भारत को देवताओं की भूमि कहा गया है।यहाँ की सभ्यता और संस्कृति सारे विश्व में प्रसिद्ध है।यहाँ मंदिरों में तो भगवान की पूजा करते ही है,यहाँ नदियों का भी उतना ही महत्व है और वे भी उसी प्रकार पूजी जाती है है जैसे मंदिर में देवता।नदियों में गंगा नदी का स्थान सर्वोच्चय माना गया है।यहाँ गंगा को माता कह कर संबोधित किया जाता है।साथ ही साथ उसे सबसे पवित्र नदी माना गया है।गंगा में डुबकी लगाने वाले के सभी पाप धुल जाते है ऐसी मान्यता है।इसी लिए जिस प्रकार मंदिर में देवताओं की पूजा आरती होती है ठीक उसी प्रकार गंगा आरती भी होती है। हरिद्वार और वाराणसी दोनों ही जगहों की आरती विश्व प्रसिद्ध है और दोनों का अपना ही महत्व है। हजारो और लाखों श्रद्धालु देश-विदेश से यहाँ आते है इस गंगा आरती को देखने। पर क्यों होती है गंगा आरती? इसका क्या महत्व है।जिसे देखने लाखो श्रद्धालु भारत की पावन धरती पर आते है।तो आइये आपको आज बताते है इन दोनों ही जगह की आरती के विषय में।
क्या है गंगा आरती?
भगवान की आरती करना हिन्दू उपासना की विधि है।जिसे हम अपने आराध्य समर्पित करते है।इसमें एक जलती हुई लौ को गंगा मैया के सामने गोल गोल घुमाते है यह लौ घी,तेल या कपूर किसी भी वस्तु की हो सकती है।इसमें वैकल्पिक रूप से, घी, धूप तथा सुगंधित पदार्थों को भी मिलाया जाता है। जिसे भक्तगण गंगा के पानी में प्रवाहित करते हैं।यह भेंट स्वरुप गंगा मैय्या को अर्पित होती है।
कैसे की जाती है गंगा आरती?
गंगा आरती का आयोजन गंगा नदी के घाट पर किया जाता है। इस दौरान मुख्य पुरोहित या पंडितो का एक दाल आरती के लिए दीप प्रज्वलित करता है।घाट पर उस दीप को गंगा के सम्मुख घुमाया जाता है।इस दौरान ढोल- नगाड़े बजाए जाते है और मंत्रो का उच्चारण किया जाता है।जिसे पूरा माहौल भक्तिमय हो जाता है।आरती खत्म होने के बाद भक्त आरती लेते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
हरिद्वार गंगा आरती
हरिद्वार में गंगा आरती हरि-की-पौड़ी घाट में आयोजित की जाती है। इस प्रसिद्ध घाट को हरि-की-पौड़ी कहते है क्योंकि इसका शाब्दिक अर्थ है "भगवान का पैर" जो की भगवान विष्णु से सम्बंधित है।पौराणिक कथा, की माने तो समुन्द्र मंथन के दौरान,अमृत को पाने की भागा दौड़ी में जब गरुड अमृत के मटके को लेकर भाग रहे थे..तो उसकी कुछ बूंदे हरिद्वार में गिर गयी थी।इस लिए ये स्थान बहुत पवित्र माना जाता है।
हरि-की-पौड़ी- पर गंगा आरती
यहाँ हर दिन शाम की आरती शाम 6:00 बजे से 7:00 बजे होती है और सुबह की आरती 5:30 से 6:30 बजे तक होती है।जिसे देखने के लिए आप घाट की सीढियो पर जा कर बैठ सकते है।इसके अलावा आप आरती में हिस्सा भी ले सकते हैं..और वहां जाकर खुद गंगा माँ की आरती कर सकते हैं।इसके लिए आपको पंडित को कुछ दान-दक्षिणा अर्पित करना होगा।साथ ही आरती खत्म होने पर सभी भक्त फूल और दीप जलाकर गंगा में प्रवाहित करते है।ये नजारा बहुत ही सुखद होता है।
कैसे पहुँचे
सड़क मार्ग
हरिद्वार अच्छी तरह सड़क मार्ग से राष्ट्रीय राजमार्ग 58से जुड़ा है जो दिल्ली और मानापस को आपस में जोड़ता है।
ट्रेन द्वारा
निकटतम ट्रेन स्टेशन हरिद्वार में ही स्थित है जो भारत के सभी प्रमुख नगरों को हरिद्वार से जोड़ता है।
हवाई जहाज द्वारा
निकटतम हवाई अड्डा जौली ग्रांट, देहरादून में है लेकिन नई दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को प्राथमिकता दी जाती है।
वाराणसी की गंगा आरती
वाराणसी की गंगा आरती काशी विश्वनाथ मंदिर के पास, पवित्र दशसावमेद्घा घाट पर हर सूर्यास्त के समय सम्पन्न होती है।यहाँ की गंगा आरती हरिद्वार से बेहद अलग होती है।
क्योंकि यह एक बेहद कोरियोग्राफ समारोह है। यहाँ पंडितो का एक समूह होता है जो आरती करता है।वो सब एक सामान वेश-भूषा में होते है और एक साथ आरती करते है मानो जैसे कोई नृत्य हो रहा हो।मंत्रो का उच्चारण और आरती की खुशबू आपको मंत्रमुग्ध कर देंगी।इस भव्य आरती को देखने के लिए सात समंदर पार से पर्यटकों का हुजूम बनारस के इन घाटों पर उमड़ता है।
काशी के दशाश्वमेघ घाट पर गंगा आरती
वैसे तो बनारस में सभी घाटो की अपनी एक अलग कहानी है लेकिन काशी का दशाश्वमेध घाट गंगा नदी के किनारे स्थित सभी घाटों में सबसे प्राचीन और शानदार घाट है। इस घाट के इतिहास पर अगर नजर डालें तो हजारों साल पुराना है इसका इतिहास। दशाश्वमेध का अर्थ होता है दस घोड़ों का बलिदान। किवदंतियों के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने भगवान शिव को निर्वासन से वापस बुलाने के लिए यहां एक यज्ञ का आयोजन किया था। इस कारण हर शाम यहां होती है गंगा की आरती।
कैसे पहुँचे
वायु द्वारा
बाबतपुर विमानक्षेत्र (लाल बहादुर शास्त्री विमानक्षेत्र) शहर के केन्द्र से 25 कि॰मी॰ की दूरी पर स्थित है और चेन्नई, दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, खजुराहो, बैंगकॉक, बंगलुरु, कोलंबो एवं काठमांडु आदि देशीय और अंतर्राष्ट्रीय शहरों से वायु मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है।
ट्रेन द्वारा
उत्तर रेलवे के अधीन वाराणसी जंक्शन एवं पूर्व मध्य रेलवे के अधीन मुगलसराय जंक्शन नगर की सीमा के भीतर दो प्रमुख रेलवे स्टेशन हैं। इनके अलावा नगर में 16अन्य छोटे-बड़े रेलवे स्टेशन हैं।
सड़क द्वारा
एन.एच.-2दिल्ली-कोलकाता राजमार्ग वाराणसी नगर से निकलता है। इसके अलावा एन.एच.-7, जो भारत का सबसे लंबा राजमार्ग है, वाराणसी को जबलपुर, नागपुर, हैदराबाद, बंगलुरु, मदुरई और कन्याकुमारी से जोड़ता है।
कहाँ जाये गंगा आरती देखने
वैसे तो दोनों ही जगह आरती देखने का अलग ही मजा है आप एक अलग ही आध्यात्म की दुनिया में खो जाएंगे।पर अक्सर लोग कन्फ्यूज होते है कि कहा जाए?तो हम आपकी परेशानी को थोड़ा कम करते है।आप यहाँ जाने से पहले यहाँ की महत्वता के विषय में जानकर भी जगह का चुनाव कर सकते है।
हरिद्वार:- अगर आपको आरती देखनी हो और थोड़ा सुकून और शांति की तलाश में है तो हरिद्वार एक बेहतर ऑप्शन है क्योंकि ये शहर थोड़ा कम भीड़ वाला है पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण यहाँ आबादी काफी कम है और यहाँ का माहौल भी काफी शांत और सुकून भरा है।
वाराणसी:-यहाँ की आरती तो विश्व प्रसिद्ध है।पर वाराणसी एक भीड़ भाड़ वाला शहर है।तो अगर आपको ऐसी जगह पसन्द है तो आप यहाँ आ सकते है ।यहाँ के बाजार भी काफी फेमस है तो आप यहाँ खरीदारी भी कर सकते है।
तो अगली बार आपको गंगा आरती देखना हो तो आप इन जगहों पर अपनी इच्छा पूरी कर सकते है।
।।हर - हर गंगे।।