यह हरिद्वार नगरी का सर्वाधिक लोकप्रिय देवी मंदिर है। गंगा नदी जब मैदानी क्षेत्रों में आती है तब यहाँ स्थित देवभूमि के द्वारा मैदानी क्षेत्रों में प्रवेश करती है। इसी कारण इसे गंगाद्वार भी कहा जाता है। ब्रह्मकुंड के समीप, गंगा के किनारे को लगभग छूता हुआ यह एक अत्यंत छोटा मंदिर है जिसके भीतर गणेशजी की प्रतिमा है। शास्त्रों में गंगा को देवी का द्रव्य अवतार माना गया है। गंगा यहाँ की प्रमुख देवी हैं जिनके दर्शन प्राप्त करने के लिए ही भक्तगण यहाँ आते हैं।
एक हिन्दू तीर्थयात्री के लिए गंगा के पवित्र जल में डुबकी लगाकर स्नान करने से अधिक पुण्य कार्य कोई नहीं। यदि यह स्नान हरिद्वार की गंगा अथवा काशी की गंगा में हो तो सोने पर सुहागा।
सत्य कहूँ तो हरिद्वार के अधिकतर मंदिरों में गंगा की एक प्रतिमा कहीं ना कहीं अवश्य होती है। नदी से घिरी इस पावन नगरी में वे सर्वत्र उपस्थित हैं।