#मुक्तेश्वर महादेव, नैनीताल
पुराणों के अनुसार शिव के 18 मंदिरों में से एक 5350 वर्ष पुराने(पौराणिक कथाओं के अनुसार) #मुक्तेश्वर महादेव धाम के बारे में जानिए -
देवभूमि उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र के #नैनीताल जिले में पड़ता है एक ऐसा अनोखा और विहंगम शिव मंदिर जहां जाने के बाद आप उस नज़ारे को देखने फिर आना जरूर चाहेंगे। मन को मिलने वाली शांति जो पहाड़ों की बर्फीली और तरोताजा कर देने वाली हवा से और भी बढ़ जाती है, आपको भगवान शिव की तरफ से फिर आने का बुलावा देती हुईं महसूस कराती हैं।
मुक्तेश्वर महादेव धाम समुद्रतल से 2315 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और यह इस क्षेत्र का सबसे ऊंचा स्थान है। मंदिर पहुंचने के लिए करीबन 100 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है। पर यही सीढ़ियां चढ़ते वक़्त आपको अपने और भगवान शिव के बीच की दूरी कम करती हुईं महसूस होगी और आपका राम रोम शिवमय ही जाएगा।
मंदिर पहुंचने पर आपको दो ओर तो बिल्कुल खुला और आसमानी नीला रंग का आसमान और दूर दूर तक फैली हिमालय की पर्वत श्रृंखला भी दिखाई देती है। मंदिर के अंदर जाने पर आपको तांबा और संगमरमर से बना शिवलिंग दिखाई देता है। इसके चारों ओर मंदिर के अंदर आपको ब्रह्मा, पार्वती, गणेश, नंदी, हनुमान और विष्णु जी की मूर्तियां दिखाई देती हैं।
दर्शन के पश्चात थोड़ी देर वहां बैठकर आध्यात्मिक शांति और नैसर्गिक सौंदर्य का आनंद जरूर लें। यहां से आपको शिव की पत्नी और हिमालय की बेटी पार्वती के दूसरे स्वरूप लिए नंदादेवी, शिव जी के शस्त्र का स्वरूप लिए त्रिशूल और पांडवों से संबंध रखने वाली पंचाचुली की बर्फ से आच्छादित चोटियां दिखाई देती है। यकीन मानिए इन्हे देखकर आप मंत्रमुग्ध हो जाएंगे।
यहां आकर ऐसा लगता जैसे भगवान शिव हिमालय के मनोरम दृश्यों का आनंद ले रहे हों।
यहीं मंदिर के लिए ऊपर जाने वाले जीने के पास ही चौली की जाली नामक चट्टान का रास्ता जाता है,मुक्तेश्वर आए और ये नहीं देखा तो यात्रा अधूरी ही रहेगी। यहां तक पहुंचना बस 5 मिनट का छोटा सा ट्रेक है। मुक्तेश्वर में महादेव अक्सर अपनी तपस्या/योग में इसी चौली की जाली नामक चट्टान पर लीन रहते थे। एक बार जागेश्वर जाते समय बाबा गोरखनाथ का रास्ता यहां शिव की तपस्या के कारण अवरुद्ध हो रहा था, तो उन्होंने अपने गंडासे के वार से इस चट्टान में एक छेद कर दिया और और अज्ञेय बढ़ गए। यह छेद की हुए चट्टान आज भी वहां मौजूद है। इस किवदंती के अनुसार शिवरात्रि को यदि कोई महिला विधि विधान के साथ इस चट्टान के आर पार जाती है उसे संतान सुख/ पुत्र प्राप्ति अवश्य होती है।
चौली की जाली पर मौजूद छोटी छोटी दुकानों पर मैगी और पकौड़ों का लुत्फ जरूर उठाएं, स्वाद और नज़ारा दोनों जीवन भर याद रहेगा।
#नैनीताल जिले में पड़ने वाला मुक्तेश्वर धाम आपको नैनीताल की भीड़भाड़ से दूर भीमताल के रास्ते होते हुए एक अलग ही अनुभव कराता है। भीमताल से मुक्तेश्वर जाने वाले रास्ते के बीच ही सात ताल झील पड़ती है जिसे देखना इसकी सुंदरता के आगे मज़बूरी बन जाता है। इसी रास्ते पर #भालूगाड झरना पड़ता है जो मुख्य सड़क से करीब 2.5 किलोमीटर की दूरी का एक छोटा सा ट्रेक है पर झरने की सुंदरता और कल कल तेवर गति से गिरता स्वच्छ जल आपकी थकान को कुछ ही पलों में गायब कर एक नई ताजगी देता है। जरूर देखें
Very Scenic Specially if have own vehicle arrangement. Road vies are very good.
इसके पश्चात यही सन 1893 में बना इंडियन वेटेरिनरी रिसर्च इंस्टीटयूट भी है जो इस परिसर की देखरेख करता है। यहां आप म्यूजियम और लाइब्रेरी देख सकते हैं।
#जिमकॉर्बेट, एक प्रसिद्ध लेखक और आदमखोर बाघों और तेंदुओं के शिकारी ने मुक्तेश्वर का दौरा किया था। उन्होंने मुक्तेश्वर के बारे में अपनी पुस्तक "द टेम्पल टाइगर और मोर मैन-ईटर्स ऑफ़ कुमाऊं" में लिखा है। उन्होंने उत्तरी पहाड़ियों के दूरदराज के इलाकों में बसे गांवों में लोगों के सामने आने वाली विभिन्न विपत्तियों के बारे में भी लिखा
This is best to stay and overall things over anything else given you get a place there.