#यात्रावृतांत
#छत्तीसगढ़
#कोरीया #मनेंद्रगढ़ #लेदरी भाग-1
छत्तीसगढ़ के उत्तर_पूर्वी क्षेत्र में मध्यप्रदेश के सीमाओं से लगता हुआ,#मनेंद्रगढ़ (Manendragarh) भारत के #छत्तीसगढ़ राज्य के #कोरिया ज़िले में स्थित एक छोटा-सा शहर व नगरपालिका है। यही पर पहाड़ो के बीचों बीच #लेदरी नगर पंचायत भी है। यहाँ से राष्ट्रीय राजमार्ग 43 गुज़रता है। मनेंद्रगढ़ मध्य प्रदेश राज्य की सीमा के समीप स्थित है। ऊची नीची पहाड़,पर्वतों के बीच प्रकृति की गोद मे बसा हुआ मन को मोह लेने वाले इस जगह की जितनी तारीफ की जाए कम है । एक बात और जिस समय मैं यात्रा प्रारंभ कर रहा था उस समय तबीयत थोड़ी खराब थी, लेकिन यात्रा के प्रारम्भ होते ही सब कुछ अच्छा लगने लगा , बुखार तो उस दिन से गायब ही हो गया था जैसे ।
यात्रा की शुरूआत होती है ,#जंघई_स्टेशन भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के #प्रयागराज जिले (इलहाबाद) के हंडिया प्रखण्ड में स्थित एक गाँव है वहां ट्रैन थी सारनाथ एक्सप्रेस , साथ के लोगो ने जनरल डिब्बे में चलने का निर्णय लिया । अपने निशचित समय से देरी पर चल रही है ट्रैन आती है ,देर से ही सही, यात्रा प्रारंभ होती है , रात के लगभग 10 बज चुके थे ,उसके कुछ देर में ही प्रयागराज जंक्शन पर कुछ देर ठहराव के बाद ट्रेन अपनी पूरी स्पीड के साथ बढ़ रही थी । हम सब को ऊपर की सीटें मिली थी , 1 सीट दो लोग , सुबह होते होते ट्रैन शंकरगढ़ , मझगांवन, सतना को पार करते हुए मैहर पहुच चुकी थी ,
सुबह जब आंख खुली तो ट्रैन की खिड़कियों से बहुत सुंदर , पहाड़ , छोटे बड़े तालाब , नदि, बड़े बड़े घास के मैदान , खेत ,जानवर इन सब को पार करते हुए हम बढ़ रहे थे अनूपपुर जंक्शन की तरफ ।
आंख को बड़ा सुकून मिल रहा था , यात्रा जिसके के लिए शुरू हुई थी लग रहा था कि बहुत मजा आएगा । ऐसे ही सुंदर नजारों को देखते देखते है हम पहुच चुके थे ,#अनूपपुर_जंक्शन समय हो रहा था , दिन के 12 बजे के लगभग, वही से ट्रेन थी #मनेंद्रगढ़ के लिए शायद हम सबको देर हो गयी थी , ट्रैन निकल चुकी थी ,
वहां से हम अनूपपुर के बस स्टैंड के लिए टैक्सी से जाते है फिर वहां से शुरू होता है बस की यात्रा , जब ट्रेन मैहर को पार करके आगे बढ़ी थी ऐसा लग रहा था कि जैसे मैं जन्नत में प्रवेश कर चुका हूँ, नजारे ऐसे की आंखों झपकाने का मन ही नही करता ,मन तो करता कि ट्रैन की दोनों तरफ के नजारो को जी भर के देखू। कुछ देर में ही बस स्टैंड पर रुक कर नाश्ता हुआ । शुद्ध पानी के लिए लगाए गए नल भी बहुत अच्छे थे , एक रुपये का सिक्का डालने पर 1 लीटर पानी , बाज़ारो को अगर छोड़ दिया जाए तो बहुत ही ज्यादा साफ सफाई नजर आ रही थी । बस चल चुकी थी , मैं भी खिडकी पास बैठ कर प्रकृति के नजारो को देखने के लिए तैयार था । यात्रा के 10 मिनट बाद ही ऊंचे ऊंचे पेड़ , पहाड़ , झरने , दूर दूर तो जंगल, एक गजब की शांति मिल रही थी। इसके पहले मैंने इतनी दूर की यात्रा नही की थी , कभी ज्यादा दूरी की यात्रा कर लेता था तो चक्कर कर साथ उल्टी भी होने लगती थी । लेकिन इस यात्रा में ऐसा कुछ हुआ ही नही , ठंडी हवाएं छू कर निकल रही थी ।
मन तो कर रहा था ऐसे छड़ो को रोक लू ,समेट लू । काफी कुछ अपने कैमरे के माध्यम से कैद भी कर लिया था , अब तक के सफर में ।
बस बीच बीच मे बस रुकती भी थी। कहि रुकती तो खिड़की के दोनों तरफ जहाँ तक नजर जाती वहां तक देखता था , मेरी आंखों व मन को एक अच्छा सा सुकून मिल रहा था । कुछ समय बाद ही हम सब पहुचते है #कमल_नगर, फिर वहां पर कुछ देर इन्तेजार के बाद आगे की यात्रा कार से शुरू हुआ। कार के द्वारा ही हम सब #मध्यप्रदेश के सीमाओं को छोड़ते हुए छत्तीसगढ़ में प्रवेश कर रहे थे । कार एक विशाल जंगल से गुजर रही है ,बरसात का मौसम था पेड़ो की पत्तियां बिल्कुल हरी चारो एक शानदार हरियाली थी , हर पल को कैद करने का मन कर रहा था । कार कभी पहाड़ो के ऊपर तो कभी अचानक से नीचे की ओर जा रही थी । हम सब मनेंद्रगढ़ को अपने से उत्तर की दिशा की ओर छोड़ते हुए लेदरी में प्रवेश करने को तैयार थे । जब कार पहाड़ो पर थी तब नीचे की तरफ ढेर सारे छोटे छोटे घर दिखाई पड़ रहे है ।
रास्ते मे कुछ पुरानी कम्पनियां भी दिखी जो बिल्कुल जर्जर हालत में थी , सड़के पक्की थी और खाली भी तो गाड़ी बिना रुके अपने मंजिल की ओर बढ़ रही थी । ऊंचे ऊंचे पहाड़, विशाल वृक्षो के जंगल पूरे रास्ते दिख रहे थे , आगे बढ़ने पर खाली जगह दिख रही तो जो पूरी तरीके से पठारी थे , खाली जमीन तो मुश्किल से ही दिखता था , चारो तरफ छोटे बड़े चट्टान दिखते थे। पहाड़ो से नीचे की तरफ आने हम सब पहुचते है रुकने वाली जगह पर.......
आप सभी का कोई सुझाव व कोई खास जानकरी हो तो अवश्य बताये इस स्थान के बारे में !