7 दिन हरिद्वार के कश्यप घाट और आंटी जी का आशीवार्द
हरिद्वार आने की कोई योजना नहीं थी। लेकिन गंगा माता बुलावा आया था। और मेरा रिक्शा कश्यप घाट के पास ही रुकी थी । में हरिद्वार आईं और गंगा पूजा नहीं कि ये हो है नहीं सकता । रात के 8.30 बज चुके थे। इसलिए बहुत सन्नाटा था। पूजा की सामन बेचने वाले लोग घर चले गए थे। घना अंधेरा और चांद की रोशनी में गंगा मा निखार रहीं थीं। मैंने एक महिला और उसके बेटे को किनारे पर पूजा करते देखा। मैं उसके पास गई और उने बताया कि मैं यह पूजा करना चाहता हूं। लेकिन मेरे पास कोई सामान नहीं था और मैं कार में पैसे भूल आईं थीं। महिला ने हंसकर कहा, "बेटा, आओ ... हम एक साथ पूजा करती है। " और उन्होंने मुझे उनकी पूजा का सामान दिया। उसने मुझसे दिया जलाके दिया । और गंगा की आरती भी की । पूजा होने के बाद में उनके पैर चुके आशीर्वाद लिया। तब आंटी जी ने मुझे बोला बेटा, आपको गंगा ने बुलाया है। आप जानते हैं कि आज कौन सा दिन है। मैंने जवाब दिया नहीं। आज कार्तिक पूर्णिमा है। आज हमारे यह गंगा जि की पूजा जाती है। और ये सुन के मेरे आंखो में आसू आगे। हमेशा खुश रहने ये आशीर्वाद लेकर मैंने उनसे विदा ली। जन्मदिन असे आशीवार्द से शुरू हो गया था। और क्या चाहिए जिंदगी में 🙏
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