मेरी धार्मिक स्थानों को देखने की रुचि होने के कारण इस बार मैंने गुजरात में स्थित द्वारिका धाम जाने की योजना बनाई।जैसा कि सभी को विदित यह स्थान हमारे भारत के चार प्रसिद्ध दामों में से एक है।सुनना और प्रत्यक्ष रूप देखने में अंतर होता है।जब मैं वहां पहुंची तो मुझे अपने आप पर विश्वास नहीं हो रहा था कि मै प्रसिद्ध धाम में हूं।जैसा कि हिन्दू मान्यताओं में प्रचलित है कि धार्मिक स्थानों के दर्शन उन्हीं को प्राप्त होते है जिन्होंने पुण्य कार्य किए हैं।वहां पहुंच कर मुझे लगा कि मेरे पुण्य उदय हुए है।
मंदिर में दर्शन करने की सभी जानकारी प्राप्त कर में मंदिर परिसर में पहुंची। जैसा कि सभी को विदित है आजकल सुरक्षा कारणों से कई प्रकार के नियमों का पालन करना पड़ता है।हमारे मोबाइल बाहर ही लॉकर्स में रखवा लिए गए।दर्शनार्थियों को लाइन में धीरे धीरे आगे बढ़ना था। जब कुछ देर के बाद मेरी सुरक्षा जांच हुई और मैंने अपने आप को मंदिर के अंदर पाया।
मेरे साथ मंदिर के एक पुजारी पहले से ही मौजूद थे। मंदिर में कैसे करना है पुजारी बराबर निर्देश दिए जारहे थे।
मैं दर्शन कि लाइन में खड़ी हो गई। यह आरती का समय था इसलिए श्रद्धालु काफी तादात में थे और स्वयं के नंबर आने की प्रतीक्षा कर रहे थे।धीरे धीरे लाइन आगे बढ़ रही थी।भक्त गण मधुर स्वरों में भजन गा रहे थे। सभी आनंद मग्न हो कर लाइन में खड़े हो कर दर्शन के लिए आतुर थे। कुछ देर बाद मैंने भगवान द्वरिकाधीश के दर्शन कर स्वयं को भाग्यशाली महसूस किया।लाइन ख़तम होने के बाद सभी दर्शनार्थी प्रांगण में ध्वजा दर्शन के लिए आगे बढ़ते है।
ध्वजा जी का द्वरीकाधिश मंदिर में अपना महत्व है। प्रतिदिन दो बार बदली जाती है।मंदिर का ही पुजारी गुम्बद पर चढ़ता है।इस कार्य को करने के लिए पुजारी को बहुत अभ्यास करना होता है।
जानकारी हासिल कर के में उस स्थान पर पहुंची जहां तुला दान किया जाता है।यह द्वारिका आने वाले सभी लोगों को मालूम होना चाहिए कि द्वारिका की भूमि में अन्न दान का बहुत महत्व है।जो भी श्रद्धालु दान करने में विश्वास करते हैं वे श्रद्धा अनुसार दान करें। यह उन्हीं के लिए लिख रही हूं जो इसमें आस्था रखते हैं।
दर्शन कर बाहर आकर अपना सामान ले कर अपने प्रियजनों के लिए प्रसाद लें। बड़ा ही छोटा सा बाज़ार है यहां का पसंद आए तो खरीदें। यहां खाने की भी दुकान हैं जहां चाहें वहां चिल करें। आगे बढ़ेंगे तो समुद्र स्नान कर सकते है। सागर और नदी का मिलन का आंनद ले सकते हैं। एक पुल पार कर उंट की सवारी
भी कर सकते हैं।
इस स्थान पर आकर सभी भाग्यशाली महसूस करते हैं।