जब एक लड़की के सम्मान के लिये पूरा गांव पलायन कर गया।

Tripoto
9th Jan 2021
Photo of जब एक लड़की के सम्मान के लिये पूरा गांव पलायन कर गया। by Kalpana Srivastav

वीरान गाँव - कुलधारा गाँव

राजस्थान, जहाँ का हर किला एक गौरव गाथा लिये अभिमान से खड़ा हैं। वहीं, वहां रहने वाले लोग उस गौरव को बनाये रखने के लिये अपनी जान की भी परवाह नही करते थे।

आज मैं आपको राजस्थान के गोल्डन सिटी जैसलमेर से 20 किलोमीटर दूर एक ऐसे गाँव लेकर जाने वाली हूँ जो पिछ्ले 170 सालों से वीरान पड़ा है। जी हाँ ये है कुलधरा गांव। जो रातों रात वीरान हो गया था। जहाँ के खंडहर इस बात के गवाह है कि यह गावँ भी कभी आबाद था।

कुलधरा गांव का इतिहास
आज से 200 साल पहले यह गाँव, खंडहर नहीं था बल्कि पालीवाल ब्राह्मणों के 600 घरों से आबाद था। आसपास के 84 गांव में भी पालीवाल ब्राह्मण रहते थे। यह सभी ब्राह्मण बहुत ही संपन्न थे। कुलधारा के अवशेषों से ये भी स्पष्ट होता है कि ये ब्राह्मण वैज्ञानिक तौर से भी सशक्त थे। यहां तक की उन्होने पानी के लिये बावड़ी भी बनवाई हुई थी, जो आज भी वहां पर स्थित है।

कुलधरा गाँव का रहस्य और कहानी
उस समय जैसलमेर रियासत का दीवान एक भ्रष्ट, निर्दयी और शातिर था। जिसका नाम सालम सिंह था। एक बार उसकी बुरी नज़र कुलधरा गाँव के पुजारी की सुन्दर बेटी पर पड़ी। सालम सिंह उस लड़की के लिये जैसे पागल हो गया। वह उस लड़की को किसी तरह से पा लेना चाहता था। इसके लिए उसने पालीवाल ब्राह्मणों को कई तरह से तंग करना शुरू कर दिया। और सत्ता की ताकत के नशे में चूर सालम सिंह ने लड़की के घर संदेश भिजवा दिया कि अगले कुछ दिनों में उसे लड़की नहीं मिली तो वह उस गांव पर हमला करके लड़की को उठा कर ले जाएगा।

अब यह बात लड़की के साथ-साथ गांव के आत्मसम्मान की भी हो गई थी। आसपास के 84 गांव सभी पालीवाल ब्राह्मण गांव की चौपाल में इकट्ठा हुए और सभी ने निर्णय लिया की चाहे कुछ भी हो जाये वो पुजारी की बेटी को उस दीवान को नहीं सौपेंगें। ये बात भी सब जानते थे की वे सब उस दीवान से लड़ नही सकते है। बहुत विचार विमर्श करने के बाद 5000 से भी ज्यादा परिवारों ने अपने स्वाभिमान को बचाने के लिये उस रियासत को छोड़ने का फैसला कर लिया।

अगली शाम कुलधरा और आस पास के सभी गावँ वालों ने सिर्फ अपना जरूरत का सामान लिया और सब कहाँ चले गये किसी को नहीं पता।
उस दिन ये गाँव कुछ यूं वीरान हुआ, कि आज तक वहां कोई ना बस सका। कहते हैं गांव छोड़ते वक्त उन ब्राह्मणों ने इस जगह को श्राप दिया था कि जो भी यहां बसने की कोशिश करेगा वो बर्बाद हो जायेगा। वह श्राप आज भी कुलधरा की सुनसान और बंजर जमीन का पीछा कर रहा है। 

शाम ढलने के बाद अक्सर यहां अजीब अजीब आवाजें सुनाई देती हैं। इन आवाजों में वो दर्द होता है जिनसे पालीवाल ब्राह्मण गुजरे थे। अक्सर यहां आने वालों को अपनी मौजूदगी का अहसास भी कराती हैं। यहां हर पल ऐसा अनुभव होता है कि कोई आसपास चल रहा है। बाजार के चहल-पहल की आवाजें आती हैं, महिलाओं के बात करने और उनकी चूड़ियों और पायलों की आवाज हमेशा ही आती रहती है।

कुलधरा गाँव घुमने का समय
प्रशासन ने इस गांव की सरहद पर एक फाटक बनवा दिया है, जिसके पार दिन में तो सैलानी घूमने आते रहते हैं लेकिन रात में इस फाटक को बन्द कर दिया जाता है जिसको पार करने की कोई हिम्मत नहीं करता है। अगर आप इस गांव की यात्रा करना चाहते हैं तो आप यहां हफ्ते में किसी भी दिन सुबह 8:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक जा सके हैं।

कुलधरा गाँव जाने का समय
राजस्थान में बहुत ही अधिक गर्मी पड़ती है। कुलधरा गाँव जाने का सही समय अक्टूबर से मार्च तक का है।

कुलधरा गाँव कैसे पहुंचे
कुलधरा गाँव जाने के लिये आप पहले ट्रेन, हवाई जहाज और राष्ट्रीय मार्ग द्वारा जैसलमेर तक पहुंच जायें और वहां से कुलधरा गाँव जाने के लिए टैक्सी किराये पर ले सकते हैं।

गावँ जाने का सुनसान रास्ता

Photo of जब एक लड़की के सम्मान के लिये पूरा गांव पलायन कर गया। by Kalpana Srivastav

ये दीवारें दुबारा बनाई गई है

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छत पर

Photo of जब एक लड़की के सम्मान के लिये पूरा गांव पलायन कर गया। by Kalpana Srivastav

🙂🙂

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दूर दूर तक फैला खंडहर

Photo of जब एक लड़की के सम्मान के लिये पूरा गांव पलायन कर गया। by Kalpana Srivastav

🙂🙃

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ये गाँव आज भी सुनसान है

Photo of जब एक लड़की के सम्मान के लिये पूरा गांव पलायन कर गया। by Kalpana Srivastav

दूर तक सन्नाटा-खामोशी

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