महादेव के पुत्रों के बीच ब्रह्माण्ड यात्रा को लेकर हुई प्रतिस्पर्धा की कहानी हम सभी ने सुनी है, महादेव के पुत्र श्री गणेश ने अपने माता-पिता के चक्कर काट कर कहा, मेरे माता-पिता ही मेरा ब्रह्माण्ड है। इस पर महादेव ने श्री गणेश को प्रथम पूजक देव का वरदान दिया और प्रतियोगिता का विजेता घोषित किया। महादेव और माता पार्वती के ज्येष्ठ पुत्र कार्तिकेय इस पर बहुत क्रोधित हुए, उन्होंने अपने प्राण त्याग कर अपनी हड्डियां पिता महादेव को और मांस माता पार्वती को अर्पित कर दिया।
पुराणों के अनुसार श्री कार्तिकेय की पवित्र अस्थियों इस स्थान पर दफन किया गया था। तब से यह स्थान कार्तिक स्वामी के नाम से पूज्यनीय बना हुआ है।
धार्मिक महत्व के अतिरिक्त प्राकृतिक सौंदर्य से ओतप्रोत यह स्थान हिमालय के विराट स्वरूप के दर्शन कराता है, यहां से हिमालय की छोटी-बड़ी 29 चोटियों के दर्शन किये जा सकते हैं।
कैसे पहुंचें- रूद्रप्रयाग शहर से 40 किमी. की दूरी पर स्थित कनकचौरी गांव से 3 किमी. पैदल मार्ग द्वारा कार्तिक स्वामी मंदिर तक पहुंचा सकता है।
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