हमेशा की तरह इस बार भी जब नए गंतव्य पर जाने की योजना शुरू हुई तो मेरे परिवार के सभी सदस्य उत्साहित हो उठे,क्योंकि सभी तो एक नई विविधता देखने के लिए तत्पर रहते है और हों क्यों ना सभी की रुचि तो एक समान है। जैसे ही तारीख निश्चित होती है सभी अपनी अपनी तैयारी में लग जाते हैं।इस बार हमने जिस स्थान को चुना वह सुदूर पूर्व अरुणाचल राज्य में है ।यह स्थान है ,बुमला जो भारत और चाइना सीमा पर स्थित है।
इस जगह पर पहुंचना थोड़ा कठिन तो अवश्य है परन्तु बहुत ही रोमांचक है। यह स्थान तवांग नामक स्थान से 40किलोमीटर दूर स्थित है। रास्ता बीच बीच में टूटा है। यहां आने के लिए एक तरह का परमिट चाहिए।यह परमिट तवांग डी.सी.ऑफिस से प्राप्त किया जाता है।इस सड़क मार्ग पर आपको बहुत सारे सेना के वाहन आते जाते मिलते हैं।यह स्थान सेना की देख- रेख़ में है। जाएंगे तो कहीं पर बोफोर्स दिखाई देती है तो कहीं पर फायरिंग स्टेशन।
यहां पर यात्रियों को सांस लेने में कठिनाई का अनुभव होता है। इस परेशानी को दूर करने के लिए ऑक्सीजन ले जाना ठीक रहता है। रास्ते में बर्फ भी जमी मिलती है ।सभी को गर्म कपड़े पहन कर ही जाना चाहिए।अगर हो सके तो थोड़ा पानी पीते रहें।
सीमा पर पहुंचने पर सभी को निर्देश दिए जाते है। सीमा पर दृश्य देखने लायक होता है।हर तरफ सेना के जवान ही पूरा मोर्चा संभाले हुए हैं। वहां की सम्पूर्ण जानकारी देते हुए वे सभी का स्वागत करते हैं।हमारे जवान किस तरह हमारी रक्षा
हैं।
बूमला जाते हुए प्रतीत होता है कि यह स्थान अद्भुत है।यहां के नज़ारे अविस्मरणीय है।कहीं हरियाली तो कहीं बर्फ।बर्फ आच्छादित पर्वत जिस पर सूर्य की किरण पड़ती हैं तो लालिमा चारों तरफ फैल जाती है। इस दृश्य को आंखों में भर कर आगे बढ़े तो अगला पड़ाव माधुरी लेक है।
वैसे तो नाम से ही प्रतीत होता है यह स्थान प्रसिद्ध अभिनेत्री माधुरी दीक्षित के नाम पर है।यहां कोयला फिल्म को शूटिंग हुई थी।यहां एक कैंटीन है जो सेना के जवानों द्वारा ही चलाई जाती है। सेना के जवानों ने इस वीरानी में भी रोनक फैला रखी है।हमारे जवान जहां जाते हैं वहीं साहस का परिचय देते हैं।कैसी भी कठिन परस्थिति हो उसी में ढल जाते हैं।ऐसा ही यहां देखने को मिलता है।इस स्थान की अनूठी कहानी है।यह वो जगह है जहां पर कम से कम एक घंटा व्यतीत करना चाहिए। यह अर्थ क्वेक के बाद बनी है। मैंने यहां से आगे बढ़ते हुए दृश्यों को अपनी आंखों में भरकर यात्रा को जारी रखा।
घूमने की शौकीन होने के कारण अपने देश की विविधताओं को भी अनुभवों में समेट लेती हूं। मन चाहता है कि ऐसे ही सुदूर स्थानों पर पहुंच कर वहां के अनुभव लगातार होते रहें।विविध भाषा होते हुए भी देश एक है।मुझे ऐसे विभिन्न तरह के अनुभव होते रहें यह ही मेरी ईश्वर से प्रार्थना है।
यह स्थान वो है जो सड़क मार्ग से तवांग के रास्ते में आता है।यहां पर अरुणाचल प्रदेश की संस्कृति दिखती है।