मंसा देवी और चंडी देवी मंदिर

Tripoto
8th Feb 2021
Day 1

चंडी देवी मंदिर

गंगा के पूर्वी तट पर स्थित नील पर्वत के ऊपर चंडी मंदिर स्थित है। इस मंदिर तक पहुँचने के लिए आप पैदल मार्ग से ४ की.मी. की चढ़ाई चढ़ सकते हैं अथवा रज्जु मार्ग अर्थात रोपवे द्वारा भी पहुँच सकते हैं। मैंने रोपवे द्वारा यहाँ तक पहुँचने का निर्णय लिया। मंदिर के आधार तक पहुँचने में हमें १० मिनटों का समय लगा। यहाँ से भी मुख्य मंदिर तक पहुँचने के लिए हमें कुछ और सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ीं।

ऐसा कहा जाता है कि शुंभ एवं निशुंभ असुरों का वध करने के पश्चात देवी ने नील पर्वत पर विश्राम किया था। नील पर्वत की दोनों चोटियों को इन दो असुरों के नाम से जाना जाता है।

हनुमान की माता देवी अंजनी को समर्पित एक मंदिर समीप ही है। यहाँ सभी मंदिर छोटे हैं तथा उनकी संरचना नवीन है। किन्तु भीतर स्थापित प्रतिमाएं एवं स्थल प्राचीन हैं। यदि आप इनके प्रति संवेदनशील हैं तो आप इनसे आती तरंगे अनुभव कर सकते हैं।

गंगा के उस पार, इस मंदिर के ठीक समक्ष स्थित बिल्व पर्वत के ऊपर मानसा देवी मंदिर है। ऐसा प्रतीत होता है मानो दोनों देवियाँ एक दूसरे को निहार रही हैं। साथ ही हरिद्वार नगरी का संरक्षण कर रही हैं।

ऐसा माना जाता है कि चंडी देवी की मुख्य प्रतिमा की स्थापना स्वयं आदि शंकराचार्य ने की थी।

मंसा देवी मंदिर

हरिद्वार के पश्चिमी ओर स्थित बिल्व पर्वत पर यह मानसा देवी मंदिर स्थित है। यह हरिद्वार नगरी के चहल-पहल भरे केंद्र के समीप ही है। आप यहाँ पर भी पैदल मार्ग से ३ की. मी. चढ़ते हुए पहुँच सकते हैं अथवा रोपवे की सुविधा ले सकते हैं। मैं यहाँ प्रातः ८ बजे के आसपास पहुंची थी। यहाँ भक्तों की इतनी भीड़ थी, मुझे ऐसा प्रतीत हुआ जैसे मेरा दम घुट जाएगा। अतः आप यहाँ आने का समय सोच समझ कर तय करें। प्रातः शीघ्र यहाँ आना उत्तम होगा।

मानसा देवी सौम्य देवी हैं जो भक्तों की इच्छा पूर्ण करती हैं। ऐसी मान्यता है कि उनका जन्म भगवान शिव के मस्तक से हुआ था। इसीलिए उन्हे भगवान शिव की मानस पुत्री भी कहा जाता है।

Photo of मंसा देवी और चंडी देवी मंदिर by Pooja Tomar Kshatrani
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Photo of मंसा देवी और चंडी देवी मंदिर by Pooja Tomar Kshatrani
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