रवास तौर पर करने लगे। इसके लिए उन्होंने मेनाल नदी के तट पर एक महल बनवाया था जो कि ग्रेनाइट स्लैब के ऊपर बहती हुई करीबन 122 मीटर ऊंचे झरने से नीचे 100 फीट गहरे कुंड में गिरती है और वह से आगे बढ़ जाती है। यह झरना बारिश के बाद आपको देखने के लिए एक बहुत मनोरम दृश्य और शिवमय होने का अहसास कराएगा।
यहां पर शिव मंदिर के अलावा इसके पश्चिम भाग में स्थित रानी का महल भी दर्शनीय हैं।
परन्तु बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि मुगल आततायी शासक औरंगजेब ने इसे काफी हद तक खंडित किया। परिसर में। मौजूद सारे मन्दिर, मठ और पौराणिक स्थलों की भव्यता को धार्मिक उन्माद की कायराना हरकतों से खंडहर बना दिया। इसकी वजह से शैवभक्तों का नरसंहार किया गया और यही वहां रहने वाले सभी लोगों व शैव मतावलंबियों की पलायन की वज़ह बना ।
वैसे आपको बता दें इसको मिनी खजुराहो भी कहा जाता है इसलिए प्राचीन मूर्तिकारी और कला के शौकीन यहां जरूर आकर एक नए अनुभव का आनंद लें।
पहुंचने के लिए नजदीकी -
एयरपोर्ट - उदयपुर (175km )/ कोटा(85km)
रेलवे स्टेशन - मांडल गढ़(20km)
बस अड्डा - मेनाल
पर्सनल वेहिकल से - चित्तौड़ से बूंदी रोड
और यदि आपके पास समय बचा रहे तो 75 की दूरी पर आप राणा प्रताप सागर बांध और राजस्थान एटॉमिक पॉवर सेंटर देख सकते हैं।