हरिद्वार के भारत माता मंदिर में भक्तों एवं पर्यटकों का तांता लगा रहता है। यह स्थल हरिद्वार भ्रमण पर आए अधिकांश पर्यटकों एवं भक्तों की भ्रमण सूची में सम्मिलित किया जाता है।
इस मंदिर का निर्माण स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी ने सन् १९८३ में करवाया था तथा इसका उद्घाटन इंदिरा गांधी के हाथों से हुआ था। ८ तल ऊंची यह संरचना कदाचित हरिद्वार की सर्वोच्च इमारतों में से एक हो। गंगाद्वार नाम से प्रसिद्ध इस हरिद्वार नगरी से होकर बहती हुई गंगा के विभिन्न शाखाओं के अवलोकन के लिए यह सर्वोत्तम स्थान है। गंगा के चारों ओर पसरे राजाजी राष्ट्रीय उद्यान की भी सीमाएं आप यहाँ से देख सकते हैं।
मंदिर के ८ तलों में से प्रत्येक तल एक भिन्न विषय को समर्पित है। संरचना का भूतल माता को समर्पित है। यहाँ माता की एक भव्य मूर्ति स्थापित है। उन्हे निहारते हुए मैं शनैः शनैः आगे बढ़ने लगी। शीघ्र आगे बढ़ना चाहती तो भी संभव नहीं था क्योंकि पर्यटकों एवं दर्शकों की भारी भीड़ एक पंक्ति में धीरे धीरे कक्ष में से आगे रेंग रही थी।
मंदिर के प्रथम तल को शूर मंदिर कहा जाता है। यह भारत के शूर-वीरों को समर्पित है जिनमें अनेक स्वतंत्रता सेनानी भी सम्मिलित हैं।
मंदिर का दूसरा तल मातृ मंदिर है जो नारी शक्ति को समर्पित है। यहाँ लक्ष्मीबाई जैसे अनेक स्त्री योद्धाओं व वीरांगनाओं तथा मीराबाई जैसी संतों की छवियाँ है।
तीसरा तल संत मंदिर के नाम से जाना जाता है जो भारत के संतों को समर्पित है।
चौथा तल भारत में प्रचलित विभिन्न धर्मों को समर्पित है जिसके अनुयायी आपस में सद्भाव से रहते हैं।
पाँचवाँ तल देवी अथवा शक्ति को समर्पित है जो भारत की दिव्य स्त्री हैं।
छठा तल विष्णु को समर्पित है। यहाँ उनके विभिन्न अवतारों को प्रदर्शित किया गया है।
सातवाँ तल मंदिर के अधिष्ठात्र देव के रूप में भगवान शिव को समर्पित है।
संक्षेप में समझा जाए तो यह मंदिर भारत माता से आरंभ होता है तथा एक ढलुआं गलियारे से आप को शनैः शनैः ऊपर ले जाता हुआ अंततः भगवान शिव तक पहुंचता है। तत्पश्चात उसी प्रकार आप नीचे वापिस आ जाते हैं।